17-05-2022, 04:47 PM
जब दीदी बिधवा हो गई तो अपने घर से चली आई और हमारे ही साथ रहने लगी। लगभग एक साल हो गया जीजा जी को मरे हुए, और अब दीदी भी लगभग जीजा जी को भूल गयी थी। धीरे धीरे दीदी फिर से अच्छे से रहने लगी। मै रोज रात को नॉन वेज सेक्स स्टोरी डॉट कॉम पर एक स्टोरी पढता था। एक दिन मै कहानी पढ़ रहा था, मैंने देखा कि उस पर एक दीदी और छोटे भाई की चुदाई की कहानी पड़ी हुई थी। मैंने कहानी को खोला जिसमे उस लड़के की बहन बहुत खुबसुरत थी बिल्कुल मेरी दीदी की की तरह। उस कहानी को पढने के बाद मेरे मन में बहुत गंदे गंदे ख्याल आने लगे थे दीदी के बारे में। मै दीदी के बारे में न चाहते हुए भी सोच रहा था।
कुछ दिन पहले की बात है, दीदी को रात में डरावाने सपने आते थे तो मम्मी ने मुझे से कहा – मै तो छोटू के पास लेटती हूँ तो तू ही अपनी दीदी के पास लेटजा। मैंने कहा ठीक है मम्मी को क्या पता था की मेरे दीदी एक पास लेटने से दीदी और मै किसी पति पत्नी की तरह चुदाई करने लगेंगे। रात हुई मै दीदी के साथ उनके बगल में लेट गया। दीदी तो जल्दी सो गई लेकिन मुझे कुछ देर तक नीद नही आई, फिर कुछ देर बाद मुझे हल्की हल्की नीद आने लगी थी। इतने में दीदी ने अपने हाथो को मेरे सीने पर रख दिया, मुझे लगा कि ये नीद में होंगी।
कुछ दिन पहले की बात है, दीदी को रात में डरावाने सपने आते थे तो मम्मी ने मुझे से कहा – मै तो छोटू के पास लेटती हूँ तो तू ही अपनी दीदी के पास लेटजा। मैंने कहा ठीक है मम्मी को क्या पता था की मेरे दीदी एक पास लेटने से दीदी और मै किसी पति पत्नी की तरह चुदाई करने लगेंगे। रात हुई मै दीदी के साथ उनके बगल में लेट गया। दीदी तो जल्दी सो गई लेकिन मुझे कुछ देर तक नीद नही आई, फिर कुछ देर बाद मुझे हल्की हल्की नीद आने लगी थी। इतने में दीदी ने अपने हाथो को मेरे सीने पर रख दिया, मुझे लगा कि ये नीद में होंगी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
