17-05-2022, 04:25 PM
शादी के रात को मेरा पलंग सजा हुआ था, मैं घुंघट लेके बैठी थी, पति देव आये, बैठे हकला हकला के बात करने लगे. पर मैं खुश थी चलो पति जैसा भी हो सम्पति खूब है. मैं और मेरे घरवाले सिर्फ सम्पति के लिए ही शादी किये थे, तो शुरुआत हो गई, ज़िंदगी में हम दोनों कैसे खुश रहेंगे, ज़िंदगी में क्या क्या पलानिंग होगी, ये सब बातें तो मुझे फ़िल्मी लगती थी. मुझे तो लग रहा था की बस मुझे आज रात खूब चोद दे. ये शादी के चक्कर में तिन महीने से चुदी नहीं थी. मैं खुद ही पहल किया और आँचल निचे गिर दी पलंग पर ताकि मेरी चूचियों का दीदार हो जाये हुआ भी ऐसा ही.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
