13-05-2022, 06:55 PM
अगले दिन दोपहर में बबलू बिंदिया से मिलने आया, घर पर बिंदिया बिल्कुल अकेली थी। बबलू इस बार बिंदिया को चोदने के मूड से आया था। आशा जानती थी की बिंदिया बबलू को बता देगी की आज वो घर पर अकेली है और बबलू इस बात का फायदा उठाने जरूर आएगा। आशा ने बिंदिया को पहले ही बता दिया था की जब बबलू उस से अकेले में मिले तो उसे क्या करना है। बबलू ने आते से बिंदिया को गले लगाया और उसके गालों पर एक चुम्मी दे दी। बबलू जैसे ही बिंदिया के होठों को चूमने लगा, बिंदिया ने उसे अपने से दूर किया।
बिंदिया: बबलू तुम पागल हो गए हो क्या?
बबलू: तुम्हारे प्यार में पागल हूं। (बबलू प्यार में तो नही, वासना में पागल हुआ था, उसे तो बस बिंदिया की चुदाई करनी थी।)
बिंदिया: अभी हम यहां कुछ नही कर सकते, कोई भी, कभी भी घर पर आ सकता है। ( कोई भी नही आने वाला था, आशा ने कह रखा था, जब तुम अकेले में हो तो तुम मुझे चुपके से बुला लेना और फिर मैं जैसा कहूं वैसा करना।)
बबलू: पर तुमने तो कहा था की तुम अकेली हो, घर पर कोई नहीं है।
बिंदिया: अकेली तो हूं, पर कोई भी आ सकता है, ये सब करना बहुत रिस्की है। तुम बैठो मैं तुम्हारे लिए पानी लाती हूं।
(बिंदिया किचन में गई और आशा को कॉल किया। पानी लेकर वापस बबलू के पास आ गई)
बबलू: तुम आज बहुत ही खूबसूरत दिख रही हो (बबलू ने बिंदिया की तारीफ़ करते हुए उसकी जुल्फों को छूने लगा। तारीफ़ करना तो सिर्फ बहाना था, बबलू का इरादा तो सिर्फ बिंदिया की चुदाई थी।)
घर की बेल की आवाज से बबलू थोड़ा घबरा गया,
बिंदिया: बबलू तुम उपर रूम में 2मिनट रुको, मैं तुम्हे वही मिलती हूं। शायद आस पड़ोस से कोई आया होगा।
(दरवाजे पर आशा थी, बिंदिया ने उसको चुपके से घर के अंदर बुला लिया। बिंदिया ऊपर रूम में बबलू के पास चली गई)
बबलू: (घबराते हुए) कौन था?
बिंदिया: कोई सेल्स मेन आया था, किसी प्रोडक्ट की मार्केटिंग करने।
बबलू: (एक दम बेफिक्र होकर बिंदिया को कस कर गले लगाया) उस मादरचोद ने तो मुझे डरा ही दिया था।
बिंदिया: (बबलू से दूर होकर, उसे घूरते हुए। बिंदिया को गालियां बिल्कुल भी पसंद नही थी) कितनी गंदी गालियां देते हो। मुझे तो लगता था की तुम शरीफ़ हो।
(बबलू को अहसास हो गया था की उसने गलती कर दी है, बिंदिया को मानने की कोशिश करने लगा। आशा चुपके से सब देख और सुन रही थी, बिंदिया का चेहरा देख कर समझ आ गया था की बिंदिया को बहुत बुरा लगा है। शायद बिंदिया बबलू को घर से बाहर जाने का भी बोल सकती है। तभी घर का लैंडलाइन फोन बजने लगा, बिंदिया ने बबलू को वही रूम में रुकने का इशारा किया, रूम का दरवाजा बंद करके कॉल उठाने वो बाहर आई। आशा ने बिंदिया को इशारे से वही रोका। वो कॉल आशा ने)
बिंदिया: क्या हुआ?
आशा: गुस्सा क्यों कर रही हो?
बिंदिया: मुझे ये ऐसे गंदे शब्द बिल्कुल भी पसंद नही है।
आशा: अब उस बात को छोड़ो भी, मैंने जो बताया है उस पर ध्यान दो। (आशा जानती थी की बिंदिया को अभी कुछ भी समझाना बेकार है।)
बिंदिया रूम में आई और उसने बबलू को पलंग पर बिठाया। बिंदिया ने बबलू की आंखों पर पट्टी बांध दी। (आशा ने उसे ऐसा करने के लिए कहा था)
बबलू: आंखों पर पट्टी क्यों बांध रही हो बिंदिया।
बिंदिया: (उसके होठों पर ऊंगली रखते हुए) चुप रहो, कुछ मत कहो। Just feel it baby (बिंदिया ने बबलू के गालों पर चुम्बन किया, आशा ने देखा की बबलू की आंखों पर पट्टी बंधी है, वो धीरे से रूम के अंदर आ गई। आशा ने उसे जैसे ही इशारा किया, बिंदिया बबलू के होठों को चूमने लगी। बबलू का लंड एक दम कड़क हो चुका था और बिंदिया की चुत से चिपका हुआ था। बिंदिया की तरफ से कोई विरोध नहीं था, बबलू की तो जैसे लॉटरी लग गई, वो बहुत खुश हुआ की अब चुदाई में कोई दिक्कत नही है। आशा ने बिंदिया का हाथ पकड़ के बबलू की पैंट में बने लंड के उभार पर रख दिया। आशा बिंदिया को ईशारा कर रही थी की अब वो लंड को उसकी पैंट से बाहर निकाल कर मुंह में चूसे। इधर बबलू बिंदिया के बूब्स कपड़े के ऊपर से सहलाते सहलाते, हाथ बिंदिया के कपड़ो में डाल कर बूब्स मसलने लगा था। चूंकि बिंदिया के बूब्स छोटे थे, तो बबलू ने ज्यादा देर उन्हे नही मसला, पर इतना मसल चुका था की बिंदिया को चुत को अच्छे से गीली कर चुका था। अब बबलू ने अपना हाथ बिंदिया की चुत पर रख दिया था। बबलू का लक्ष्य बिंदिया को नंगा करना था और फिर उसकी चुदाई करनी थी। आशा ने बिंदिया का हाथ बबलू के लंड से हटाया और धीरे से उसकी पैंट की चैन खोल दी। आशा ने बिंदिया का हाथ खुली चैन में डाल दिया। बिंदिया भी बहुत उत्तेजित हो गई थी, पर अभी भी वो लंड को देखने और छूने से डर रही थी। आशा ने ईशारे में बिंदिया से कहा की अगर तूने बबलू के लंड को बाहर नही निकला तो फिर खुद उसे निकाल देगी। बबलू ने अपनी पैंट का बेल्ट और हुक खोल कर पैंट को ढीला कर दिया। बिंदिया के सामने बबलू की चड्डी में तना हुआ लंड था। बिंदिया ने हिम्मत कर के उसकी चड्डी से लंड को बाहर निकाला। बिंदिया ने पहली बार मर्द के लंड को करीब से देखा और महसूस किया था। बिंदिया ने नजर घुमा कर आशा की और कर ली थी, आशा ने उसे अपने हाथो से इशारा कर के बताया की लंड को पकड़ना कैसे है। बिंदिया ने झिझकते हुए लंड को छुआ। बिंदिया की नजर लंड पर नही थी, वो तो आशा की तरफ ही देख रही थी। आशा उसे इशारे से बोल रही थी की अब लंड को चुमो और चुसो। बिंदिया इसके लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं हो पा रही थी। बिंदिया ने अपना हाथ उसके लंड से हटाया और फिर उसके लंड को धीरे से पकड़ा, फिर लंड से हाथ हटाया और धीरे से लंड को फिर से पकड़ा। बिंदिया जब भी बबलू के लंड को छुती उसे अजीब लगता और लंड से हाथ हटा लेती। इधर बबलू को ये लग रहा था की बिंदिया उसके लंड से खेल रही है और हल्के हल्के से दबा रही है। बबलू पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था। आशा ने बिंदिया के सर को पकड़ के बबलू के लंड के पास कर दिया। बिंदिया कुछ बोल नहीं सकती थी, नही तो बबलू को पता चल जायेगा की उन दोनो के अलावा भी कोई तीसरा इस रूम में है। बिंदिया ने अपनी जीभ निकाल कर बबलू के लंड को चाटने लगी। बबलू एक दम से अपनी चरम सीमा पर पहुंचा और उसके लंड ने पिचकारी मारी। बिंदिया के चेहरे और हाथो पर उसके लंड की मलाई चिपक गई। आशा ने रूम की लाइट बंद की और जल्दी से रूम से बाहर निकल गई, क्योंकि उसे पता था की बबलू अब अपनी आंखो की पट्टी हटाएगा। बबलू ने अपनी पट्टी हटाई और बिंदिया ने लाइट चालू की। बिंदिया अपने आप को साफ करने बाथरूम गई। बबलू ने अपने कपड़े सही किए और बिंदिया से मिलकर घर से निकल गया। बबलू घर तो पहुंच गया था, पर उसका दिल और दिमाग दोनो चुदाई में ही थे। बबलू बहुत ही शर्मिंदगी महसूस कर रहा था, क्योंकि वो बहुत ही जल्दी झड़ गया था। इधर बिंदिया भी शर्मिंदगी में थी। उसे बड़ा अजीब लग रहा था, उसके लिए वीर्य बहुत ही गंदी चीज थी और आज पूरे चेहरे पर वीर्य हो गया था। उसका ऐसा सोचना था की आज जो उसने बबलू के साथ किया है वो बहुत ही घिनौना काम है। आशा ने बिंदिया से बात करने की कोशिश की पर बिंदिया बिल्कुल भी बात करने के मूड में नहीं थी। आशा भी बिंदिया के घर से चली गई। इधर बबलू की परेशानी उसे ही समझ नही आ रही थी एक तरफ तो उसे लग रहा था की ये सब अतिउत्तेजाना में हुआ है, उसके लिए ये पहली बार था। इसके पहले उसने पोर्न देख कर मुठ मारा है, किसी लड़की के साथ पहला मौका था। दूसरी तरफ उसे ये भी लग रहा था की वोह बहुत जल्दी झड़ गया, वो किसी लड़की को चरम सुख कैसे देगा। उसने कई चुदाई की कहानियां पढ़ी थी, जिसमे औरते अपने पति से चरम सुख ना मिल पाने के कारण दूसरे मर्दों के साथ चुदाई करती है। उसे चिंता थी तो ये की भविष्य में उसकी बीवी बेवफा न हो जाए। उसने बिंदिया को मैसेज किया, "आज जो भी हुआ उसके लिए I'm so sorry.. I hope you will forgive me.." बिंदिया ने बबलू के मैसेज का कोई जवाब नही दिया। बिंदिया ने अपना मोबाइल स्विच ऑफ कर लिया। बिंदिया को आशा और खुद पर गुस्सा आ रहा था की कहा उसकी बातो में आकर ऐसे अश्लील काम करने लगी। सोचते सोचते बिंदिया के सर में दर्द होने लगा था, वो पलंग के साइड में जमीन पर लेटी थी, उसे वही नींद लग गई थी। शाम को बिंदिया की नींद खुली, उसके सर में अभी भी हल्का हल्का दर्द था। बिंदिया के रूम में अंधेरा था, बिंदिया लाइट चालू करने उठी ही थी की उसे उसके भाई की आवाज सुनाई दी
भाई: अरे अब आओ भी, पैक तैयार है।
भाभी: एक मिनट रुको, पहले बिंदिया से बात कर लेने दो।
भाई: मैंने थोड़ी देर पहले कॉल किया था, उसका नंबर स्विच ऑफ आ रहा था।
भाभी: एक बार और कोशिश कर के देखती हूं।
(बिंदिया को ध्यान आया की उसने तो अपना मोबाइल स्विच ऑफ कर लिया था, बिंदिया ने तुरंत मोबाइल स्विच ऑन किया और मोबाइल को साइलेंट कर लिया था, इधर भाभी ने जब तीसरी बार कॉल किया तो बिंदिया को कॉल लगा, बिंदिया ने कॉल उठाया)
बिंदिया: (धीमे आवाज में) हां भाभी कहिये।
भाभी: हम घर आए थे, तुम घर पर नहीं दिखी तो तुम्हे कॉल लगाया।
बिंदिया: (बिंदिया जानना चाहती थी की भैया भाभी ड्रिंक करते है, इसलिए उसने जूठ बोला) भाभी ने आशा के साथ हूं, मुझे आते आते रात हो जाएगी। आप चिंता ना करे।
भाभी: ठीक है। (इतना बोलकर फोन रख दिया)
भैया: हो गई शांति, अब तुम आराम से पी सकती हो।
भाभी: मुझसे ज्यादा खुशी तो तुम्हे हो रही है।
भैया: आज बहुत दिनों बाद मौका मिला है मजे करने का।
(बिंदिया ने देखा भैया भाभी दोनो सोफे पर बैठे है, भाभी भैया की बाहों में है और दोनो ड्रिंक कर रहे है। लगभग आधे घंटे वो दोनो ऐसे ही बैठकर पी रहे थे, बिंदिया उन्हे सिर्फ देख पा रही थी, उनकी बाते सुन नही पा रही थी, दोनो चिपके हुए थे तो बहुत ही धीरे धीरे बाते कर रहे थे। भाभी उठा कर वाशरूम गई। बिंदिया को भी पेशाब आ रही थी, बिंदिया अंधेरे में ही धीरे से वाशरूम गई। जब बिंदिया वापस आई तब उसे भैया भाभी की आवाज सुनाई दे रही थी।
भैया: बहुत ही सेक्सी लग रही हो।
(बिंदिया ने देखा भाभी ने एक बहुत ही छोटा सा टॉप और शॉर्ट पहना हुआ है। भैया और भाभी के बीच लगभग 10 से 12 फीट की दूरी थी, इसलिए वो थोड़ा जोर से बोल रहे थे।)
भाभी: रहने दो, तुम्हे तो वो तुम्हारी ऑफिस वाली राण्ड ही सेक्सी लगती है।
भैया: तुम से ज्यादा सेक्सी नही है।
भाभी: रहने दो, जूठ मत बोलो, जब भी मौका मिलता है, तुम उसके बोबे घूरने लगते हो। पिछली बार तो उसकी गांड़ देख के तुम्हारा लंड कैसा खड़ा हो गया था।
भैया: उसने कपड़े भी तो ऐसे ही पहने थे। उसे ऐसे देख के तो हर मर्द का लंड खड़ा हो जाए। (भैया भाभी के पास आ गए और भाभी को अपनी बाहों में उठा कर सोफे पर लिटाया और भाभी के बदन को चूमने लगे, बिंदिया को समझ नही आ रहा था की वोह अब वहा रुके या जाए, बिंदिया ने अपनी आंखें और कान बंद कर चुकी थी। उसके दिमाग में आशा की बात घूमने लगी, "एक औरत सिर्फ अपने जिस्म से ही सेक्सी नही होती, अपनी अदाओं से भी सेक्सी होती है।" उसने झटके से अपने आंख और कान खोले। उसने जो दृश्य देखा उससे उसकी आंखे फटी रह गई और दिमाग भी शून्य हो गया। भैया भाभी सोफे पर एक दूसरे के ऊपर नंगे मुखमैथुन क्रिया में थे। भैया भाभी की चुत चूस रहे थे और भाभी भैया का लंड चूस रही थी। इस काम क्रिया का दोनो भरपूर आनंद ले रहे थे। बिंदिया ने अपने भैया भाभी का ऐसा रूप पहली बार देखा था, बिंदिया अपने भैया भाभी को इस तरह काम क्रीड़ा करते हुए अब और नहीं देखना चाहती थी। बिंदिया अपने रूम में आ गई, उसे अब तक आशा पर जो गुस्सा आ रहा था वो एक दम से खत्म हो गया। उसे लगने लगा की आशा ने जो भी बाते कही थी शायद वो सब उसी की भलाई के लिए कही थी। बबलू का पर्स वही रूम में गिर गया था, बिंदिया ने उसे उठाया और अपने पास रख लिया। बिंदिया ने सोचा कल वो बबलू को वापस कर देगी। अगले दिन जब बबलू बिंदिया के घर गई, उस समय बबलू घर पर अकेला था। बबलू बिंदिया से बात करने में झिझक रहा था, उसे डर था की बिंदिया उस से नाराज होगी। बिंदिया भी समझ रही थी बबलू शायद बात करने में झिझक रहा है, बिंदिया ने बबलू को गले लगाया। इधर बबलू के अंदर की वासना जागने लगी, और बबलू ने धीरे से बिंदिया के गालों पर किस कर के बिंदिया को सॉरी कहा। बिंदिया ने बबलू को कहा it's okay, just chill. (बिंदिया को पता नही क्या हुआ, उसने बबलू के गालों पर एक चुम्बन किया। बिंदिया शर्मा गई और उसने नज़रे झुका ली।) बबलू ने जवाब में बिंदिया को सिर्फ thanks कहा। बबलू ने बिंदिया के होठों पर चुम्बन किया, बिंदिया की और से कोई विरोध न देख कर एक बार फिर से बिंदिया के होठों को चूमने लगा, बिंदिया ने भी थोड़ा सा उसका साथ दिया। बबलू के दिमाग में तो एक ही बात थी की बिंदिया को अच्छे से चोद कर खुद को अपनी मर्दानगी दिखानी है। बबलू चूमते चूमते बिंदिया के बदन से भी खेलने लगा था, बिंदिया के कपड़े धीरे धीरे करके उतारने लगा था। बिंदिया सिर्फ ब्रा पैंटी में थी और उसकी आंखें बंद थी। बबलू ने खुद को नंगा किया, फिर बिंदिया की ब्रा पैंटी भी उतार दी। बिंदिया आंखे बंद कर के लेती हुई थी। 1 मिनट में चुम्बन से लेकर नंगे होने की क्रिया हो गई, क्योंकि बबलू को चोदने की जल्दी जो थी। आशा की बातो और भैया भाभी की काम लीला ने बिंदिया को चुदाई के लिए मानसिक रूप से तैयार कर दिया था। बबलू ने बिना किसी देरी किए अपने खड़े लंड पर कंडोम लगाया और बिंदिया की चुत में लंड घुसाने लगा। बिंदिया के लिए ये एक जोरदार प्रहार था, बिंदिया चीख पड़ी, बबलू को लगा की उसके लंड ने कमाल दिखाया है, अब बिंदिया को अच्छे से चोदना है। बबलू बिंदिया की चुत में लंड डाल के झटके देने लगा। बिंदिया दर्द के मारे चिलाने लगी, अगले एक मिनट में बबलू झड़ गया, उसने बिंदिया की चुत से अपना लंड निकाला, कंडोम पर खून लगा था। बिंदिया की पहली चुदाई थी, बबलू ये देख मन ही मन खुश हुआ की उसने कुंवारी लड़की चोदी है। बिंदिया की चुत में जलन हो रही थी। बिंदिया जल्दी से बबलू के घर से निकल कर अपने घर आ गई। उसने ये बात आशा को नही बताई। दो दिन बाद जब बिंदिया की चुत पूरी तरह से ठीक हो गई, बबलू ने फिर से बिंदिया को चोदने का कार्यक्रम बनाया। बिंदिया इस बात से अनजान थी की ये बबलू का प्यार नही उसकी हवस थी। इस बार भी जब बिंदिया की और बबलू ने कोई विरोध न देखा तो फिर से बिंदिया की चुदाई शुरू कर दी। बिंदिया खुद हैरान थी की वोह क्यों बबलू से फिर से चुदवा रही है, पर इस बार बिंदिया पहली बार चुदाई का आनंद ले रही थी। बबलू तो दो मिनट में झड़ गया। बिंदिया को ख्याल आया की उसके भैया भाभी तो बहुत देर तक कामवासना कर रहे थे, बबलू इतनी जल्दी क्यों रुक गया। इस बार बबलू को फिर से लगा की वोह शायद जल्दी झड़ गया है। बबलू ने अगले दिन का फिर से चुदाई का प्लान बनाया, बिंदिया भी इस बार राजी थी, क्योंकि वो एक बार अच्छे से चुदाई को समझना चाहती थी। पर इस बार भी बबलू की चुदाई 2 से 3 मिनट ही चली। बबलू और बिंदिया अपने अपने घर आ गए।
बिंदिया: बबलू तुम पागल हो गए हो क्या?
बबलू: तुम्हारे प्यार में पागल हूं। (बबलू प्यार में तो नही, वासना में पागल हुआ था, उसे तो बस बिंदिया की चुदाई करनी थी।)
बिंदिया: अभी हम यहां कुछ नही कर सकते, कोई भी, कभी भी घर पर आ सकता है। ( कोई भी नही आने वाला था, आशा ने कह रखा था, जब तुम अकेले में हो तो तुम मुझे चुपके से बुला लेना और फिर मैं जैसा कहूं वैसा करना।)
बबलू: पर तुमने तो कहा था की तुम अकेली हो, घर पर कोई नहीं है।
बिंदिया: अकेली तो हूं, पर कोई भी आ सकता है, ये सब करना बहुत रिस्की है। तुम बैठो मैं तुम्हारे लिए पानी लाती हूं।
(बिंदिया किचन में गई और आशा को कॉल किया। पानी लेकर वापस बबलू के पास आ गई)
बबलू: तुम आज बहुत ही खूबसूरत दिख रही हो (बबलू ने बिंदिया की तारीफ़ करते हुए उसकी जुल्फों को छूने लगा। तारीफ़ करना तो सिर्फ बहाना था, बबलू का इरादा तो सिर्फ बिंदिया की चुदाई थी।)
घर की बेल की आवाज से बबलू थोड़ा घबरा गया,
बिंदिया: बबलू तुम उपर रूम में 2मिनट रुको, मैं तुम्हे वही मिलती हूं। शायद आस पड़ोस से कोई आया होगा।
(दरवाजे पर आशा थी, बिंदिया ने उसको चुपके से घर के अंदर बुला लिया। बिंदिया ऊपर रूम में बबलू के पास चली गई)
बबलू: (घबराते हुए) कौन था?
बिंदिया: कोई सेल्स मेन आया था, किसी प्रोडक्ट की मार्केटिंग करने।
बबलू: (एक दम बेफिक्र होकर बिंदिया को कस कर गले लगाया) उस मादरचोद ने तो मुझे डरा ही दिया था।
बिंदिया: (बबलू से दूर होकर, उसे घूरते हुए। बिंदिया को गालियां बिल्कुल भी पसंद नही थी) कितनी गंदी गालियां देते हो। मुझे तो लगता था की तुम शरीफ़ हो।
(बबलू को अहसास हो गया था की उसने गलती कर दी है, बिंदिया को मानने की कोशिश करने लगा। आशा चुपके से सब देख और सुन रही थी, बिंदिया का चेहरा देख कर समझ आ गया था की बिंदिया को बहुत बुरा लगा है। शायद बिंदिया बबलू को घर से बाहर जाने का भी बोल सकती है। तभी घर का लैंडलाइन फोन बजने लगा, बिंदिया ने बबलू को वही रूम में रुकने का इशारा किया, रूम का दरवाजा बंद करके कॉल उठाने वो बाहर आई। आशा ने बिंदिया को इशारे से वही रोका। वो कॉल आशा ने)
बिंदिया: क्या हुआ?
आशा: गुस्सा क्यों कर रही हो?
बिंदिया: मुझे ये ऐसे गंदे शब्द बिल्कुल भी पसंद नही है।
आशा: अब उस बात को छोड़ो भी, मैंने जो बताया है उस पर ध्यान दो। (आशा जानती थी की बिंदिया को अभी कुछ भी समझाना बेकार है।)
बिंदिया रूम में आई और उसने बबलू को पलंग पर बिठाया। बिंदिया ने बबलू की आंखों पर पट्टी बांध दी। (आशा ने उसे ऐसा करने के लिए कहा था)
बबलू: आंखों पर पट्टी क्यों बांध रही हो बिंदिया।
बिंदिया: (उसके होठों पर ऊंगली रखते हुए) चुप रहो, कुछ मत कहो। Just feel it baby (बिंदिया ने बबलू के गालों पर चुम्बन किया, आशा ने देखा की बबलू की आंखों पर पट्टी बंधी है, वो धीरे से रूम के अंदर आ गई। आशा ने उसे जैसे ही इशारा किया, बिंदिया बबलू के होठों को चूमने लगी। बबलू का लंड एक दम कड़क हो चुका था और बिंदिया की चुत से चिपका हुआ था। बिंदिया की तरफ से कोई विरोध नहीं था, बबलू की तो जैसे लॉटरी लग गई, वो बहुत खुश हुआ की अब चुदाई में कोई दिक्कत नही है। आशा ने बिंदिया का हाथ पकड़ के बबलू की पैंट में बने लंड के उभार पर रख दिया। आशा बिंदिया को ईशारा कर रही थी की अब वो लंड को उसकी पैंट से बाहर निकाल कर मुंह में चूसे। इधर बबलू बिंदिया के बूब्स कपड़े के ऊपर से सहलाते सहलाते, हाथ बिंदिया के कपड़ो में डाल कर बूब्स मसलने लगा था। चूंकि बिंदिया के बूब्स छोटे थे, तो बबलू ने ज्यादा देर उन्हे नही मसला, पर इतना मसल चुका था की बिंदिया को चुत को अच्छे से गीली कर चुका था। अब बबलू ने अपना हाथ बिंदिया की चुत पर रख दिया था। बबलू का लक्ष्य बिंदिया को नंगा करना था और फिर उसकी चुदाई करनी थी। आशा ने बिंदिया का हाथ बबलू के लंड से हटाया और धीरे से उसकी पैंट की चैन खोल दी। आशा ने बिंदिया का हाथ खुली चैन में डाल दिया। बिंदिया भी बहुत उत्तेजित हो गई थी, पर अभी भी वो लंड को देखने और छूने से डर रही थी। आशा ने ईशारे में बिंदिया से कहा की अगर तूने बबलू के लंड को बाहर नही निकला तो फिर खुद उसे निकाल देगी। बबलू ने अपनी पैंट का बेल्ट और हुक खोल कर पैंट को ढीला कर दिया। बिंदिया के सामने बबलू की चड्डी में तना हुआ लंड था। बिंदिया ने हिम्मत कर के उसकी चड्डी से लंड को बाहर निकाला। बिंदिया ने पहली बार मर्द के लंड को करीब से देखा और महसूस किया था। बिंदिया ने नजर घुमा कर आशा की और कर ली थी, आशा ने उसे अपने हाथो से इशारा कर के बताया की लंड को पकड़ना कैसे है। बिंदिया ने झिझकते हुए लंड को छुआ। बिंदिया की नजर लंड पर नही थी, वो तो आशा की तरफ ही देख रही थी। आशा उसे इशारे से बोल रही थी की अब लंड को चुमो और चुसो। बिंदिया इसके लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं हो पा रही थी। बिंदिया ने अपना हाथ उसके लंड से हटाया और फिर उसके लंड को धीरे से पकड़ा, फिर लंड से हाथ हटाया और धीरे से लंड को फिर से पकड़ा। बिंदिया जब भी बबलू के लंड को छुती उसे अजीब लगता और लंड से हाथ हटा लेती। इधर बबलू को ये लग रहा था की बिंदिया उसके लंड से खेल रही है और हल्के हल्के से दबा रही है। बबलू पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था। आशा ने बिंदिया के सर को पकड़ के बबलू के लंड के पास कर दिया। बिंदिया कुछ बोल नहीं सकती थी, नही तो बबलू को पता चल जायेगा की उन दोनो के अलावा भी कोई तीसरा इस रूम में है। बिंदिया ने अपनी जीभ निकाल कर बबलू के लंड को चाटने लगी। बबलू एक दम से अपनी चरम सीमा पर पहुंचा और उसके लंड ने पिचकारी मारी। बिंदिया के चेहरे और हाथो पर उसके लंड की मलाई चिपक गई। आशा ने रूम की लाइट बंद की और जल्दी से रूम से बाहर निकल गई, क्योंकि उसे पता था की बबलू अब अपनी आंखो की पट्टी हटाएगा। बबलू ने अपनी पट्टी हटाई और बिंदिया ने लाइट चालू की। बिंदिया अपने आप को साफ करने बाथरूम गई। बबलू ने अपने कपड़े सही किए और बिंदिया से मिलकर घर से निकल गया। बबलू घर तो पहुंच गया था, पर उसका दिल और दिमाग दोनो चुदाई में ही थे। बबलू बहुत ही शर्मिंदगी महसूस कर रहा था, क्योंकि वो बहुत ही जल्दी झड़ गया था। इधर बिंदिया भी शर्मिंदगी में थी। उसे बड़ा अजीब लग रहा था, उसके लिए वीर्य बहुत ही गंदी चीज थी और आज पूरे चेहरे पर वीर्य हो गया था। उसका ऐसा सोचना था की आज जो उसने बबलू के साथ किया है वो बहुत ही घिनौना काम है। आशा ने बिंदिया से बात करने की कोशिश की पर बिंदिया बिल्कुल भी बात करने के मूड में नहीं थी। आशा भी बिंदिया के घर से चली गई। इधर बबलू की परेशानी उसे ही समझ नही आ रही थी एक तरफ तो उसे लग रहा था की ये सब अतिउत्तेजाना में हुआ है, उसके लिए ये पहली बार था। इसके पहले उसने पोर्न देख कर मुठ मारा है, किसी लड़की के साथ पहला मौका था। दूसरी तरफ उसे ये भी लग रहा था की वोह बहुत जल्दी झड़ गया, वो किसी लड़की को चरम सुख कैसे देगा। उसने कई चुदाई की कहानियां पढ़ी थी, जिसमे औरते अपने पति से चरम सुख ना मिल पाने के कारण दूसरे मर्दों के साथ चुदाई करती है। उसे चिंता थी तो ये की भविष्य में उसकी बीवी बेवफा न हो जाए। उसने बिंदिया को मैसेज किया, "आज जो भी हुआ उसके लिए I'm so sorry.. I hope you will forgive me.." बिंदिया ने बबलू के मैसेज का कोई जवाब नही दिया। बिंदिया ने अपना मोबाइल स्विच ऑफ कर लिया। बिंदिया को आशा और खुद पर गुस्सा आ रहा था की कहा उसकी बातो में आकर ऐसे अश्लील काम करने लगी। सोचते सोचते बिंदिया के सर में दर्द होने लगा था, वो पलंग के साइड में जमीन पर लेटी थी, उसे वही नींद लग गई थी। शाम को बिंदिया की नींद खुली, उसके सर में अभी भी हल्का हल्का दर्द था। बिंदिया के रूम में अंधेरा था, बिंदिया लाइट चालू करने उठी ही थी की उसे उसके भाई की आवाज सुनाई दी
भाई: अरे अब आओ भी, पैक तैयार है।
भाभी: एक मिनट रुको, पहले बिंदिया से बात कर लेने दो।
भाई: मैंने थोड़ी देर पहले कॉल किया था, उसका नंबर स्विच ऑफ आ रहा था।
भाभी: एक बार और कोशिश कर के देखती हूं।
(बिंदिया को ध्यान आया की उसने तो अपना मोबाइल स्विच ऑफ कर लिया था, बिंदिया ने तुरंत मोबाइल स्विच ऑन किया और मोबाइल को साइलेंट कर लिया था, इधर भाभी ने जब तीसरी बार कॉल किया तो बिंदिया को कॉल लगा, बिंदिया ने कॉल उठाया)
बिंदिया: (धीमे आवाज में) हां भाभी कहिये।
भाभी: हम घर आए थे, तुम घर पर नहीं दिखी तो तुम्हे कॉल लगाया।
बिंदिया: (बिंदिया जानना चाहती थी की भैया भाभी ड्रिंक करते है, इसलिए उसने जूठ बोला) भाभी ने आशा के साथ हूं, मुझे आते आते रात हो जाएगी। आप चिंता ना करे।
भाभी: ठीक है। (इतना बोलकर फोन रख दिया)
भैया: हो गई शांति, अब तुम आराम से पी सकती हो।
भाभी: मुझसे ज्यादा खुशी तो तुम्हे हो रही है।
भैया: आज बहुत दिनों बाद मौका मिला है मजे करने का।
(बिंदिया ने देखा भैया भाभी दोनो सोफे पर बैठे है, भाभी भैया की बाहों में है और दोनो ड्रिंक कर रहे है। लगभग आधे घंटे वो दोनो ऐसे ही बैठकर पी रहे थे, बिंदिया उन्हे सिर्फ देख पा रही थी, उनकी बाते सुन नही पा रही थी, दोनो चिपके हुए थे तो बहुत ही धीरे धीरे बाते कर रहे थे। भाभी उठा कर वाशरूम गई। बिंदिया को भी पेशाब आ रही थी, बिंदिया अंधेरे में ही धीरे से वाशरूम गई। जब बिंदिया वापस आई तब उसे भैया भाभी की आवाज सुनाई दे रही थी।
भैया: बहुत ही सेक्सी लग रही हो।
(बिंदिया ने देखा भाभी ने एक बहुत ही छोटा सा टॉप और शॉर्ट पहना हुआ है। भैया और भाभी के बीच लगभग 10 से 12 फीट की दूरी थी, इसलिए वो थोड़ा जोर से बोल रहे थे।)
भाभी: रहने दो, तुम्हे तो वो तुम्हारी ऑफिस वाली राण्ड ही सेक्सी लगती है।
भैया: तुम से ज्यादा सेक्सी नही है।
भाभी: रहने दो, जूठ मत बोलो, जब भी मौका मिलता है, तुम उसके बोबे घूरने लगते हो। पिछली बार तो उसकी गांड़ देख के तुम्हारा लंड कैसा खड़ा हो गया था।
भैया: उसने कपड़े भी तो ऐसे ही पहने थे। उसे ऐसे देख के तो हर मर्द का लंड खड़ा हो जाए। (भैया भाभी के पास आ गए और भाभी को अपनी बाहों में उठा कर सोफे पर लिटाया और भाभी के बदन को चूमने लगे, बिंदिया को समझ नही आ रहा था की वोह अब वहा रुके या जाए, बिंदिया ने अपनी आंखें और कान बंद कर चुकी थी। उसके दिमाग में आशा की बात घूमने लगी, "एक औरत सिर्फ अपने जिस्म से ही सेक्सी नही होती, अपनी अदाओं से भी सेक्सी होती है।" उसने झटके से अपने आंख और कान खोले। उसने जो दृश्य देखा उससे उसकी आंखे फटी रह गई और दिमाग भी शून्य हो गया। भैया भाभी सोफे पर एक दूसरे के ऊपर नंगे मुखमैथुन क्रिया में थे। भैया भाभी की चुत चूस रहे थे और भाभी भैया का लंड चूस रही थी। इस काम क्रिया का दोनो भरपूर आनंद ले रहे थे। बिंदिया ने अपने भैया भाभी का ऐसा रूप पहली बार देखा था, बिंदिया अपने भैया भाभी को इस तरह काम क्रीड़ा करते हुए अब और नहीं देखना चाहती थी। बिंदिया अपने रूम में आ गई, उसे अब तक आशा पर जो गुस्सा आ रहा था वो एक दम से खत्म हो गया। उसे लगने लगा की आशा ने जो भी बाते कही थी शायद वो सब उसी की भलाई के लिए कही थी। बबलू का पर्स वही रूम में गिर गया था, बिंदिया ने उसे उठाया और अपने पास रख लिया। बिंदिया ने सोचा कल वो बबलू को वापस कर देगी। अगले दिन जब बबलू बिंदिया के घर गई, उस समय बबलू घर पर अकेला था। बबलू बिंदिया से बात करने में झिझक रहा था, उसे डर था की बिंदिया उस से नाराज होगी। बिंदिया भी समझ रही थी बबलू शायद बात करने में झिझक रहा है, बिंदिया ने बबलू को गले लगाया। इधर बबलू के अंदर की वासना जागने लगी, और बबलू ने धीरे से बिंदिया के गालों पर किस कर के बिंदिया को सॉरी कहा। बिंदिया ने बबलू को कहा it's okay, just chill. (बिंदिया को पता नही क्या हुआ, उसने बबलू के गालों पर एक चुम्बन किया। बिंदिया शर्मा गई और उसने नज़रे झुका ली।) बबलू ने जवाब में बिंदिया को सिर्फ thanks कहा। बबलू ने बिंदिया के होठों पर चुम्बन किया, बिंदिया की और से कोई विरोध न देख कर एक बार फिर से बिंदिया के होठों को चूमने लगा, बिंदिया ने भी थोड़ा सा उसका साथ दिया। बबलू के दिमाग में तो एक ही बात थी की बिंदिया को अच्छे से चोद कर खुद को अपनी मर्दानगी दिखानी है। बबलू चूमते चूमते बिंदिया के बदन से भी खेलने लगा था, बिंदिया के कपड़े धीरे धीरे करके उतारने लगा था। बिंदिया सिर्फ ब्रा पैंटी में थी और उसकी आंखें बंद थी। बबलू ने खुद को नंगा किया, फिर बिंदिया की ब्रा पैंटी भी उतार दी। बिंदिया आंखे बंद कर के लेती हुई थी। 1 मिनट में चुम्बन से लेकर नंगे होने की क्रिया हो गई, क्योंकि बबलू को चोदने की जल्दी जो थी। आशा की बातो और भैया भाभी की काम लीला ने बिंदिया को चुदाई के लिए मानसिक रूप से तैयार कर दिया था। बबलू ने बिना किसी देरी किए अपने खड़े लंड पर कंडोम लगाया और बिंदिया की चुत में लंड घुसाने लगा। बिंदिया के लिए ये एक जोरदार प्रहार था, बिंदिया चीख पड़ी, बबलू को लगा की उसके लंड ने कमाल दिखाया है, अब बिंदिया को अच्छे से चोदना है। बबलू बिंदिया की चुत में लंड डाल के झटके देने लगा। बिंदिया दर्द के मारे चिलाने लगी, अगले एक मिनट में बबलू झड़ गया, उसने बिंदिया की चुत से अपना लंड निकाला, कंडोम पर खून लगा था। बिंदिया की पहली चुदाई थी, बबलू ये देख मन ही मन खुश हुआ की उसने कुंवारी लड़की चोदी है। बिंदिया की चुत में जलन हो रही थी। बिंदिया जल्दी से बबलू के घर से निकल कर अपने घर आ गई। उसने ये बात आशा को नही बताई। दो दिन बाद जब बिंदिया की चुत पूरी तरह से ठीक हो गई, बबलू ने फिर से बिंदिया को चोदने का कार्यक्रम बनाया। बिंदिया इस बात से अनजान थी की ये बबलू का प्यार नही उसकी हवस थी। इस बार भी जब बिंदिया की और बबलू ने कोई विरोध न देखा तो फिर से बिंदिया की चुदाई शुरू कर दी। बिंदिया खुद हैरान थी की वोह क्यों बबलू से फिर से चुदवा रही है, पर इस बार बिंदिया पहली बार चुदाई का आनंद ले रही थी। बबलू तो दो मिनट में झड़ गया। बिंदिया को ख्याल आया की उसके भैया भाभी तो बहुत देर तक कामवासना कर रहे थे, बबलू इतनी जल्दी क्यों रुक गया। इस बार बबलू को फिर से लगा की वोह शायद जल्दी झड़ गया है। बबलू ने अगले दिन का फिर से चुदाई का प्लान बनाया, बिंदिया भी इस बार राजी थी, क्योंकि वो एक बार अच्छे से चुदाई को समझना चाहती थी। पर इस बार भी बबलू की चुदाई 2 से 3 मिनट ही चली। बबलू और बिंदिया अपने अपने घर आ गए।