13-05-2022, 05:37 PM
सार्थक के परिवार में उसके मम्मी पापा और उसकी दो बहनें हैं. दोनों बहनें एकदम कड़क माल लगती हैं.
अगर कोई उन्हें एक बार भी देख ले, तो बस देखता ही रह जाए.
एक बहन का नाम उर्वशी है, जो हम दोनों से (मुझसे और सार्थक से) 2 साल बड़ी है … यानि उर्वशी 21 साल की है और वो एमसीए कर रही है.
उर्वशी का रंग हल्का सा सांवला है … पर उसके नैन-नक्श बहुत तीखे हैं … जिससे उसके चेहरे पर एक रौनक सी रहती है.
उर्वशी कुछ चंचल स्वभाव की है, वो सबसे हंसी मजाक करती रहती है.
मुझसे तो वो कुछ ज्यादा ही मजाक करती है, जिसके बारे में मैं सेक्स कहानी में आगे बताऊंगा.
उर्वशी की हाइट 5 फ़ीट 3 इंच है और उसका 34-30-32 फिगर एकदम गदराया हुआ है.
उसके दूध बिल्कुल उठे हुए, किसी पहाड़ की चोटियों की तरह हैं.
बलखाती कमर के नीचे उसकी गांड एकदम टाइट है … और कमर के तो कहने ही क्या हैं.
कमर से नीचे उसका बदन बिल्कुल सुराही की तरह लगता है. जब वो अपनी गांड मटकाती हुई और बलखाती हुई चलती है, तो सच में मेरा मुँह खुला का खुला ही रह जाता है.
अब मैं आपको सार्थक की दूसरी बहन के बारे में भी बता देता हूँ.
उसका नाम प्रज्ञा है. वो हम दोनों से 3 साल बड़ी यानि बाईस साल की है.
प्रज्ञा एमएससी कर रही है और उसकी हाइट 5 फ़ीट 4 इंच है.
उसका साइज 32-30-28 का है जो कि उर्वशी से जरा कम है पर ये सील पैक आइटम है.
प्रज्ञा कुछ सीधी सी है और अपने काम से काम रखती है. किसी से ज्यादा बोलती भी नहीं है.
मुझसे थोड़ा बहुत बोलती और मजाक करती है क्योंकि मैं काफी सालों से सार्थक के घर जा रहा हूं.
इस सेक्स कहानी में मैं आपको बताऊंगा कि कैसे उर्वशी मुझसे चुद गई.
असल में मेरी कहानी लगभग दो महीने पहले से शुरू हुई थी.
मैं सार्थक के घर लगभग रोजाना ही जाता था, तो मेरी उर्वशी से भी बात हुआ करती थी.
वो मजाक में मुझसे वैक्सिंग के बारे में मजाक किया करती थी कि इतनी अच्छी वैक्सिंग कैसे कर लेते हो.
असल में मैं आपको बताऊं कि मेरे पूरे शरीर पर एक भी बाल नहीं है, क्योंकि मैं जिम जाता हूँ तो मेरी बॉडी भी अच्छी है और इसीलिए मैं अपनी बॉडी को सेक्सी बनाने के लिए अक्सर वैक्सिंग करता रहता हूँ.
उर्वशी की बात पर मैं उसको हंस कर बोल देता कि बस ऐसे ही!
कुछ दिनों तक ऐसा ही चलता रहा.
फिर कुछ टाइम बाद वो मुझसे कुछ ज्यादा ही घुली मिली हुई रहने लगी. उसका स्वभाव थोड़ा बदला सा लगने लगा था.
एक दिन तो वो अपनी क़ातिलाना नजरों से आंख मारती हुई बोली- यार, कभी मेरी भी वैक्सिंग कर दो न … हमने कौन सा तुम्हारा कुछ बिगाड़ा है. मुझे फालतू में पार्लर जाना पड़ता है.
मैंने भी हंस कर बोल दिया0 हां कभी टाइम मिलेगा तो कर देंगे.
तब तो वो आंख मारती हुई बोली- अच्छा जी … इसके लिए भी टाइम निकालना पड़ेगा?
मैंने भी उसे आंख मार दी.
उस दिन मैं वहां से जल्दी चला गया.
अब हमारी रोज ऐसे ही बातें होती रहतीं. कभी कभी हम चारों मैं, सार्थक, उर्वशी और प्रज्ञा एक साथ बैठ कर आपस में मस्ती कर लेते थे.
ऐसे ही समय बीतता गया और एक महीना निकल गया.
अब उर्वशी की हरकतें बढ़ने लगी थीं.
मैं आपको उर्वशी के बारे मैं बता चुका हूँ कि वो एक हंसमुख लड़की है, जो बस अपनी लाइफ को एन्जॉय करना चाहती है. वो पैसा भी बहुत खर्चा करती है, जिसके लिए वो अपने बॉयफ्रेंड भी जल्दी जल्दी बदलती रहती है.
अब उर्वशी मुझसे कुछ ज्यादा ही बातें करने लगी थी. वो मुझसे थोड़ा चिपक कर रहने लगी थी.
मैं उसको कभी दीदी बुलाता था, तो वो मुझसे कहती कि क्या यार दीदी दीदी लगा रखा है. मैं तुमसे इतनी बड़ी थोड़े ही हूँ … जो तुम मुझे दीदी दीदी बोलते हो.
मैंने कहा- आप मुझसे बड़ी तो हो ना. बाकी जैसे आप चाहोगी, मैं बुलाना शुरू कर दूंगा. मगर ऐसे आपका नाम लेना क्या सबको अजीब सा नहीं लगेगा!
वो बोली- ठीक है, पर अकेले में तुम मुझे मेरे नाम से ही बुलाया करो.
वैसे तो वो घर पर काफी बार अकेली रहती थी लेकिन मेरा उसके घर तब ही जाना होता था, जब घर पर सब होते थे.
मुझको सार्थक से ही काम होता था और मैं उर्वशी को अपनी बड़ी बहन की तरह मानता था तो मेरे मन में उसके लिए कोई गलत फीलिंग नहीं थी.
सार्थक का घर दो मंजिल का है, जिसमें नीचे उसके मम्मी पापा और प्रज्ञा रहते हैं और ऊपर सार्थक और उर्वशी का कमरा है.
उनके पापा तो हमेशा बाहर ही रहते हैं, वो शाम को देर से घर आते हैं. उसकी मम्मी काम में लगी रहती हैं, तो हम पर कोई ज्यादा ध्यान नहीं देता था.
एक दिन मैं उर्वशी के पास बैठा था और सार्थक बोल कर कहीं चला गया था कि उसे 15 मिनट का कुछ काम है. मैं इधर ही बैठूँ, वो अभी आता हूँ. फिर मेरे काम से चलेगा.
मैं ओके बोल कर उसके रूम में ही बैठ गया.
अगर कोई उन्हें एक बार भी देख ले, तो बस देखता ही रह जाए.
एक बहन का नाम उर्वशी है, जो हम दोनों से (मुझसे और सार्थक से) 2 साल बड़ी है … यानि उर्वशी 21 साल की है और वो एमसीए कर रही है.
उर्वशी का रंग हल्का सा सांवला है … पर उसके नैन-नक्श बहुत तीखे हैं … जिससे उसके चेहरे पर एक रौनक सी रहती है.
उर्वशी कुछ चंचल स्वभाव की है, वो सबसे हंसी मजाक करती रहती है.
मुझसे तो वो कुछ ज्यादा ही मजाक करती है, जिसके बारे में मैं सेक्स कहानी में आगे बताऊंगा.
उर्वशी की हाइट 5 फ़ीट 3 इंच है और उसका 34-30-32 फिगर एकदम गदराया हुआ है.
उसके दूध बिल्कुल उठे हुए, किसी पहाड़ की चोटियों की तरह हैं.
बलखाती कमर के नीचे उसकी गांड एकदम टाइट है … और कमर के तो कहने ही क्या हैं.
कमर से नीचे उसका बदन बिल्कुल सुराही की तरह लगता है. जब वो अपनी गांड मटकाती हुई और बलखाती हुई चलती है, तो सच में मेरा मुँह खुला का खुला ही रह जाता है.
अब मैं आपको सार्थक की दूसरी बहन के बारे में भी बता देता हूँ.
उसका नाम प्रज्ञा है. वो हम दोनों से 3 साल बड़ी यानि बाईस साल की है.
प्रज्ञा एमएससी कर रही है और उसकी हाइट 5 फ़ीट 4 इंच है.
उसका साइज 32-30-28 का है जो कि उर्वशी से जरा कम है पर ये सील पैक आइटम है.
प्रज्ञा कुछ सीधी सी है और अपने काम से काम रखती है. किसी से ज्यादा बोलती भी नहीं है.
मुझसे थोड़ा बहुत बोलती और मजाक करती है क्योंकि मैं काफी सालों से सार्थक के घर जा रहा हूं.
इस सेक्स कहानी में मैं आपको बताऊंगा कि कैसे उर्वशी मुझसे चुद गई.
असल में मेरी कहानी लगभग दो महीने पहले से शुरू हुई थी.
मैं सार्थक के घर लगभग रोजाना ही जाता था, तो मेरी उर्वशी से भी बात हुआ करती थी.
वो मजाक में मुझसे वैक्सिंग के बारे में मजाक किया करती थी कि इतनी अच्छी वैक्सिंग कैसे कर लेते हो.
असल में मैं आपको बताऊं कि मेरे पूरे शरीर पर एक भी बाल नहीं है, क्योंकि मैं जिम जाता हूँ तो मेरी बॉडी भी अच्छी है और इसीलिए मैं अपनी बॉडी को सेक्सी बनाने के लिए अक्सर वैक्सिंग करता रहता हूँ.
उर्वशी की बात पर मैं उसको हंस कर बोल देता कि बस ऐसे ही!
कुछ दिनों तक ऐसा ही चलता रहा.
फिर कुछ टाइम बाद वो मुझसे कुछ ज्यादा ही घुली मिली हुई रहने लगी. उसका स्वभाव थोड़ा बदला सा लगने लगा था.
एक दिन तो वो अपनी क़ातिलाना नजरों से आंख मारती हुई बोली- यार, कभी मेरी भी वैक्सिंग कर दो न … हमने कौन सा तुम्हारा कुछ बिगाड़ा है. मुझे फालतू में पार्लर जाना पड़ता है.
मैंने भी हंस कर बोल दिया0 हां कभी टाइम मिलेगा तो कर देंगे.
तब तो वो आंख मारती हुई बोली- अच्छा जी … इसके लिए भी टाइम निकालना पड़ेगा?
मैंने भी उसे आंख मार दी.
उस दिन मैं वहां से जल्दी चला गया.
अब हमारी रोज ऐसे ही बातें होती रहतीं. कभी कभी हम चारों मैं, सार्थक, उर्वशी और प्रज्ञा एक साथ बैठ कर आपस में मस्ती कर लेते थे.
ऐसे ही समय बीतता गया और एक महीना निकल गया.
अब उर्वशी की हरकतें बढ़ने लगी थीं.
मैं आपको उर्वशी के बारे मैं बता चुका हूँ कि वो एक हंसमुख लड़की है, जो बस अपनी लाइफ को एन्जॉय करना चाहती है. वो पैसा भी बहुत खर्चा करती है, जिसके लिए वो अपने बॉयफ्रेंड भी जल्दी जल्दी बदलती रहती है.
अब उर्वशी मुझसे कुछ ज्यादा ही बातें करने लगी थी. वो मुझसे थोड़ा चिपक कर रहने लगी थी.
मैं उसको कभी दीदी बुलाता था, तो वो मुझसे कहती कि क्या यार दीदी दीदी लगा रखा है. मैं तुमसे इतनी बड़ी थोड़े ही हूँ … जो तुम मुझे दीदी दीदी बोलते हो.
मैंने कहा- आप मुझसे बड़ी तो हो ना. बाकी जैसे आप चाहोगी, मैं बुलाना शुरू कर दूंगा. मगर ऐसे आपका नाम लेना क्या सबको अजीब सा नहीं लगेगा!
वो बोली- ठीक है, पर अकेले में तुम मुझे मेरे नाम से ही बुलाया करो.
वैसे तो वो घर पर काफी बार अकेली रहती थी लेकिन मेरा उसके घर तब ही जाना होता था, जब घर पर सब होते थे.
मुझको सार्थक से ही काम होता था और मैं उर्वशी को अपनी बड़ी बहन की तरह मानता था तो मेरे मन में उसके लिए कोई गलत फीलिंग नहीं थी.
सार्थक का घर दो मंजिल का है, जिसमें नीचे उसके मम्मी पापा और प्रज्ञा रहते हैं और ऊपर सार्थक और उर्वशी का कमरा है.
उनके पापा तो हमेशा बाहर ही रहते हैं, वो शाम को देर से घर आते हैं. उसकी मम्मी काम में लगी रहती हैं, तो हम पर कोई ज्यादा ध्यान नहीं देता था.
एक दिन मैं उर्वशी के पास बैठा था और सार्थक बोल कर कहीं चला गया था कि उसे 15 मिनट का कुछ काम है. मैं इधर ही बैठूँ, वो अभी आता हूँ. फिर मेरे काम से चलेगा.
मैं ओके बोल कर उसके रूम में ही बैठ गया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
