13-05-2022, 05:29 PM
(This post was last modified: 23-05-2022, 03:15 PM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
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तभी मैंने देखा कि शिल्पा अपने बॉयफ्रेंड से बातें करते हुए कह रही थी कि जानू तुम्हारा लंड लेने का बहुत मन कर रहा है … आह डाल दो अन्दर. पूरे चार हफ्ते हो गए हैं. हम दोनों ने सेक्स नही किया है. जानू आज तुम्हारा लंड अपनी चूत में लेने का मेरा बहुत मन कर रहा है.
ये सब बातें करते हुए शिल्पा अपनी चूत में एक उंगली फेरने लगी.
जैसे ही उसकी चूत में आधी उंगली गई, उसकी मस्त आवाज निकलने लगी ‘अअअह हहह …’
कुछ ही देर में उसने अपनी पूरी उंगली चूत में डाल ली और अन्दर बाहर करती हुई सिसियाने लगी.
वो अपनी गांड उठा उठा कर बार बार नीचे रख रही थी.
उसकी कामुक सिसकारियां मेरे कानों में भी पड़ रही थीं जिससे मेरा भी बुरा हाल हो चला था.
मैं भी जोर जोर से अपने लंड को आगे पीछे कर रहा था.
मैंने भी देर न की और जल्दी जल्दी लंड हिलाते हुए अपना सारा माल नीचे फर्श पर निकाल दिया और कमरे से निकल गया.
जल्दी से नीचे जाकर मैंने लंड को धोया और सोचने लगा कि अगर अभी फिर से अन्दर चला गया तो शायद बात ना बने.
फिर मैं शायद ही इससे चुदाई की बात कर पाऊं.
मगर दूसरी तरफ एक बात ये भी सोच रहा था कि ये मौक़ा अच्छा है. अगर अभी कुछ कर पाया, तो ही कुछ बात बन पाएगी, नहीं तो ऐसा मौका नहीं मिल पाएगा.
कुछ पल सोचने के बाद मैं फिर से कमरे के दरवाजे पर आ गया.
इस बार मैंने दरवाजा जानबूझ कर तेज धक्के से खोला.
पर साली के कान में लीड लगी हुई थी जिस वजह से उसको कुछ सुनाई ही नहीं दिया.
मैंने देखा कि शिल्पा ने अभी अपनी चूत में दो उंगली डाल रखी थीं.
वो मजे में जोर जोर से आंखें बंद किए अपनी उंगलियों को जोर जोर से अन्दर बाहर करने में लगी थी.
कुछ देर बाद जब मुझे ऐसा लगा कि अब इसका होने वाला होगा, तो उससे पहले ही मैंने थोड़ी तेज आवाज सी की.
मेरी इस तेज आवाज से उसकी नजर मुझ पर पड़ी.
शिल्पा मुझे देख कर हड़बड़ा सी गई और जल्दी से उसने बेड की चादर को खींच कर अपने आपको ढक लिया.
उसी पल उसने कॉल को भी काट दिया.
नाटक करते हुए मैं भी उस रूम से बाहर निकल आया.
मैं दरवाजे बाहर के जैसे ही गया, शिल्पा ने मुझे पीछे से आवाज लगाई- यश रुको.
मैं पीछे मुड़ा.
शिल्पा ने अभी भी चादर ही ढक रखी थी.
मैं बोला- सॉरी शिल्पा मुझे पता नहीं था कि तुम यहां हो!
शिल्पा बोली- सॉरी क्यों बोल रहे हो, कोई बात नहीं.
मैं उसे देखने लगा.
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तभी मैंने देखा कि शिल्पा अपने बॉयफ्रेंड से बातें करते हुए कह रही थी कि जानू तुम्हारा लंड लेने का बहुत मन कर रहा है … आह डाल दो अन्दर. पूरे चार हफ्ते हो गए हैं. हम दोनों ने सेक्स नही किया है. जानू आज तुम्हारा लंड अपनी चूत में लेने का मेरा बहुत मन कर रहा है.
ये सब बातें करते हुए शिल्पा अपनी चूत में एक उंगली फेरने लगी.
जैसे ही उसकी चूत में आधी उंगली गई, उसकी मस्त आवाज निकलने लगी ‘अअअह हहह …’
कुछ ही देर में उसने अपनी पूरी उंगली चूत में डाल ली और अन्दर बाहर करती हुई सिसियाने लगी.
वो अपनी गांड उठा उठा कर बार बार नीचे रख रही थी.
उसकी कामुक सिसकारियां मेरे कानों में भी पड़ रही थीं जिससे मेरा भी बुरा हाल हो चला था.
मैं भी जोर जोर से अपने लंड को आगे पीछे कर रहा था.
मैंने भी देर न की और जल्दी जल्दी लंड हिलाते हुए अपना सारा माल नीचे फर्श पर निकाल दिया और कमरे से निकल गया.
जल्दी से नीचे जाकर मैंने लंड को धोया और सोचने लगा कि अगर अभी फिर से अन्दर चला गया तो शायद बात ना बने.
फिर मैं शायद ही इससे चुदाई की बात कर पाऊं.
मगर दूसरी तरफ एक बात ये भी सोच रहा था कि ये मौक़ा अच्छा है. अगर अभी कुछ कर पाया, तो ही कुछ बात बन पाएगी, नहीं तो ऐसा मौका नहीं मिल पाएगा.
कुछ पल सोचने के बाद मैं फिर से कमरे के दरवाजे पर आ गया.
इस बार मैंने दरवाजा जानबूझ कर तेज धक्के से खोला.
पर साली के कान में लीड लगी हुई थी जिस वजह से उसको कुछ सुनाई ही नहीं दिया.
मैंने देखा कि शिल्पा ने अभी अपनी चूत में दो उंगली डाल रखी थीं.
वो मजे में जोर जोर से आंखें बंद किए अपनी उंगलियों को जोर जोर से अन्दर बाहर करने में लगी थी.
कुछ देर बाद जब मुझे ऐसा लगा कि अब इसका होने वाला होगा, तो उससे पहले ही मैंने थोड़ी तेज आवाज सी की.
मेरी इस तेज आवाज से उसकी नजर मुझ पर पड़ी.
शिल्पा मुझे देख कर हड़बड़ा सी गई और जल्दी से उसने बेड की चादर को खींच कर अपने आपको ढक लिया.
उसी पल उसने कॉल को भी काट दिया.
नाटक करते हुए मैं भी उस रूम से बाहर निकल आया.
मैं दरवाजे बाहर के जैसे ही गया, शिल्पा ने मुझे पीछे से आवाज लगाई- यश रुको.
मैं पीछे मुड़ा.
शिल्पा ने अभी भी चादर ही ढक रखी थी.
मैं बोला- सॉरी शिल्पा मुझे पता नहीं था कि तुम यहां हो!
शिल्पा बोली- सॉरी क्यों बोल रहे हो, कोई बात नहीं.
मैं उसे देखने लगा.
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.