13-05-2022, 05:21 PM
फिर अचानक दीदी उठीं और फ्रिज की और चल पड़ीं. फ्रिज खोला और कुछ ढूंढ़ने लगीं. जब दीदी फ्रिज से वापस लौटीं तो दीदी के हाथ में एक बड़ी साइज की ककड़ी थी. वो लेकर दीदी दोबारा चेयर पर वैसे ही बैठ गईं. फिर पता नहीं दीदी को क्या हुआ वो दोबारा फ्रिज की तरफ गईं और फ्रिज खोल कर कुछ और ढूंढ कर निकाला और दोबारा आकर चेयर पर वैसे ही बैठ गईं. इस बस दीदी के हाथ में ककड़ी नहीं थी… बल्कि एक बड़े साइज का करेला था. मैं समझ गया था कि दीदी को अपनी चुत में डालने के लिए ककड़ी जैसा स्मूद नहीं करेला जैसा डॉटेड सरफेस चाहिए.
दीदी मॉम से भी ज्यादा सेक्सी थीं. कुर्सी पर बैठने के बाद दीदी करेले को अपनी चुत पे रगड़ने लगीं… और नीचे से अपनी गांड उचका उचका कर करेला उस पर रगड़ रही थीं. थोड़ी देर इसी तरह रगड़ने के बाद दीदी ने करेले की नोक अपनी चुत के छेद पे रखी और एक ही झटके में आधा करेला अपनी चुत में घुसा दिया. दीदी ने इतनी तेज़ करेला चुत में घुसाया कि दीदी की चीख निकल गई ‘ओह ओह… आह…’
दीदी कसमसाने लगीं और अपनी गांड को चेयर पे रगड़ने लगीं. दीदी ने अपने दोनों हाथों से अपने बाल पकड़ लिए और चिल्लाने लगीं. करेला उसी तरह दीदी की चुत में फंसा हुआ था. करीब आधा करेला दीदी की चुत में घुस चुका था.
वाओ क्या नजारा था… दीदी की गोरी गोरी चुत, उसके बीच में हरे रंग का करके फंसा पड़ा था. करेले की पूंछ पीछे लटक रही थी… ऐसा लग रहा था जैसे कोई मोटा चूहा दीदी की चुत में घुस रहा हो, जिसकी पूंछ बाहर लटक रही हो और दीदी अपने बालों को नोंच कर चिल्ला चिल्ला कर चूहे को अन्दर घुसने दे रही हैं.
माय गॉड… दीदी तो मॉम से भी ज्यादा हॉर्नी निकलीं. थोड़ी देर बाद दीदी अपने एक हाथ से अपने एक पैर को पकड़ कर फैलाने लगीं ताकि चुत थोड़ी और खुल जाए और दूसरे हाथ से दोबारा करेले को पकड़ सीत्कारियां लेते हुए उसको अपनी चुत में अन्दर बाहर पेलने लगीं ‘ओह फ़क… ओ माय गॉड… आह आह ओह…’
थोड़ी ही देर में दीदी की हाथों की रफ़्तार मशीन की तरह बढ़ गई थी और दीदी चेयर की पीछे की ओर गर्दन झुकाये हुए चिल्लाते हुए अपनी चुत चोदे जा रही थीं.
तभी अचानक दीदी ने एक झटके से करेला अपनी चुत से बाहर निकाला और दीदी की चुत से पानी का एक फव्वारा निकल कर सामने रखी फ्रिज और किचन टेबल पर गिरने लगा.
दीदी की ज़ोरदार चीख निकलने लगी- ओ माय गॉड… आह्ह… माय गॉड. फ़क… फ़क आह आह…
जैसे ही पानी का फव्वारा ख़त्म हुआ, दीदी ने झट से करेला वापस चुत में घुसा दिया. दीदी के चारों तरफ पानी ही पानी हो गया था जो दीदी की चुत से ही निकला था.
यह सारा नज़ारा देख कर मेरी तो हालत ख़राब हो रही थी. मुझे यकीन ही नहीं हो रहा था दीदी चुदाई के टाइम squirt भी करती हैं.
पूरा करेला दीदी के पानी में डूबा हुआ था… दीदी ने दोबारा करेला अपनी चूत में डाला और आहिस्ता आहिस्ता अपनी चुत को चोदने लगीं. थोड़ी देर इसी तरह चोदने के बाद दीदी का बदन अकड़ने लगा. अब दीदी झड़ने लगी थीं. दीदी तेज़ तेज़ अपनी गांड हिला हिला कर झड़ रही थीं और साथ ही वो करेले को तेज़ तेज़ चुत में अन्दर बाहर करने लगीं.
थोड़ी देर इसी तरह झड़ने के बाद दीदी सुस्त पड़ गईं और वहीं चेयर पे बे सुध होकर दोनों हाथ अपने बालों में डाले हुए हांफते हुए पड़ी रहीं.
करेला वैसे ही दीदी की चुत में अटका हुआ था. दीदी की चुत में अटका हुआ करेला बहुत सेक्सी लग रहा था. थोड़ी देर इसी तरह पड़े रहने के बाद दीदी ने करेला अपनी चुत से बाहर निकाला और वहीं किचन काउंटर पे रख दिया. अब वो अपने बाल बांधने लगीं, जो कि बिखर गए थे. बाल बांधते हुए दीदी ने फोन की तरफ देखा और मुस्कुराने लगीं.
“यार तू लकी है प्रीति… घर में भी चुदती है… बाहर भी चुदती है…” यह कहकर दीदी ने अपने आप को ठीक किया और अपना फोन लेकर गांड मटकाते हुए किचन से बाहर चली गईं.
ये सब देख कर मैं अब तक तीन बार मुठ मार चुका था. एक बार मॉम को देखकर, दो बार दीदी को देख कर. अब मैंने मॉम और दीदी दोनों को चोदने का मन बना लिया था. अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था.
मैंने लैपटॉप वगैरह बंद किया और अब मॉम और दीदी को कैसे चोदूँ, बस यही सब सोचने लगा. इसी सब सोच विचार में दिन गुज़र गया.
दीदी मॉम से भी ज्यादा सेक्सी थीं. कुर्सी पर बैठने के बाद दीदी करेले को अपनी चुत पे रगड़ने लगीं… और नीचे से अपनी गांड उचका उचका कर करेला उस पर रगड़ रही थीं. थोड़ी देर इसी तरह रगड़ने के बाद दीदी ने करेले की नोक अपनी चुत के छेद पे रखी और एक ही झटके में आधा करेला अपनी चुत में घुसा दिया. दीदी ने इतनी तेज़ करेला चुत में घुसाया कि दीदी की चीख निकल गई ‘ओह ओह… आह…’
दीदी कसमसाने लगीं और अपनी गांड को चेयर पे रगड़ने लगीं. दीदी ने अपने दोनों हाथों से अपने बाल पकड़ लिए और चिल्लाने लगीं. करेला उसी तरह दीदी की चुत में फंसा हुआ था. करीब आधा करेला दीदी की चुत में घुस चुका था.
वाओ क्या नजारा था… दीदी की गोरी गोरी चुत, उसके बीच में हरे रंग का करके फंसा पड़ा था. करेले की पूंछ पीछे लटक रही थी… ऐसा लग रहा था जैसे कोई मोटा चूहा दीदी की चुत में घुस रहा हो, जिसकी पूंछ बाहर लटक रही हो और दीदी अपने बालों को नोंच कर चिल्ला चिल्ला कर चूहे को अन्दर घुसने दे रही हैं.
माय गॉड… दीदी तो मॉम से भी ज्यादा हॉर्नी निकलीं. थोड़ी देर बाद दीदी अपने एक हाथ से अपने एक पैर को पकड़ कर फैलाने लगीं ताकि चुत थोड़ी और खुल जाए और दूसरे हाथ से दोबारा करेले को पकड़ सीत्कारियां लेते हुए उसको अपनी चुत में अन्दर बाहर पेलने लगीं ‘ओह फ़क… ओ माय गॉड… आह आह ओह…’
थोड़ी ही देर में दीदी की हाथों की रफ़्तार मशीन की तरह बढ़ गई थी और दीदी चेयर की पीछे की ओर गर्दन झुकाये हुए चिल्लाते हुए अपनी चुत चोदे जा रही थीं.
तभी अचानक दीदी ने एक झटके से करेला अपनी चुत से बाहर निकाला और दीदी की चुत से पानी का एक फव्वारा निकल कर सामने रखी फ्रिज और किचन टेबल पर गिरने लगा.
दीदी की ज़ोरदार चीख निकलने लगी- ओ माय गॉड… आह्ह… माय गॉड. फ़क… फ़क आह आह…
जैसे ही पानी का फव्वारा ख़त्म हुआ, दीदी ने झट से करेला वापस चुत में घुसा दिया. दीदी के चारों तरफ पानी ही पानी हो गया था जो दीदी की चुत से ही निकला था.
यह सारा नज़ारा देख कर मेरी तो हालत ख़राब हो रही थी. मुझे यकीन ही नहीं हो रहा था दीदी चुदाई के टाइम squirt भी करती हैं.
पूरा करेला दीदी के पानी में डूबा हुआ था… दीदी ने दोबारा करेला अपनी चूत में डाला और आहिस्ता आहिस्ता अपनी चुत को चोदने लगीं. थोड़ी देर इसी तरह चोदने के बाद दीदी का बदन अकड़ने लगा. अब दीदी झड़ने लगी थीं. दीदी तेज़ तेज़ अपनी गांड हिला हिला कर झड़ रही थीं और साथ ही वो करेले को तेज़ तेज़ चुत में अन्दर बाहर करने लगीं.
थोड़ी देर इसी तरह झड़ने के बाद दीदी सुस्त पड़ गईं और वहीं चेयर पे बे सुध होकर दोनों हाथ अपने बालों में डाले हुए हांफते हुए पड़ी रहीं.
करेला वैसे ही दीदी की चुत में अटका हुआ था. दीदी की चुत में अटका हुआ करेला बहुत सेक्सी लग रहा था. थोड़ी देर इसी तरह पड़े रहने के बाद दीदी ने करेला अपनी चुत से बाहर निकाला और वहीं किचन काउंटर पे रख दिया. अब वो अपने बाल बांधने लगीं, जो कि बिखर गए थे. बाल बांधते हुए दीदी ने फोन की तरफ देखा और मुस्कुराने लगीं.
“यार तू लकी है प्रीति… घर में भी चुदती है… बाहर भी चुदती है…” यह कहकर दीदी ने अपने आप को ठीक किया और अपना फोन लेकर गांड मटकाते हुए किचन से बाहर चली गईं.
ये सब देख कर मैं अब तक तीन बार मुठ मार चुका था. एक बार मॉम को देखकर, दो बार दीदी को देख कर. अब मैंने मॉम और दीदी दोनों को चोदने का मन बना लिया था. अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था.
मैंने लैपटॉप वगैरह बंद किया और अब मॉम और दीदी को कैसे चोदूँ, बस यही सब सोचने लगा. इसी सब सोच विचार में दिन गुज़र गया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.