12-05-2022, 05:12 PM
“आआआआअह्हह्हह….ईईईईईईई…ओह्ह्ह्हह्ह…अई..अई..अई….अई..मम्मी…..” मैं सिसक और कसक रही थी।
धीरे धीरे मुझ पर चुदाई का नशा चढ़ रहा था। मैं पागल हो रही थी। वासना मेरी जिस्म की नशों में ड्रग्स की तरह रेंगने लगे थी। ये कहना गलत नही होगा की मैं पति से रगड़कर चुदवाना चाहती थी। पति मेरे चूत के दाने को काट रहे थे, मुझे मजा आ रहा था। हम दोनों तेज मुस्लाधार पानी में भीग रहे थे। वो मेरी रसीली चूत का सारा रस वो पिये जा रहे थे।“……उई..उई..उई…. माँ….माँ….ओह्ह्ह्ह माँ…. .अहह्ह्ह्हह..” मैं चिल्ला रही थी। मैं पूरी तरह से नंगी थी और दोनों घुटनों को खोलकर मैं पति के सामने छत पर लेती हुई थी। आधे घंटे से पति मेरी रसीली चूत पी रहे थे। मैंने उनके बालो को बड़े प्यार से सहलाए जा रही थी। उनकी खुदरी जीभ मेरी नाजुक चूत को बार बार छेड़ रही थी। मेरे भोसड़े से अब रस निकलने लगा था। साफ था की मैं अब चुदवाने को पूरी तरह से रेडी हो चुकी थी।
पति अब मेरी भीगी चूत में ऊँगली करने लगे और तेज तेज अपनी उँगलियाँ मेरे भोसड़े में चलाने लगे। फिर पति ने मेरी गीली चूत में अपना गीला लंड डाल दिया और मुझे चोदने लगे।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.