22-05-2019, 12:01 PM
अंकल अभी अपनी माँ को चोदने की कहानी बता नहीं पाए हैं और मम्मी ने तो अभी अपनी कहानी शुरू भी नहीं की.
पर उस रात की चुदाई यहीं ख़तम हो गई.
सुबह अंकल कब गये, मुझे नहीं पता चल पाया.
अगले दिन, मैंने मेरी मम्मी के मोबाइल में दिन में मैसेज चेक किया.
उसमें ना अंकल का मैसेज था, ना एक भी फोन कॉल था.
ऐसे 2 दिन बीत गये, तीसरे दिन शाम को मुझे श्लोक का फोन आया.
उसने बताया की वो अपने नानी के घर से आ गया हैं वापस.
मैं उससे मिलने गया.
श्लोक ने मुझे अपने नानी के घर की सारी बातें बताई.
अभी हमारी कॉलेज की छुट्टी ख़तम होने मे, 8 दिन बाकी थे.
श्लोक के पापा और मम्मी, घर मे ही थे.
आंटी ने मुझे खाने के लिए ना जाने क्या क्या दिया, जो वो वहाँ से लेके आई थीं.
फिर श्लोक ने कहा की वो इस शनिवार की सुबह घूमने जा रहा है, अपने परिवार के साथ.
आंटी वही थीं.
अचानक, आंटी ने कहा – बेटा, तुम भी चलो हमारे साथ
मैंने कहा – नहीं आंटी, रहने दीजिए… मैं मम्मी से कह दूँगा… वो मुझे ले चलेंगी…
फिर मुझे आंटी ने कहा – अरे, तो कोई बात नहीं… मैं महक से कहती हूँ… वो भी चले, हमारे साथ…
फिर आंटी ने अंकल के तरफ देख के कहा – क्योंजी, अच्छा प्लान है, ना…
मैंने अंकल के तरफ देखा.
अंकल के चेहरे पर, एक खुशी सी आ गई.
ऐसा लग रहा था, जैसे आंटी ने उन्हें थाली में परोस के खाना दे दिया हो.
अंकल ने कहा – हाँ हाँ… क्यों नहीं…
फिर मैं कुछ देर बाद, घर आ गया.
आप तो समझ ही गये होंगें मेरा मन नहीं था, जाने का.
मैंने घर आकर, मम्मी से श्लोक के घर पर जो बातें हुई वो सब बता दी.
मम्मी ने कहा – नहीं, हम नहीं जाएँगे…
अगले दिन, गुरुवार था.
आंटी घर पर आई थीं.
आंटी ने, मेरी मम्मी से कहा – महक, हम लोग परिवार की ट्रिप पर जा रहे हैं… आप लोग भी चलिए…
मम्मी ने कहा – नहीं दीदी… हम लोग, नहीं जा सकते…
आंटी ने कहा – क्यूँ महक… ??
मम्मी ने कहा – आप लोग को परेशानी हो जाएगी… और फिर, मुझे सही भी नहीं लगता… ये होते तो एक अलग बात थी…
आंटी बहुत अच्छी थीं, नेचर की.
वो मुझे बहुत प्यार करती थीं शायद पापा के यहाँ ना होने के कारण लेकिन उन्हें क्या मालूम था पापा के यहाँ ना होने की वजह से ही, अंकल ने उनके पीठ पीछे मेरी मम्मी के साथ ग़लत संबंध बना रखे थे.
या फिर, ये मेरी ग़लतफहमी थी.
पापा के रहते हुए, जब मम्मी अपने भाई से अपनी चूत मरवा सकती थीं तो पापा के रहते, शायद अंकल से भी मरवा ही लेती.
खैर, आंटी ने किसी तरह मेरी मम्मी को जाने के लिए मना लिया.
फिर शनिवार की सुबह, मैं और मेरी मम्मी तैयार हो के नीचे उतर गये.
अंकल, आंटी और श्लोक अपनी स्कॉर्पियो में हमारे घर के सामने आए.
हमने अपना सामान पीछे रखा और गाड़ी में बैठ गये.
आंटी आगे बैठीं थीं और मैं, श्लोक और मेरी मम्मी पीछे की सीट पर बैठे थे.
फिर हम लोग, घूमने के लिए निकल गये.
रास्ते मे, आंटी को वोमीट होने लगी.
अंकल ने गाड़ी साइड मे रोकी.
आंटी को वॉमिट हो रहा थी.
फिर आंटी ने मुंह धोया और कहा की उनके सिर मे बहुत दर्द हो रहा है.
अंकल ने कहा – पीछे की सीट पर बैठ जाओ, तुम और सो जाओ…
आंटी ने वैसा ही किया और आंटी पीछे के सीट पर आकर बैठ गई और मेरी मम्मी आगे की सीट पर बैठ गई.
आप ये समझो की ना जाने क्यूँ, किस्मत भी ऐसे लोगों का साथ देती है.
फिर अंकल, गाड़ी चलाने लगे.
आंटी सो गई थीं और गहरी नींद मे थीं और श्लोक और मैं बाहर के साइड देख रहे थे.
कुछ देर बाद, नज़र बचा कर मैंने धीरे से देखा.
अंकल साइड में घूम के मेरी मम्मी के तरफ देख रहे थे और धीरे से मुस्कुरा रहे थे और मेरी मम्मी भी उन्हें रिप्लाइ दे रही थीं.
करीबन 4-5 घंटे मे, हम लोग वहाँ पहुँच गये.
अंकल ने पहले से रिज़ॉर्ट बुक कर रखा था.
जिसमें, उन्होंने 2 रूम ले रखे थे.
एक में, वो लोग चले गये और एक में, मैं और मेरी मम्मी चले गये.
प्रोग्राम के हिसाब से, 1 घंटा आराम करने के बाद हमें निकलना था.
इस दौरान, मैं लगातार ये सोच रहा था की अंकल आज क्या जुगाड़ लगाएँगे.
खैर, मैं सबसे पहले जा के नहा लिया और अपने कपड़े पहन लिए.
फिर, मम्मी ने कहा – मैं भी अब नहाने जा रही हूँ… बहुत गरमी है…
मैंने कहा – ठीक है…
पर उस रात की चुदाई यहीं ख़तम हो गई.
सुबह अंकल कब गये, मुझे नहीं पता चल पाया.
अगले दिन, मैंने मेरी मम्मी के मोबाइल में दिन में मैसेज चेक किया.
उसमें ना अंकल का मैसेज था, ना एक भी फोन कॉल था.
ऐसे 2 दिन बीत गये, तीसरे दिन शाम को मुझे श्लोक का फोन आया.
उसने बताया की वो अपने नानी के घर से आ गया हैं वापस.
मैं उससे मिलने गया.
श्लोक ने मुझे अपने नानी के घर की सारी बातें बताई.
अभी हमारी कॉलेज की छुट्टी ख़तम होने मे, 8 दिन बाकी थे.
श्लोक के पापा और मम्मी, घर मे ही थे.
आंटी ने मुझे खाने के लिए ना जाने क्या क्या दिया, जो वो वहाँ से लेके आई थीं.
फिर श्लोक ने कहा की वो इस शनिवार की सुबह घूमने जा रहा है, अपने परिवार के साथ.
आंटी वही थीं.
अचानक, आंटी ने कहा – बेटा, तुम भी चलो हमारे साथ
मैंने कहा – नहीं आंटी, रहने दीजिए… मैं मम्मी से कह दूँगा… वो मुझे ले चलेंगी…
फिर मुझे आंटी ने कहा – अरे, तो कोई बात नहीं… मैं महक से कहती हूँ… वो भी चले, हमारे साथ…
फिर आंटी ने अंकल के तरफ देख के कहा – क्योंजी, अच्छा प्लान है, ना…
मैंने अंकल के तरफ देखा.
अंकल के चेहरे पर, एक खुशी सी आ गई.
ऐसा लग रहा था, जैसे आंटी ने उन्हें थाली में परोस के खाना दे दिया हो.
अंकल ने कहा – हाँ हाँ… क्यों नहीं…
फिर मैं कुछ देर बाद, घर आ गया.
आप तो समझ ही गये होंगें मेरा मन नहीं था, जाने का.
मैंने घर आकर, मम्मी से श्लोक के घर पर जो बातें हुई वो सब बता दी.
मम्मी ने कहा – नहीं, हम नहीं जाएँगे…
अगले दिन, गुरुवार था.
आंटी घर पर आई थीं.
आंटी ने, मेरी मम्मी से कहा – महक, हम लोग परिवार की ट्रिप पर जा रहे हैं… आप लोग भी चलिए…
मम्मी ने कहा – नहीं दीदी… हम लोग, नहीं जा सकते…
आंटी ने कहा – क्यूँ महक… ??
मम्मी ने कहा – आप लोग को परेशानी हो जाएगी… और फिर, मुझे सही भी नहीं लगता… ये होते तो एक अलग बात थी…
आंटी बहुत अच्छी थीं, नेचर की.
वो मुझे बहुत प्यार करती थीं शायद पापा के यहाँ ना होने के कारण लेकिन उन्हें क्या मालूम था पापा के यहाँ ना होने की वजह से ही, अंकल ने उनके पीठ पीछे मेरी मम्मी के साथ ग़लत संबंध बना रखे थे.
या फिर, ये मेरी ग़लतफहमी थी.
पापा के रहते हुए, जब मम्मी अपने भाई से अपनी चूत मरवा सकती थीं तो पापा के रहते, शायद अंकल से भी मरवा ही लेती.
खैर, आंटी ने किसी तरह मेरी मम्मी को जाने के लिए मना लिया.
फिर शनिवार की सुबह, मैं और मेरी मम्मी तैयार हो के नीचे उतर गये.
अंकल, आंटी और श्लोक अपनी स्कॉर्पियो में हमारे घर के सामने आए.
हमने अपना सामान पीछे रखा और गाड़ी में बैठ गये.
आंटी आगे बैठीं थीं और मैं, श्लोक और मेरी मम्मी पीछे की सीट पर बैठे थे.
फिर हम लोग, घूमने के लिए निकल गये.
रास्ते मे, आंटी को वोमीट होने लगी.
अंकल ने गाड़ी साइड मे रोकी.
आंटी को वॉमिट हो रहा थी.
फिर आंटी ने मुंह धोया और कहा की उनके सिर मे बहुत दर्द हो रहा है.
अंकल ने कहा – पीछे की सीट पर बैठ जाओ, तुम और सो जाओ…
आंटी ने वैसा ही किया और आंटी पीछे के सीट पर आकर बैठ गई और मेरी मम्मी आगे की सीट पर बैठ गई.
आप ये समझो की ना जाने क्यूँ, किस्मत भी ऐसे लोगों का साथ देती है.
फिर अंकल, गाड़ी चलाने लगे.
आंटी सो गई थीं और गहरी नींद मे थीं और श्लोक और मैं बाहर के साइड देख रहे थे.
कुछ देर बाद, नज़र बचा कर मैंने धीरे से देखा.
अंकल साइड में घूम के मेरी मम्मी के तरफ देख रहे थे और धीरे से मुस्कुरा रहे थे और मेरी मम्मी भी उन्हें रिप्लाइ दे रही थीं.
करीबन 4-5 घंटे मे, हम लोग वहाँ पहुँच गये.
अंकल ने पहले से रिज़ॉर्ट बुक कर रखा था.
जिसमें, उन्होंने 2 रूम ले रखे थे.
एक में, वो लोग चले गये और एक में, मैं और मेरी मम्मी चले गये.
प्रोग्राम के हिसाब से, 1 घंटा आराम करने के बाद हमें निकलना था.
इस दौरान, मैं लगातार ये सोच रहा था की अंकल आज क्या जुगाड़ लगाएँगे.
खैर, मैं सबसे पहले जा के नहा लिया और अपने कपड़े पहन लिए.
फिर, मम्मी ने कहा – मैं भी अब नहाने जा रही हूँ… बहुत गरमी है…
मैंने कहा – ठीक है…