22-05-2019, 11:49 AM
चुदाई लगातार चल रही थी और ऐसा लग रहा था, रात भर चलती ही रहेगी.
अंकल ने आगे बताया – फिर, मैं आँखें बंद करके सोचने लगा की मैं मम्मी का गाउन उतार रहा हूँ… मुझे पता था मम्मी मुझे एकटक देख रहीं थीं… 1 2 मिनट बाद मम्मी बोलीं – “देख लिया, मुझे लाल ब्रा पैंटी में… कैसी लग रही हूँ…” मैंने बताया – हाँ, मम्मी… अब मम्मी बोलीं – “बता पहले क्या देखेगा मेरे मम्मे या गाण्ड… ??” मैं – दूध… अब मम्मी ने बोला – “मम्मे पर निप्पल होते हैं, तुझे पता है… बड़े, छोटे, भूरे, काले या गुलाबी रंग के… बच्चा होने के बाद निप्पल थोड़े से बड़े हो जाते हैं… अब तू ये बता मेरे मम्मे कैसे होंगें…”
प्रणव की मम्मी – उनमह… कैसे थे… ??
अंकल – मैंने कहा – गुलाबी… मम्मी हँसने लगीं – “ठीक है, अब सोच तूने मेरी ब्रा उतार दी है और मेरे नंगे मम्मे देख रहा है…” अब मैं नॉर्मल था और मेरा हरामी दिमाग़, चलने लगा था… मैंने मम्मी से कहा – मम्मी, जब मैंने कभी देखे ही नहीं तो सोचूँ कैसे… मम्मी हँसने लगीं और बोलीं – “शैतान कहीं के… चल तेरी मदद करने के लिए मैं एक बार दिखा देती हूँ…” मम्मी खड़ी हुई अपना गाउन उतार दिया और पीछे मूड गईं… फिर मेरे से बोलीं – “ले खोल, मेरी ब्रा का हुक…”
प्रणव की मम्मी – कौन से रंग की ब्रा थी… ??
अंकल – काली थी, यार… मैंने उठ के फ़ौरन उनकी ब्रा का हुक खोल दिया… लेकिन, उन्होंने ब्रा पकड़ रखी थी…
प्रणव की मम्मी – फिर… ?? इयाः उन्ह्म…
अंकल – मम्मी ने अब मुझे इशारे से बैठने के लिए कहा… मैं पहले जैसे, बिस्तर पर टिक कर बैठ गया… मम्मी भी पहले की तरह, मेरे साइड में बैठ गईं… अब उन्होंने एक हाथ से अपने दूध के ऊपर, ब्रा को पकड़ा और दूसरे हाथ से अपनी ब्रा की स्ट्रीप नीचे की और धीरे धीरे, अपनी ब्रा उतार दी… मेरी मां के नंगे मम्मे, मेरे सामने थे…
प्रणव की मम्मी – आँह माह आ आअ आ आ आअ स स स स स… अब मुझसे नहीं रहा जा रहा… इयाः कैसे थे निप्पल… बता ना, मादर चोद…
मेरी मम्मी ने अब अंकल की गाण्ड पकड़ ली थी और उनसे अपनी चूत चुद्वा रहीं थीं.
नीचे से भी मम्मी, अपनी गाण्ड हिला हिला कर अंकल के लंड पर अपनी चूत मार रहीं थीं.
अंकल – आ आ आ आ आ आ, महक… मैं आने वाला हूँ स स स स स…
मम्मी – माँ चोद दूँगी, तेरी मां के लौड़े… अभी निकाला तो… भोसड़ी वाले, पहले, मेरी आग ठंडी कर…
अंकल – माँ की लौड़ी, छीनाल… औरत है कहाँ तू… तू तो छीनाल की भी माँ है… साली रंडी… आ आ आ आअ...
मम्मी – हाँ हूँ मैं, छीनाल… तू कौन सा दलाल से काम है… मादर चोद… अब चोद, मेरी चुदक्कड़ चूत, भडुए…
अंकल – आ आ आहह… बहन की लौड़ी, तू भी तो अपने भाई का लंड खा के बैठी है रंडी… साली, सड़क की कुतिया… तेरी आग बुझाने के लिए, एक नहीं मर्दों की जमात चाहिए, छीनाल…
मम्मी – तो ला मर्दों की जमात और बुझा मेरी प्यासी चूत की आग… इयाः माह आ आ आ आ आ आ आअ आअ…
साफ समझ में आ रहा था, चुदाई अपनी सारी सीमा तोड़ चुकी थी.
अंकल भड़ाभड़ धक्के लगा रहे थे और मम्मी तो जैसे उन्हें अपने अंदर समा लेने चाहती थीं.
अंकल – महक, बहन की लौड़ी… कुछ तो बता दे तू भी… कैसे लिया, अपने भाई का लंड… अपने पिल्ले को ऐसे ही सुलाया था का… कुछ तो बोल छीनाल… तेरी मां की चूत ह ह ह स स स स स…
मम्मी – तू पिल्ले की बात कर रहा है… मेरी चुड़क्कड़ चूत ने तो उससे मेरे पति के रहते हुए, चुदवाया था… इयाः स स स स स…
अंकल – आ आ आ आ आ आ महक… तू तो सच में, बहुत ही बड़ी छीनाल है… दोनों ने साथ में चोदा था… बता ना, बहन की लौड़ी…
मम्मी – आ आ आअ इयाः ह ह स स माह उनमह… भोसड़ी वाले… मेरा पति दूसरे कमरे में सो रहा था और मेरा भाई, मुझे टाँगें उठा उठा के चोद रहा था… उफ़ माह… मर गई मैं… आह बहन चोद… और ज़ोर से… देखी है, मुझ से बड़ी छीनाल तूने कहीं…
अंकल के झटके तूफ़ानी रफ़्तार पकड़ चुके थे और मम्मी के नाख़ून, पूरे अंकल की गाण्ड में थे.
अंकल बहुत ज़ोर से चिल्लाये और कहा – इयाः माह… मेरी मां की लौड़ी… छीनाल नहीं तू तो उसकी अम्मा है, महक… मज़ा आ गया… आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ… और अंकल झड़ गये.
मम्मी की आग, अब भी शांत नहीं हुई थी और उन्होंने झटके से अंकल को धक्का दिया और उनके ऊपर चढ़ कर बैठ गईं.
मम्मी अंकल के चेहरे के ऊपर बैठ गईं और एक ही पल में, उनकी चूत से मूत की धार निकल पड़ी.
मम्मी ने अंकल के बाल पकड़ लिए और उनकी मूत की पूरी धार, अंकल के मुँह में जाने लगी.
मम्मी पागलों की तरह चिल्ला रही थीं – पी… मां के लौड़े… एक बूँद भी नहीं गिरनी चाहिए, नीचे… पी, बहन चोद… तेरी मां का भोसड़ा… आ आ आ आ आ आ आ…
दो मिनट तक, मम्मी लगातार मूतती रहीं.
इसके बाद, फर्श पर ही नंगी लेट गईं.
मम्मी की साँस, इतनी तेज़ चल रही थी की उनके मम्मे हिल रहे थे.
अंकल में तो ऐसा लग रहा था, जान ही नहीं थी.
मैं जानता था की अब दोनों, चुदाई नहीं करने वाले.
अंकल ने आगे बताया – फिर, मैं आँखें बंद करके सोचने लगा की मैं मम्मी का गाउन उतार रहा हूँ… मुझे पता था मम्मी मुझे एकटक देख रहीं थीं… 1 2 मिनट बाद मम्मी बोलीं – “देख लिया, मुझे लाल ब्रा पैंटी में… कैसी लग रही हूँ…” मैंने बताया – हाँ, मम्मी… अब मम्मी बोलीं – “बता पहले क्या देखेगा मेरे मम्मे या गाण्ड… ??” मैं – दूध… अब मम्मी ने बोला – “मम्मे पर निप्पल होते हैं, तुझे पता है… बड़े, छोटे, भूरे, काले या गुलाबी रंग के… बच्चा होने के बाद निप्पल थोड़े से बड़े हो जाते हैं… अब तू ये बता मेरे मम्मे कैसे होंगें…”
प्रणव की मम्मी – उनमह… कैसे थे… ??
अंकल – मैंने कहा – गुलाबी… मम्मी हँसने लगीं – “ठीक है, अब सोच तूने मेरी ब्रा उतार दी है और मेरे नंगे मम्मे देख रहा है…” अब मैं नॉर्मल था और मेरा हरामी दिमाग़, चलने लगा था… मैंने मम्मी से कहा – मम्मी, जब मैंने कभी देखे ही नहीं तो सोचूँ कैसे… मम्मी हँसने लगीं और बोलीं – “शैतान कहीं के… चल तेरी मदद करने के लिए मैं एक बार दिखा देती हूँ…” मम्मी खड़ी हुई अपना गाउन उतार दिया और पीछे मूड गईं… फिर मेरे से बोलीं – “ले खोल, मेरी ब्रा का हुक…”
प्रणव की मम्मी – कौन से रंग की ब्रा थी… ??
अंकल – काली थी, यार… मैंने उठ के फ़ौरन उनकी ब्रा का हुक खोल दिया… लेकिन, उन्होंने ब्रा पकड़ रखी थी…
प्रणव की मम्मी – फिर… ?? इयाः उन्ह्म…
अंकल – मम्मी ने अब मुझे इशारे से बैठने के लिए कहा… मैं पहले जैसे, बिस्तर पर टिक कर बैठ गया… मम्मी भी पहले की तरह, मेरे साइड में बैठ गईं… अब उन्होंने एक हाथ से अपने दूध के ऊपर, ब्रा को पकड़ा और दूसरे हाथ से अपनी ब्रा की स्ट्रीप नीचे की और धीरे धीरे, अपनी ब्रा उतार दी… मेरी मां के नंगे मम्मे, मेरे सामने थे…
प्रणव की मम्मी – आँह माह आ आअ आ आ आअ स स स स स… अब मुझसे नहीं रहा जा रहा… इयाः कैसे थे निप्पल… बता ना, मादर चोद…
मेरी मम्मी ने अब अंकल की गाण्ड पकड़ ली थी और उनसे अपनी चूत चुद्वा रहीं थीं.
नीचे से भी मम्मी, अपनी गाण्ड हिला हिला कर अंकल के लंड पर अपनी चूत मार रहीं थीं.
अंकल – आ आ आ आ आ आ, महक… मैं आने वाला हूँ स स स स स…
मम्मी – माँ चोद दूँगी, तेरी मां के लौड़े… अभी निकाला तो… भोसड़ी वाले, पहले, मेरी आग ठंडी कर…
अंकल – माँ की लौड़ी, छीनाल… औरत है कहाँ तू… तू तो छीनाल की भी माँ है… साली रंडी… आ आ आ आअ...
मम्मी – हाँ हूँ मैं, छीनाल… तू कौन सा दलाल से काम है… मादर चोद… अब चोद, मेरी चुदक्कड़ चूत, भडुए…
अंकल – आ आ आहह… बहन की लौड़ी, तू भी तो अपने भाई का लंड खा के बैठी है रंडी… साली, सड़क की कुतिया… तेरी आग बुझाने के लिए, एक नहीं मर्दों की जमात चाहिए, छीनाल…
मम्मी – तो ला मर्दों की जमात और बुझा मेरी प्यासी चूत की आग… इयाः माह आ आ आ आ आ आ आअ आअ…
साफ समझ में आ रहा था, चुदाई अपनी सारी सीमा तोड़ चुकी थी.
अंकल भड़ाभड़ धक्के लगा रहे थे और मम्मी तो जैसे उन्हें अपने अंदर समा लेने चाहती थीं.
अंकल – महक, बहन की लौड़ी… कुछ तो बता दे तू भी… कैसे लिया, अपने भाई का लंड… अपने पिल्ले को ऐसे ही सुलाया था का… कुछ तो बोल छीनाल… तेरी मां की चूत ह ह ह स स स स स…
मम्मी – तू पिल्ले की बात कर रहा है… मेरी चुड़क्कड़ चूत ने तो उससे मेरे पति के रहते हुए, चुदवाया था… इयाः स स स स स…
अंकल – आ आ आ आ आ आ महक… तू तो सच में, बहुत ही बड़ी छीनाल है… दोनों ने साथ में चोदा था… बता ना, बहन की लौड़ी…
मम्मी – आ आ आअ इयाः ह ह स स माह उनमह… भोसड़ी वाले… मेरा पति दूसरे कमरे में सो रहा था और मेरा भाई, मुझे टाँगें उठा उठा के चोद रहा था… उफ़ माह… मर गई मैं… आह बहन चोद… और ज़ोर से… देखी है, मुझ से बड़ी छीनाल तूने कहीं…
अंकल के झटके तूफ़ानी रफ़्तार पकड़ चुके थे और मम्मी के नाख़ून, पूरे अंकल की गाण्ड में थे.
अंकल बहुत ज़ोर से चिल्लाये और कहा – इयाः माह… मेरी मां की लौड़ी… छीनाल नहीं तू तो उसकी अम्मा है, महक… मज़ा आ गया… आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ… और अंकल झड़ गये.
मम्मी की आग, अब भी शांत नहीं हुई थी और उन्होंने झटके से अंकल को धक्का दिया और उनके ऊपर चढ़ कर बैठ गईं.
मम्मी अंकल के चेहरे के ऊपर बैठ गईं और एक ही पल में, उनकी चूत से मूत की धार निकल पड़ी.
मम्मी ने अंकल के बाल पकड़ लिए और उनकी मूत की पूरी धार, अंकल के मुँह में जाने लगी.
मम्मी पागलों की तरह चिल्ला रही थीं – पी… मां के लौड़े… एक बूँद भी नहीं गिरनी चाहिए, नीचे… पी, बहन चोद… तेरी मां का भोसड़ा… आ आ आ आ आ आ आ…
दो मिनट तक, मम्मी लगातार मूतती रहीं.
इसके बाद, फर्श पर ही नंगी लेट गईं.
मम्मी की साँस, इतनी तेज़ चल रही थी की उनके मम्मे हिल रहे थे.
अंकल में तो ऐसा लग रहा था, जान ही नहीं थी.
मैं जानता था की अब दोनों, चुदाई नहीं करने वाले.