Thread Rating:
  • 0 Vote(s) - 0 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Misc. Erotica मस्तराम की डायरी के पन्नों से........... ़
#4
मैं मैडम के बारे में और अधिक जानने के लिए उत्सुक हूं। विशेषकर प्रभात में प्रार्थना काल के दौरान हुए उनके परिचय कार्यक्रम के संबंध में। इस हेतु मैंने प्रताप जी के साथ बात की। प्रताप जी प्राइमरी अध्यापक हैं, जो कक्षा 5 तक के बच्चों को पढ़ाते हैं। अभी स्टाफ रूम के बाहर बने एक बरामदे में कुर्सी पर बैठे हुए थे और मैं एक कुर्सी लेकर उनके पास बैठ गया एवं चर्चा प्रारंभ की। 
“क्या हाल है, प्रताप जी”- मैंने मुस्कुराते हुए पूछा।
“बस बढ़िया है, आप सुनाओ”- उन्होंने मुस्कुरा कर जवाब दिया।
“आप आज आए थे सुबह प्रार्थना में?”-मैंने पूछा।
“हां ,आया था”- उन्होंने उत्तर दिया।
“अच्छा यह बताओ जो नई वाली मैडम आई है, उनका परिचय होने वाला था आज, क्या वह संपन्न हो गया?”- मैंने रुचि लेते हुए पूछा।
“हां, हो गया और वाह! क्या नेक विचार हैं मैडम के, उन्हें सुनकर तो बहुत ही मजा आ गया”-उन्होंने रुचि लेते हुए जवाब दिया।
“अच्छा! क्या सिर्फ विचार ही शानदार हैं या कुछ और भी”-मैंने चुटकी लेते हुए पूछा।
“मतलब क्या है आपका”- वे झेंप कर बोले।
“ज्यादा शरीफ मत बनिए प्रताप जी, मैं जानता हूं जब प्राइमरी कक्षा में मैडम उन छोटे बच्चों के साथ थीं तो आपकी नजरों के बाण कहां-कहां निशाने लगा रहे थे?”-मैंने थोड़े सख्त लहजे में कहा।
“आप जानते भी हो कि क्या कह रहे हो”-उन्होंने भी थोड़ी सख्ती के साथ उत्तर दिया।
मैंने अपनी जेब से मोबाइल निकाला और मोबाइल की गैलरी में सेव की हुई कुछ तस्वीरें खोलकर प्रताप जी को दिखाई।
प्रताप जी वह तस्वीरें देखकर वह भोचक्के रह गए और थूक निकलने लगे।
“देखिए प्रताप जी, यहां शरीफ कोई भी नहीं है, ना तुम हो और ना मैं। बात यह है कि यह नई मैडम जहां जहां मौके फेंकती हैं, हमें बस उसे लपेटना है। जहां तुम लपेटते हो वह मुझे बताओ, और जहां मैं लपेटूं, वह आपको बताऊंगा।“- मैंने अपनी कुर्सी कुछ उनके पास खींचते हुए धीमी आवाज में कहा।
हम हम दोनों एक दूसरे के चेहरे की ओर देखते हुए ठरकी अंदाज में मुस्कुरा दिए। फिर प्रताप जी ने प्रार्थना सभा के दौरान  मैडम के परिचय संबंधी सारा वृत्तांत मुझे कह कर सुना दिया। इन तस्वीरों में ऐसा क्या राज था और उसके पीछे की क्या किस्से कहानी थी इसके बारे में मैं किसी और दिन आपको बताऊंगा। पहले प्रताप जी के द्वारा सुनाए गए वृतांत के आधार पर प्रार्थना सभा में जो परिचय प्रोग्राम हुआ था, उस किस्से को शुरू करता हूं।
सवेरे के करीब 7:00 बजे विद्यालय में प्रार्थना सभा चल रही है। विद्यालय के मैदान में सभी कक्षाओं के लगभग 300 से 350 विद्यार्थी अनेक कतारों में खड़े हैं। प्रत्येक कक्षा की अलग-अलग कतार है। लड़कियों की कतारें अलग है। अधिकतर लड़कों ने खाकी रंग की पेंट, हल्के नीले रंग की पोशाक पहनी हुई है जबकि लड़कियों ने नीले रंग की कुर्ती और सफेद रंग की सलवार जो कि विद्यालय के ड्रेस कोड के अनुरूप है परंतु सभी लड़कों में अनुशासनहीनता साफ झलक रही है ।कतारें बेतरतीब हैं, बहुत से बच्चों ने तो विद्यालय की ड्रेस पहनी भी नहीं है, कोई पुराने गंदे जूतों तो कोई हवाई चप्पल में भी विद्यालय में पहुंचा है, लड़कों की कमीज उनकी पेंट से बाहर है, कमीज़ों पर कई जगह सिलाई के निशान है और बदन पर उनके कपड़े ऊंचे ऊंचे से और कसे हुए से दिख रहे हैं जैसे कि वे किसी पुरानी ड्रेस को ही बार-बार सील कर अपना काम चला रहे हैं। सामने कुछ मीटर की ऊंचाई पर बने चबूतरे पर 4 कॉलेजी लड़कियां प्रार्थना की पंक्तियां गा रही है और बाकी सभी कॉलेजी बच्चे उनकी गाई हुई एक-एक पंक्ति को दोहरा रहे हैं। चबूतरे पर एक साधारण सा लकड़ी का बक्सा रखा हुआ है जिस पर माइक को सेट किया गया है। हेड मास्टर साहब चबूतरे के ऊपर एक और खड़े हैं, सभी शिक्षक शिक्षिकाएं चबूतरे के नीचे दाईं और खड़े हैं एवं बाईं और नई मैडम एक तरफ खड़ी हैं और उन्हीं के पीछे कुछ दूरी पर विद्यालय का गृह व्यवस्था कर्मचारी खड़े हैं। प्रार्थना के गायन को लेकर कोई भी गंभीर नहीं दिख रहा है, लड़के आपस में ही हंसी मजाक कर रहे हैं। बाईं ओर की कतारों में खड़े कुछ बड़ी कक्षा के बच्चे मैडम की ओर टकटकी लगाए हुए हैं शायद उन सब ने अपने जीवन में ऐसी अप्सरा रूपी नारी कभी नहीं देखी होगी एवं जो गृह व्यवस्था कर्मचारी हैं जिनमें माली , बावर्ची, सफाई कर्मचारी इत्यादि हैं जिनका काम विद्यालय के रखरखाव से संबंधित हैं और जो निम्न आय वर्ग के लोग हैं, वे लोग सबसे बेहतर स्थिति में है क्योंकि उन्हें मैडम के नितंबों का दीदार पूरी प्रार्थना काल के दौरान करने का अवसर प्राप्त हुआ है। प्रार्थना गान समाप्त होते ही हेड मास्टर साहब माइक पर आकर सभी को संबोधित करते हैं।
“प्यारे बच्चों,  आज का दिन हम सबके लिए बहुत ही खुशी का दिन है। हमारे विद्यालय का यह सौभाग्य है कि हमें एक बहुत ही नामी-गिरामी संस्था की सेवा प्राप्त करने का शुभ अवसर मिला है। इस गैर सरकारी संस्था का नाम है चिल्ड्रंस विशिंग वेल (Children Wishing Well) जो कि दिल्ली में स्थित है। इसी संस्था के जरिए देश के बहुत से बच्चों को विशेषकर कॉलेजी बच्चों को शिक्षा व अन्य क्षेत्रों में विकास की ओर मार्ग प्रशस्त करने हेतु एक नई दिशा प्रदान कर चुकी आंचल मैडम ,जो कि आज हम सबके बीच मौजूद हैं, और जो आज से इस विद्यालय के नए मेंटोर के रूप में  आप सभी बच्चों को गाइड करेंगे तो जोरदार तालियों के साथ हम सब मैडम का स्वागत करते हैं।“
बच्चों ,अध्यापकों व अन्य सभी कर्मचारियों की तालियों की गड़गड़ाहट के बीच आंचल मैडम उस चबूतरे की ओर चलना प्रारंभ करती है ।चबूतरे पर चढ़ने के लिए आगे के कोने में बड़े-बड़े पत्थरों की बनी सीढ़ियों का इस्तेमाल करना पड़ता है ।आंचल मैडम जिन्होंने ऊंची एड़ी के काले रंग के सैंडल्स पहने हुए हैं, सीढ़ियों पर चढ़ते वक्त कुछ असहज सा महसूस करती है। कुल 10 बड़े बड़े पत्थर के ब्लॉक की सीढ़ियां बनाई गई है जिनमें से कुछ ब्लॉक तो 15 इंच की ऊंचाई पर हैं तो कुछ 20 इंच की ऊंचाई तक के है। इतनी ऊंचाई की सीढ़ियां और अनियमित निर्माण के चलते चढ़ते समय मैडम अगर एक पैर सीढ़ी पर रखती है तो फिर दूसरा पैर भी उसी सीढ़ी पर रखना पड़ता है। जब मैडम पहला पैर सीढ़ी पर रखती है तो उनके दोनों ढूंगे और भी ज्यादा फैल जाते हैं और जैसे ही दूसरा पैर उस सीडी पर रखती है तो बहुत ही कामुक अंदाज में दोनों ढूंगे दाएं बाएं लहराते हैं एवं दोनों बोबे किसी स्प्रिंग की भांति ऊपर- नीचे झटके लेते हैं ।भले ही उनके द्वारा पहना हुआ सलवार कमीज कितना ही भद्र और शालीन क्यों ना हो ,परंतु वह उनके बड़े स्तनों एवं नितंबों की बेहूदगी  को रोक पाने में विफल हैं। उन सीढ़ियों पर चढ़ते हुए आंचल मैडम की स्थिति ऐसी है कि उनके बाएं और कॉलेजी बच्चों की कतारें हैं, एकदम पीछे विद्यालय के गृह व्यवस्था कर्मचारी हैं, सामने व चबूतरे के दूसरी ओर अन्य शिक्षक शिक्षिकाएं हैं, दाएं और तिरछी तरफ चबूतरे पर खड़े हेड मास्टर और वे चार लड़कियां जो प्रार्थना को गा रही थीं, है। पास के पेड़ों पर कोयल की कू कू और छोटे बच्चों की कतारों में से आते शोर के अतिरिक्त हर कोई मौन एवं स्तब्ध है और इस शानदार दृश्य का आनंद उठा रहे हैं। मध्य की कतारों में प्राइमरी से पांचवी कक्षा तक के बच्चे हैं, जो अपनी ही धुन में रमे हुए हैं और कुछ मैडम की मुस्कुराते चेहरे को मासूमियत से टुकुर-टुकुर निहार रहे हैं। मध्य कतारों के दाएं और की कतारों में छठी से लेकर आठवीं कक्षा तक के बच्चे हैं जो मैडम के बाय ढूंगे का पूरा हिस्सा, दाएं ढूंगे का आधा हिस्सा एवं बाएं बोबे की साइड वाली गोल व चर्बी युक्त बाहरी आकृति को देख पा रहे हैं। इसी तरह मध्य कतारों की बाई और की कतारों में नौवीं से बारहवीं तक के कक्षा के बड़े बच्चे हैं जो कि मैडम के बाएं बोबे का पूरा हिस्सा, दाएं बोबे का आधे हिस्से की बाहरी आकृति एवं बाएं ढूंढे की साइड वाली बनावट को देख पा रहे हैं। इसी प्रकार सामने के शिक्षक दूर से उनके स्तनों की बेहतरीन फुलावट का मजा उठा रहे हैं। हेडमास्टर दाईं- तिरछी ओर से मैडम के स्तनों एवं दाएं ढूंगे के उभार को ताड़ रहे हैं, तो वही पीछे कार्य गृह व्यवस्था कर्मचारी मैडम की नितंबों की हरकतें देखकर अपनी लार टपका रहे हैं। थोड़े समय में आंचल मैडम उस माइक तक पहुंचती है और अपना भाषण देना प्रारंभ करती है।
“गुड मॉर्निंग प्यारे बच्चों”- मैडम ने  मुस्कुराहट से कहा।
“गुड मॉर्निंग मैडम”- बच्चों ने एक सुर में जवाब दिया।
“अच्छा बताओ, वह बच्चे हाथ उठाओ जिनका पढ़ाई लिखाई में मन लगता है”- आंचल मैडम ने पूछा।
इस प्रश्न के जवाब में कुछ 10 12 बच्चों ने ही हाथ उठाए।
मैडम थोड़ी देर हंसी और फिर दूसरा प्रश्न किया-“चलो कोई बात नहीं, अब वह बच्चे हाथ उठाओ जिनका खेलने कूदने में मन लगता है”
कुछ 10 से 12 बच्चों को छोड़कर लगभग सभी बच्चों ने अपने हाथ इस प्रश्न के उत्तर में खड़े कर दिए। उनके बीच में कुछ बच्चे दलीलें देने लगे।
“मैडम, हमारा मन तो गिल्ली डंडा में लगता है”
 “नहीं मैडम, पिट्टू पिट्टू में भी लगता है” “नहीं ,लंगड़ी टांग में भी”
 यह सुनकर पूरा वातावरण ठहाकों से गूंज उठा। मैडम को भी इस बात पर हंसी आ गई। फिर मैडम ने अगला प्रश्न किया- “अच्छा वह बच्चे अब हाथ उठाओ जिनका पढ़ाई लिखाई में भी मन लगता है और खेलने कूदने में भी लगता है।“
इस प्रश्न के उत्तर में कोई भी हाथ नहीं उठा। फिर आंचल मैडम ने कहना शुरू किया। 
“जरा सोचो, कितना मजा आएगा जब हम खेल कूद कर और मनोरंजन के साथ-साथ पढ़ाई लिखाई भी करें। हर बच्चा अलग है और अपने आप में ईश्वर की एक अनोखी कृति है। किसी को खेलना अच्छा लगता है तो किसी को पढ़ना, किसी को गाना अच्छा लगता है तो किसी को डांस करना, किसी को चित्र बनाना पसंद है तो किसी को अभिनय करना पसंद है। चिल्ड्रंस विशिंग वेल इनिशिएटिव के द्वारा हर बच्चे को ढेर सारी नई चीजें सीखने का मौका मिलता है और वह भी उन्हीं की विश के अनुसार। मतलब विश आपकी होगी और मेरा काम है आपकी विश पूरी करना बशर्ते कि इस विश से आपको कुछ नया सीखने को मिले या किसी चीज को एक नए तरीके से सीखने को मिले। इस इनीशिएटिव से हर बच्चे की विश भी पूरी होगी और साथ में पढ़ाई लिखाई भी हो जाएगी। है ना अच्छी बात!-मैडम ने प्यार भरी नजरों से सभी बच्चों की ओर देखते हुए कहा।
[+] 2 users Like Sitman's post
Like Reply


Messages In This Thread
RE: मस्तराम की डायरी के पन्नों से........... ़ - by Sitman - 07-05-2022, 06:06 PM



Users browsing this thread: 2 Guest(s)