07-05-2022, 09:55 AM
अजय की ये बात सुनते ही रिया की हालत खराब हो गयी...थोड़ी देर बाद वो धीरे से बोली : "जीजू...प्लीज़....मुझसे ऐसी बातें मत करो...''
अजय ने भी अपने आप को कोसा की कैसे वो एकदम से पहले दिन ही रिया से मूठ मारने की बातें कर रहा है...
उसने धीरे से सॉरी बोला और उसके बाद बिना कोई बात किए वो घर पहुँच गये...
अजय जान बूझकर अब रिया की तरफ देख भी नही रहा था, और अपना फेस भी उसने काफ़ी सीरियस सा बना लिया था...
कुछ देर बाद वो तैयार होकर ऑफीस के लिए निकल गया..और जाते हुए भी उसने रिया की तरफ देखा भी नही..रिया समझ गयी की उसके प्यारे जीजू उससे नाराज़ हो गये हैं..
पर ऑफीस में पूरा दिन वो कार वाली घटना के बारे में ही सोचता रहा...उसकी खुश्बू तो उसके जहन में बस चुकी थी...वो अभी भी गहरी साँस लेता तो ऐसा लग रहा था की जैसे रिया उसके चेहरे के सामने बाल खोलकर खड़ी है और वो उसकी खुश्बू सूंघ रहा है...
ऐसा करते-2 कब शाम हो गयी और कब वो घर पहुँच गया उसे भी पता नही चला...
पर उसे नही मालूम था की उसकी नाराज़ होने की एक्टिंग का कितना बड़ा फायदा होने वाला है उसे..
शाम को जब वो घर पहुँचा तो काफ़ी थका हुआ था,काम की वजह से नही,बल्कि ट्रेफिक की वजह से,प्राची तो आज ऑफीस गयी नही थी, इसलिए दरवाजा उसी ने खोला.और हमेशा की तरह अंदर आते ही उसने उसका बेग लिया और गले लगाकर किस्स किया
प्राची : "उम्म्म्म आ गये आप...आज बड़ी देर कर दी...''
अजय : "यार, आज तो ट्रॅफिक ने परेशान करके रख दिया...''
प्राची : "पता है सुबह से रिया कितनी बार पूछ चुकी है आपके बारे में ...पता नही एक ही दिन मे क्या जादू कर दिया है आपने मेरी भोली भली बहन पर..''
ये बोलते हुए उसके चेहरे पर कुटिल सी मुस्कान थी,जो हर उस पत्नी के चेहरे पर होती है जब वो अपने पति से किसी और औरत के बारे में बात करती है.
रिया का नाम सुनते ही अजय चोंक गया...वैसे भी आज पूरा दिन ऑफीस में वो उसके बारे में ही सोचता रहा था और रास्ते में आते हुए भी वो रिया के बारे में ही सोच रहा था..और घर आते ही अपनी बीबी से उसका नाम सुनने को मिलेगा, ये उसे अंदाज़ा नही था..पर जो भी था, रिया की बात सुनकर उसका लंड फिर से खड़ा हो गया.
अजय ने चौंकते हुए कहा : "रिया...उसे क्या हुआ..उसको भला मुझसे क्या काम है जो मेरे बारे में पूछ रही थी ..''
प्राची : "अब ये तो वो ही जाने...या उसके प्यारे जीजू जाने...हम भला कैसे बताएँ..''
वो अपनी उसी मुस्कान के साथ फिर से उसके करीब आ गयी..अजय तब तक सोफे पर बैठ चुका था..
अजय : "तुम सच में बड़ी शक्की हो...अपनी बहन को भी नही छोड़ा..''
प्राची : "होना पड़ता है जनाब, और ख़ासकर तब, जब पति इतना हेंडसम हो...''
इतना कहते -2 प्राची आकर अजय की गोद में बैठ गयी और अपनी बाहें उसकी गर्दन में लपेट दी..
उसके नर्म कूल्हे अजय की जाँघ पर रेंग रहे उसके खड़े हुए लंड से आ टकराए..और उसकी आँखे आश्चर्या से फैल गयी और बोली : "अच्छा जी, तो साली का नाम सुनते ही आपका ये छोटा शेर खड़ा हो गया है...''
वो अजय को टीज कर रही थी रिया का नाम ले-लेकर..
अजय : "ओफफो...तुम भी ना...ये तो तुम्हे देखकर अकड़ रहा है...पता है कल भी तुम ऐसे ही सो गयी थी..और मेरा इतना मन कर रहा था..''
प्राची : "ओल्ले मेला बैबी...तो मुझे उठा देते ना...आपको तो पता है ,सेक्स जितना आपको पसंद है उतना ही मुझे भी...''
अजय ने उसके मुम्मे दबाते हुए कहा : "पता है जान, पर कल तुम इतना थकी हुई थी की मुझसे तुम्हे उठाया ही नही गया..''
प्राची ने अजय के हाथ पर हाथ रखकर अपना मुम्मा ज़ोर से दबा दिया और सिसकारी मारने के बाद बोली : "उम्म ...हाँ , वो तो है, कल मै शायद ज़्यादा ही थक गयी थी...और नींद भी मुझे गहरी वाली आई...और मेरी वजह से मेरे बैबी को ऐसे ही सोना पड़ा...''
अब वो बेचारी भला क्या जानती थी की उसे वो गहरी वाली नींद कैसे आई थी...और अजय को ऐसे ही नही सोना पड़ा था..उसकी मौसी ने रात अच्छी तरह से सेवा करी थी अपने दामाद की , और दामाद ने भी उनकी गांड मारकर भेजा है वापिस मुंबई उन्हे..
प्राची : "पर कोई बात नही...कल की कमी ,मैं अभी पूरी कर देती हूँ ...''
और इतना कहते ही प्राची टूट पड़ी अजय के चेहरे पर...और अजय भी उसके मुम्मे मसलता हुआ उसके नर्म होंठों को चूसने लगा..
ऐसा अक्सर होता नही था, क्योंकि दोनों एक साथ ही ऑफीस से घर आते थे, इसलिए सेक्स सिर्फ़ रात को ही कर पाते थे, नयी शादीशुदा जिंदगी में एक दिन का गैप भी उत्तेजना भर जाता है...और यही हो रहा था इस वक़्त प्राची के साथ ...और वैसे भी अपने पति को बिना सेक्स के रखने का मतलब उसे बाहर की दुनिया का रास्ता दिखाना , जहाँ जाकर वो अपनी इच्छा की पूर्ति कर सके, ये मौका प्राची नही देना चाहती थी अजय को...
इसलिए उसने अजय के घर आने से पहले से ही ये सोच रखा था की आज उसके आने के साथ ही वो चुदाई करवाएगी..रात वाली शिफ्ट बाद में लगाएगी
और यही कर रही थी वो इस वक़्त...
प्राची ने सूट और सलवार पहनी हुई थी...अजय ने उसके उपर की कमीज़ उतार दी और एक हाथ से उसकी ब्रा भी खोल दी..
उसके दोनो कबूतर फड़फड़ाते हुए बाहर आ गये..और प्राची ने एक कबूतर की गर्दन पकड़ कर अजय के मुँह में अपना निप्पल दे दिया , और अजय भी किसी प्यासे जानवर की तरह उसपर टूट पड़ा और ज़ोर-2 से चुभलाते हुए उसे चूसने लगा..निकालने लगा उसके अंदर जमीं मिठास को
''आआआआआहह ऊओ मेरा बैबी......पी ले.....मम्मा का दूध पी ले...''
ऐसा अक्सर बोला करती थी प्राची..जिसे सुनकर वो ज़्यादा उत्तेजित हो जाया करता था.
प्राची : "आआआआआहह धीरे बैबी ....धीरे....मम्मा को दर्द होता है.....अहह......''
अजय के सिर पर हाथ फेरती हुई प्राची ने अजय की पेंट की जीप खोल दी...और उसके लंड की गर्दन पकड़कर बाहर खींच लिया..
उसके लंड को देखते ही वो नागिन की तरह लहराती हुई नीचे बैठ गयी उसके कदमों में , और उसे पकड़ कर अपनी जीभ से सहलाया...उसे पुचकारा ...और फिर एक गहरी साँस लेकर उसे निगल लिया..
''आआआआआआआआहह प्राची ...........ओ मेरी जान..............एसस्स्स्स्स्स्स्सस्स..... .सकक्क मी.....''
अजय उसके रेशमी बालों पर दबाव देकर अपने लंड को उसके मुँह के और अंदर धकेल रहा था...और वो भी अपने पंजों पर बैठकर अपने पति के छोटे भाई की सेवा अपनी गर्म जीभ से कर रही थी...
उसकी थूक से अजय का लंड नहा गया....अजय ने अपनी बेल्ट खोलकर अपनी पेंट को थोड़ा नीचे खिसका दिया जिसकी वजह से उसका लंड अब पूरी तरह से बाहर निकल आया था...
अजय ने भी अपने आप को कोसा की कैसे वो एकदम से पहले दिन ही रिया से मूठ मारने की बातें कर रहा है...
उसने धीरे से सॉरी बोला और उसके बाद बिना कोई बात किए वो घर पहुँच गये...
अजय जान बूझकर अब रिया की तरफ देख भी नही रहा था, और अपना फेस भी उसने काफ़ी सीरियस सा बना लिया था...
कुछ देर बाद वो तैयार होकर ऑफीस के लिए निकल गया..और जाते हुए भी उसने रिया की तरफ देखा भी नही..रिया समझ गयी की उसके प्यारे जीजू उससे नाराज़ हो गये हैं..
पर ऑफीस में पूरा दिन वो कार वाली घटना के बारे में ही सोचता रहा...उसकी खुश्बू तो उसके जहन में बस चुकी थी...वो अभी भी गहरी साँस लेता तो ऐसा लग रहा था की जैसे रिया उसके चेहरे के सामने बाल खोलकर खड़ी है और वो उसकी खुश्बू सूंघ रहा है...
ऐसा करते-2 कब शाम हो गयी और कब वो घर पहुँच गया उसे भी पता नही चला...
पर उसे नही मालूम था की उसकी नाराज़ होने की एक्टिंग का कितना बड़ा फायदा होने वाला है उसे..
शाम को जब वो घर पहुँचा तो काफ़ी थका हुआ था,काम की वजह से नही,बल्कि ट्रेफिक की वजह से,प्राची तो आज ऑफीस गयी नही थी, इसलिए दरवाजा उसी ने खोला.और हमेशा की तरह अंदर आते ही उसने उसका बेग लिया और गले लगाकर किस्स किया
प्राची : "उम्म्म्म आ गये आप...आज बड़ी देर कर दी...''
अजय : "यार, आज तो ट्रॅफिक ने परेशान करके रख दिया...''
प्राची : "पता है सुबह से रिया कितनी बार पूछ चुकी है आपके बारे में ...पता नही एक ही दिन मे क्या जादू कर दिया है आपने मेरी भोली भली बहन पर..''
ये बोलते हुए उसके चेहरे पर कुटिल सी मुस्कान थी,जो हर उस पत्नी के चेहरे पर होती है जब वो अपने पति से किसी और औरत के बारे में बात करती है.
रिया का नाम सुनते ही अजय चोंक गया...वैसे भी आज पूरा दिन ऑफीस में वो उसके बारे में ही सोचता रहा था और रास्ते में आते हुए भी वो रिया के बारे में ही सोच रहा था..और घर आते ही अपनी बीबी से उसका नाम सुनने को मिलेगा, ये उसे अंदाज़ा नही था..पर जो भी था, रिया की बात सुनकर उसका लंड फिर से खड़ा हो गया.
अजय ने चौंकते हुए कहा : "रिया...उसे क्या हुआ..उसको भला मुझसे क्या काम है जो मेरे बारे में पूछ रही थी ..''
प्राची : "अब ये तो वो ही जाने...या उसके प्यारे जीजू जाने...हम भला कैसे बताएँ..''
वो अपनी उसी मुस्कान के साथ फिर से उसके करीब आ गयी..अजय तब तक सोफे पर बैठ चुका था..
अजय : "तुम सच में बड़ी शक्की हो...अपनी बहन को भी नही छोड़ा..''
प्राची : "होना पड़ता है जनाब, और ख़ासकर तब, जब पति इतना हेंडसम हो...''
इतना कहते -2 प्राची आकर अजय की गोद में बैठ गयी और अपनी बाहें उसकी गर्दन में लपेट दी..
उसके नर्म कूल्हे अजय की जाँघ पर रेंग रहे उसके खड़े हुए लंड से आ टकराए..और उसकी आँखे आश्चर्या से फैल गयी और बोली : "अच्छा जी, तो साली का नाम सुनते ही आपका ये छोटा शेर खड़ा हो गया है...''
वो अजय को टीज कर रही थी रिया का नाम ले-लेकर..
अजय : "ओफफो...तुम भी ना...ये तो तुम्हे देखकर अकड़ रहा है...पता है कल भी तुम ऐसे ही सो गयी थी..और मेरा इतना मन कर रहा था..''
प्राची : "ओल्ले मेला बैबी...तो मुझे उठा देते ना...आपको तो पता है ,सेक्स जितना आपको पसंद है उतना ही मुझे भी...''
अजय ने उसके मुम्मे दबाते हुए कहा : "पता है जान, पर कल तुम इतना थकी हुई थी की मुझसे तुम्हे उठाया ही नही गया..''
प्राची ने अजय के हाथ पर हाथ रखकर अपना मुम्मा ज़ोर से दबा दिया और सिसकारी मारने के बाद बोली : "उम्म ...हाँ , वो तो है, कल मै शायद ज़्यादा ही थक गयी थी...और नींद भी मुझे गहरी वाली आई...और मेरी वजह से मेरे बैबी को ऐसे ही सोना पड़ा...''
अब वो बेचारी भला क्या जानती थी की उसे वो गहरी वाली नींद कैसे आई थी...और अजय को ऐसे ही नही सोना पड़ा था..उसकी मौसी ने रात अच्छी तरह से सेवा करी थी अपने दामाद की , और दामाद ने भी उनकी गांड मारकर भेजा है वापिस मुंबई उन्हे..
प्राची : "पर कोई बात नही...कल की कमी ,मैं अभी पूरी कर देती हूँ ...''
और इतना कहते ही प्राची टूट पड़ी अजय के चेहरे पर...और अजय भी उसके मुम्मे मसलता हुआ उसके नर्म होंठों को चूसने लगा..
ऐसा अक्सर होता नही था, क्योंकि दोनों एक साथ ही ऑफीस से घर आते थे, इसलिए सेक्स सिर्फ़ रात को ही कर पाते थे, नयी शादीशुदा जिंदगी में एक दिन का गैप भी उत्तेजना भर जाता है...और यही हो रहा था इस वक़्त प्राची के साथ ...और वैसे भी अपने पति को बिना सेक्स के रखने का मतलब उसे बाहर की दुनिया का रास्ता दिखाना , जहाँ जाकर वो अपनी इच्छा की पूर्ति कर सके, ये मौका प्राची नही देना चाहती थी अजय को...
इसलिए उसने अजय के घर आने से पहले से ही ये सोच रखा था की आज उसके आने के साथ ही वो चुदाई करवाएगी..रात वाली शिफ्ट बाद में लगाएगी
और यही कर रही थी वो इस वक़्त...
प्राची ने सूट और सलवार पहनी हुई थी...अजय ने उसके उपर की कमीज़ उतार दी और एक हाथ से उसकी ब्रा भी खोल दी..
उसके दोनो कबूतर फड़फड़ाते हुए बाहर आ गये..और प्राची ने एक कबूतर की गर्दन पकड़ कर अजय के मुँह में अपना निप्पल दे दिया , और अजय भी किसी प्यासे जानवर की तरह उसपर टूट पड़ा और ज़ोर-2 से चुभलाते हुए उसे चूसने लगा..निकालने लगा उसके अंदर जमीं मिठास को
''आआआआआहह ऊओ मेरा बैबी......पी ले.....मम्मा का दूध पी ले...''
ऐसा अक्सर बोला करती थी प्राची..जिसे सुनकर वो ज़्यादा उत्तेजित हो जाया करता था.
प्राची : "आआआआआहह धीरे बैबी ....धीरे....मम्मा को दर्द होता है.....अहह......''
अजय के सिर पर हाथ फेरती हुई प्राची ने अजय की पेंट की जीप खोल दी...और उसके लंड की गर्दन पकड़कर बाहर खींच लिया..
उसके लंड को देखते ही वो नागिन की तरह लहराती हुई नीचे बैठ गयी उसके कदमों में , और उसे पकड़ कर अपनी जीभ से सहलाया...उसे पुचकारा ...और फिर एक गहरी साँस लेकर उसे निगल लिया..
''आआआआआआआआहह प्राची ...........ओ मेरी जान..............एसस्स्स्स्स्स्स्सस्स..... .सकक्क मी.....''
अजय उसके रेशमी बालों पर दबाव देकर अपने लंड को उसके मुँह के और अंदर धकेल रहा था...और वो भी अपने पंजों पर बैठकर अपने पति के छोटे भाई की सेवा अपनी गर्म जीभ से कर रही थी...
उसकी थूक से अजय का लंड नहा गया....अजय ने अपनी बेल्ट खोलकर अपनी पेंट को थोड़ा नीचे खिसका दिया जिसकी वजह से उसका लंड अब पूरी तरह से बाहर निकल आया था...