07-05-2022, 07:49 AM
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मैं आशु के पीछे धीरे-धीरे उसी तरफ बढ़ने लगा, 'अश्विनी तू तो शहर जा कर मोटी हो गई है!' आशु की एक दोस्त ने कहा. 'चल हट!' अश्विनी ने उस लड़की को कंधा मरते हुए कहा. 'सच कह रही हूँ, ये देख कितना बड़े हो गए हैं तेरे!' ये कहते हुए उसने आशु के कूल्हों को सहलाया. 'तेरी स्तन भी पहले से बढ़ गईं हैं...और तेरे होंठ! क्या करती है तू वहाँ शहर में? कोई यार ढूँढ लिया क्या?' आशु ने गुस्से से................
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.