04-05-2022, 04:51 PM
“मोना आई लव यू… आई लव यू ….” वह नीचे चूचियों को चूसते हुए वहीं से बुदबुदाया। ‘मोना!’ हाँ, मैं रिया नहीं मोना थी। उसके लिए मोना। संवेदनों की तेज सनसनाहट में मैं भूल गई थी कि मैं मोना नहीं रिया थी। वह इतना प्यार मुझपर बरसा रहा था कोई और समझकर। मुझे पछतावा हुआ। इच्छा हुई उसे बता दूं। मगर आनंद और दर्द की लहरों में यह खयाल मुझे निरर्थक लगा। जो कुछ मैं भोग रही थी, जो आनंद, जो दर्द मुझे मिल रहा था उसमें इससे क्या फर्क पड़ता था मैं कौन हूँ। वह भोगना ही था। वह स्त्री देह की अनिवार्य नियति थी। कोई और राह नहीं थी। नीचे उस अनजान अतिथि को मेरी योनि अपनी पहचान के रस में डुबोकर भीतर बुला ही चुकी थी। अब क्या बाकी रहा था ?
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.