03-05-2022, 02:55 PM
(This post was last modified: 08-06-2022, 10:16 AM by Sitman. Edited 2 times in total. Edited 2 times in total.)
स्थान -राजकीय आदर्श उच्च माध्यमिक विद्यालय, राजस्थान
मेरा नाम मस्तराम है । मैं विद्यालय में बतौर प्रयोगशाला सहायक के तौर पर सेवारत हूं।
यह विद्यालय प्राथमिक से लेकर उच्च माध्यमिक स्तर तक का है। विद्यालय की इमारत बहुत ही पुरानी ,1 मंजिली और साधारण स्तर की है। निकट के गांवों के लगभग 600 विद्यार्थी इस विद्यालय में अध्ययनरत हैं। अधिकतर विद्यार्थी गरीब और निम्न मध्यम वर्ग के तबके से हैं। इन विद्यार्थियों की रुचि पढ़ने में बहुत कम और शरारतें करने में अधिक रहती हैं वहीं शिक्षक शिक्षिकाएं भी अध्यापन के बजाय स्टाफ रूम में चुगलियां करने में अधिक व्यस्त रहते हैं। आज विद्यालय के शिक्षकों में यह चर्चा चल रही है कि सरकार द्वारा किसी प्रतिष्ठित गैर सरकारी संस्था की स्वयंसेवी को इस विद्यालय में विद्यार्थियों के पथ प्रदर्शक के तौर पर नियुक्त किया गया है ताकि बच्चों में शिक्षा के प्रति रुझान पैदा हो। वह विद्यालय में अपना पद ग्रहण करने वाली है और इस संबंध में विद्यालय के हेडमास्टर श्री अरुण पांडे ने कल विद्यालय में होने वाली प्रभात की प्रार्थना में उनका परिचय सभी विद्यार्थियों व शिक्षकों से करवाने का फैसला लिया है।
अगला दिन-
मैं आज विद्यालय बड़ी देर से पहुंचा। अब तक विद्यालय में नई मेंटोर का परिचय कार्यक्रम संपन्न हो चुका था। आज विद्यालय का माहौल कुछ अजीब सा लग रहा है। जो शिक्षक कभी हवादार स्टाफ रूम में हमेशा बैठकर गप्पे लड़ाते रहते हैं आज कोई भी शिक्षक स्टाफ रूम में नजर नहीं आ रहा है। प्राइमरी से लेकर तीसरी कक्षा तक के बच्चों के लिए एक ही कमरा है जिसकी खिड़की पर बाहर की और कुछ 8 से 10 बड़ी कक्षा के बच्चे खड़े हैं और बारी-बार से उस खिड़की में से अंदर की ओर बड़ी ही बेसब्री से झांक कर देख रहे हैं। वह मैडम जिन्होंने आज पद ग्रहण किया था वह इस समय उसी कमरे में मौजूद थीं। मैं भी यही सोच कर हैरान हो रहा था कि आखिर उस मैडम में ऐसा क्या चुंबकीय आकर्षण है कि विद्यालय का माहौल इस तरह का बना हुआ है। तभी चपरासी हंसराज घंटी बजाता है जो कि पीरियड के बदलने का संकेत है और थोड़ी देर बाद मैडम उस कमरे से बाहर आती है। मैं अब पहली बार मैडम को देखता हूं। मैडम ने पीले रंग का सादा सलवार सूट पहना हुआ है जिस पर एक गुलाबी रंग का दुपट्टा अपने दाएं कंधे पर ओढा हुआ है। दुपट्टे पर किनारों पर पुष्प की कढ़ाई की कला बहुत ही आकर्षक व देखने लायक प्रतीत होती है। आकर्षक चेहरा, त्वचा का रंग औसत से कुछ अधिक गोरा , माथे पर छोटी सी श्याम बिंदी, होठों पर दुपट्टे से मिलान करते हुए गुलाबी रंग की लिपस्टिक, आंखें बड़ी और चौड़ी व होठों पर सदा मुस्कान। वह मेरे पास से गुजर जाती है और मैं भी हल्की मुस्कुराहट से उनका अभिवादन करता हूं। परंतु जो दृश्य देखकर मैं हक्का-बक्का रह गया वह था उनके स्तनों का आकार, उभार व आकृति। किसी मेज पर रखे विश्व मानचित्र के ग्लोब के समान गोलाई, बहुत ही सुडौल, आकार तो देखने से ऐसा लगता है कि मानो जितनी लंबाई चौड़ाई में उनका पेट विस्तृत है उतना ही विस्तार उनके वक्ष स्थान का भी है। स्तनों के उपहार का अंदाजा भी किस बात से लगाया जा सकता है कि एक औसत व मध्यम गले की कमीज में भी उनके स्तनों के बीचों-बीच पड़ने वाली रेखा के ऊपरी हिस्से का आभास हो रहा है। परिस्थिति चाहे कितनी भी साधारण क्यों ना हो , किसी का भी ध्यान उनके आकर्षक व कसावटी स्तनों पर अनायास एवं स्वतः ही हो उठता है और कुछ पलों के लिए निगाहें उनके स्तनों पर ही अटक कर रह जाती है। नन्हे नन्हे कदमों के साथ चलते हुए भी उनके दोनों बोबों में कंपन सी होती है और दोनों बोबे झटक झटक कर कभी ऊपर तो कभी नीचे की ओर हिलत-डुलते रहते हैं। कुछ समय के पश्चात जब मैडम मेरे पास से गुजर जाती है तो मैं मुड़कर एक बार उनके पश्च भाग की ओर निहारता हूं तो मेरी आंखें जैसे फटी की फटी रह जाती है। यदि उनके बदन का कोई हिस्सा आकर्षण के लिहाज से उनके स्तनों के साथ प्रतियोगिता कर सकता है तो वह है उनके नितंब। उनके खुले घने व करीने से सवारे गए बाल उनके नितंबों से कुछ ही ऊपर तक फैले हुए हैं। अत्युत्तम गोलाई ,बाहर की ओर शानदार उभार और ऐसा लगता है कि मानो कई कैलोरी की चर्बी से युक्त है उनका नितंब। नितंबों के उत्तम उभार के फलस्वरुप उनकी कमर काफी पतली जान पड़ती है और जाहिर है कि मैडम अपनी इस शारीरिक बनावट को बनाए रखने के लिए गहन शारीरिक अभ्यास भी करती हो ंंंं। पैदल चलते हुए उनके दोनों बोबे कंपनशील अवस्था में जितना एक दूसरे के करीब-करीब हिलते हुए आभासित होते हैं वैसे ही उनके दोनों विशाल आकार के गोल व मांसल ढुंगे भी एक दूसरे के दूर क्षैतिज दिशा में कंपन करते हुए प्रतीत होते हैं। इससे पहले कि मैं उनके बेशुमार शारीरिक बनावट की माप का सही से अनुमान लगा पाऊं, वह मेरी आंखों से ओझल हो जाती है।
मेरा नाम मस्तराम है । मैं विद्यालय में बतौर प्रयोगशाला सहायक के तौर पर सेवारत हूं।
यह विद्यालय प्राथमिक से लेकर उच्च माध्यमिक स्तर तक का है। विद्यालय की इमारत बहुत ही पुरानी ,1 मंजिली और साधारण स्तर की है। निकट के गांवों के लगभग 600 विद्यार्थी इस विद्यालय में अध्ययनरत हैं। अधिकतर विद्यार्थी गरीब और निम्न मध्यम वर्ग के तबके से हैं। इन विद्यार्थियों की रुचि पढ़ने में बहुत कम और शरारतें करने में अधिक रहती हैं वहीं शिक्षक शिक्षिकाएं भी अध्यापन के बजाय स्टाफ रूम में चुगलियां करने में अधिक व्यस्त रहते हैं। आज विद्यालय के शिक्षकों में यह चर्चा चल रही है कि सरकार द्वारा किसी प्रतिष्ठित गैर सरकारी संस्था की स्वयंसेवी को इस विद्यालय में विद्यार्थियों के पथ प्रदर्शक के तौर पर नियुक्त किया गया है ताकि बच्चों में शिक्षा के प्रति रुझान पैदा हो। वह विद्यालय में अपना पद ग्रहण करने वाली है और इस संबंध में विद्यालय के हेडमास्टर श्री अरुण पांडे ने कल विद्यालय में होने वाली प्रभात की प्रार्थना में उनका परिचय सभी विद्यार्थियों व शिक्षकों से करवाने का फैसला लिया है।
अगला दिन-
मैं आज विद्यालय बड़ी देर से पहुंचा। अब तक विद्यालय में नई मेंटोर का परिचय कार्यक्रम संपन्न हो चुका था। आज विद्यालय का माहौल कुछ अजीब सा लग रहा है। जो शिक्षक कभी हवादार स्टाफ रूम में हमेशा बैठकर गप्पे लड़ाते रहते हैं आज कोई भी शिक्षक स्टाफ रूम में नजर नहीं आ रहा है। प्राइमरी से लेकर तीसरी कक्षा तक के बच्चों के लिए एक ही कमरा है जिसकी खिड़की पर बाहर की और कुछ 8 से 10 बड़ी कक्षा के बच्चे खड़े हैं और बारी-बार से उस खिड़की में से अंदर की ओर बड़ी ही बेसब्री से झांक कर देख रहे हैं। वह मैडम जिन्होंने आज पद ग्रहण किया था वह इस समय उसी कमरे में मौजूद थीं। मैं भी यही सोच कर हैरान हो रहा था कि आखिर उस मैडम में ऐसा क्या चुंबकीय आकर्षण है कि विद्यालय का माहौल इस तरह का बना हुआ है। तभी चपरासी हंसराज घंटी बजाता है जो कि पीरियड के बदलने का संकेत है और थोड़ी देर बाद मैडम उस कमरे से बाहर आती है। मैं अब पहली बार मैडम को देखता हूं। मैडम ने पीले रंग का सादा सलवार सूट पहना हुआ है जिस पर एक गुलाबी रंग का दुपट्टा अपने दाएं कंधे पर ओढा हुआ है। दुपट्टे पर किनारों पर पुष्प की कढ़ाई की कला बहुत ही आकर्षक व देखने लायक प्रतीत होती है। आकर्षक चेहरा, त्वचा का रंग औसत से कुछ अधिक गोरा , माथे पर छोटी सी श्याम बिंदी, होठों पर दुपट्टे से मिलान करते हुए गुलाबी रंग की लिपस्टिक, आंखें बड़ी और चौड़ी व होठों पर सदा मुस्कान। वह मेरे पास से गुजर जाती है और मैं भी हल्की मुस्कुराहट से उनका अभिवादन करता हूं। परंतु जो दृश्य देखकर मैं हक्का-बक्का रह गया वह था उनके स्तनों का आकार, उभार व आकृति। किसी मेज पर रखे विश्व मानचित्र के ग्लोब के समान गोलाई, बहुत ही सुडौल, आकार तो देखने से ऐसा लगता है कि मानो जितनी लंबाई चौड़ाई में उनका पेट विस्तृत है उतना ही विस्तार उनके वक्ष स्थान का भी है। स्तनों के उपहार का अंदाजा भी किस बात से लगाया जा सकता है कि एक औसत व मध्यम गले की कमीज में भी उनके स्तनों के बीचों-बीच पड़ने वाली रेखा के ऊपरी हिस्से का आभास हो रहा है। परिस्थिति चाहे कितनी भी साधारण क्यों ना हो , किसी का भी ध्यान उनके आकर्षक व कसावटी स्तनों पर अनायास एवं स्वतः ही हो उठता है और कुछ पलों के लिए निगाहें उनके स्तनों पर ही अटक कर रह जाती है। नन्हे नन्हे कदमों के साथ चलते हुए भी उनके दोनों बोबों में कंपन सी होती है और दोनों बोबे झटक झटक कर कभी ऊपर तो कभी नीचे की ओर हिलत-डुलते रहते हैं। कुछ समय के पश्चात जब मैडम मेरे पास से गुजर जाती है तो मैं मुड़कर एक बार उनके पश्च भाग की ओर निहारता हूं तो मेरी आंखें जैसे फटी की फटी रह जाती है। यदि उनके बदन का कोई हिस्सा आकर्षण के लिहाज से उनके स्तनों के साथ प्रतियोगिता कर सकता है तो वह है उनके नितंब। उनके खुले घने व करीने से सवारे गए बाल उनके नितंबों से कुछ ही ऊपर तक फैले हुए हैं। अत्युत्तम गोलाई ,बाहर की ओर शानदार उभार और ऐसा लगता है कि मानो कई कैलोरी की चर्बी से युक्त है उनका नितंब। नितंबों के उत्तम उभार के फलस्वरुप उनकी कमर काफी पतली जान पड़ती है और जाहिर है कि मैडम अपनी इस शारीरिक बनावट को बनाए रखने के लिए गहन शारीरिक अभ्यास भी करती हो ंंंं। पैदल चलते हुए उनके दोनों बोबे कंपनशील अवस्था में जितना एक दूसरे के करीब-करीब हिलते हुए आभासित होते हैं वैसे ही उनके दोनों विशाल आकार के गोल व मांसल ढुंगे भी एक दूसरे के दूर क्षैतिज दिशा में कंपन करते हुए प्रतीत होते हैं। इससे पहले कि मैं उनके बेशुमार शारीरिक बनावट की माप का सही से अनुमान लगा पाऊं, वह मेरी आंखों से ओझल हो जाती है।