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Misc. Erotica पार्टी के बाद
#14
5

 
भिखारी ने मुझे जो चीज मुझे दिखाई, ऐसी चीज मैंने जिंदगी में पहले कभी नहीं देखी थी| भिखारी के दो टाँगों के बीच जघन के बालों का एक मैला सा जंगल था... और उसके बीच में उसका काला काला सा लिंग और बड़े बड़े दो अंडकोष, अपनी ज़िंदगी की जवानी की दहलीज़ पर कदम रखते ही मेरे नसीब में पराए मर्दों का गुप्ताँग देखना लिखा हुआ था, पर उस भिखारी का लिंग करीब- करीब 8 इंच लंबा डेढ़ इंच मोटा और एक लोहे के रॉड की तरह सीधा थाऐसा तलवार की तरह सीधा सपाट लिंग मैंने अपनी ज़िन्दगी में लेना तो दूर कभी देखा भी नहीं था... इस लिए उसे देखते ही मेरे जी ललचाने लगा... पर वह भिखारी बहुत गन्दा दिख रहा था... उसके ददन से न जाने कैसी बदबू आ रही थी, जो कि  इस चार दीवारी के अंदर और तेज़ लग रही थी...
 
उस वक्त मेरे दिमाग में दो बातें घूम रही थी, कि मैं झट से अपना हॉल्टर उठाउँ और इस भिखारी को धक्का मारकर उसकी कुटिया से भाग निकलूं... दूसरा यहीं रह कर इस भिखारी के इतने लंबे और मोटे लिंग से चुद कर एक नया मज़ा लूँ...
 
मैं यह सब सोच ही रही थी कि भिखारी ने अपनी रूखी सूखी उंगलियों से मेरे कोमल यौनांग को छूते हुए कहा, “तेरी चुत में बाल क्यों नही हैं?”
 
जी बाबा मैं इस जगह को बिल्कुल साफ सुथरा रखती हूं...
 
ऐसा क्यों?” शायद उस भिखारी को मालूम नहीं था कि आजकल की ज़्यादातर लड़कियां हेयर रिमूवर का इस्तेमाल करती हैं या फिर वह जान बूझकर अनजान बन रहा था... यह तो पता नहीं|
 
ऐसे हीताकि लोगों को देख कर अच्छा लगे... लोगबाग अपना लंड  इसके अंदर घुसा देते हैंउसके बाद धक्के लगाते हैंतभी तो मुझे मजा आता है ना... फिर हिलाते हिलाते उनके लंड  से गरम- गरम माल निकल के गिरता है... यह जगह तो मेरे लिए मौज मस्ती का एक जरिया भी तो है ना...मैं बिल्कुल भोली भाली सीधी सादी बनकर उस भिखारी के सवालों का जवाब दे रही थी पर मैंने उसे यह नहीं बताया कि यह मेरे लिए आमदनी का जरिया भी है|
 
भिखारी मानो मगन सा होकर मेरे कोमल यौनांग को अपनी उंगलियों से सहलाए जा रहा था... और उसकी रूखी सूखी चाँदी की छुयन से मुझे भी सेक्स का नशा चढ़ रहा था|
 
"कब से कर रही है, यह सब?"
 
"मैं बहुत छोटी थी तब पहली बार मेरी आंटी ने मेरे साथ ऐसा करवाया था..."
 
"अच्छा" भिखारी अभी भी मेरे यौनांग से खेल रहा था...
 
मैने शायद शराब और सेक्स के नशे में ही बड़ी उत्सुकता के साथ पूछा, “बाबा, क्या आप...कहते कहते मैं रुक सी गई...
 
क्या बोली, लड़की?” भखारी को भ जैसे होश आया|
 
शायद मैं यही अवचेतन रूप में सोच कर हिचकिचा रही थी कि जब यह भिखारी मेरे यौनांग में अपना लिंग घुसाएगा तो मुझे कितनी दर्द होगी?... लेकिन अब तो बहुत देर हो चुकी थी, इसलिए मेरे मूह से धीरे से निकला, “...  चोदेंगे नही?”
 
हाँ...हाँ...हाँ... बिल्कुल... बिल्कुल... बिल्कुल... मैं इसीलिए तो तुझे अपनी कुटिया में लेकर आया हूंयह कह कर भखारी मुझे पकड़ने के लिए आगे बढ़ा... लेकिन मैने अपनी हथेली उसके गंदे से सीने में रख कर दृढ़ता से उसे पीछे धकेला और बोली, “रुकिये...
 
क्यों?” हक्का बक्का हो कर भिखारी ने पूछा|
 
हमारे बीच यह तय हुआ था कि पहले हम दोनो बैठ कर शराब पिएँगे, उसके बाद चुदाई...मैने उसे याद दिलाया|
 
हाँ...हाँ...हाँ... बिल्कुल... बिल्कुल... बिल्कुल...
 
अब तो भिखारी के मन में शायद लड्डू से फूट रहे थे क्योंकि एक तो उसे बिन पैसों की महंगी शराब पीने को मिल रही थी उसके ऊपर मुझ जैसी हाई क्लास लड़की... वह भी मुफ्त में... और मेरे दिमाग़ के एक कोने से शयाद यह आवाज़ आ रही थी कि अभी भी वक़्त है, पागल लड़की... इस गंदे से आदमी को शराब पीला- पीला कर के बेहोश कर दे और भाग यहाँ से...पर मैं बोली, “पानी ले कर आइए…”
 
क्रमश:
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RE: पार्टी के बाद - by naag.champa - 25-12-2018, 03:20 PM



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