28-04-2022, 04:10 PM
वो ये सोच ही रहा था की रिया की थोड़ी तेज आवाज़ आई उसके कानों में : ''हेल्लओ ......जीजू.....आप सुन भी रहे हैं मैने क्या कहा ....''
अजय जैसे नींद से जागा, उसकि नजरें अभी तक उसकी क्लिवेज देखने में लगी थी और वो झल्ली रिया को अब भी पता नही चल पा रहा था की अजय की नज़रें उसकी नन्ही कलियों को देखकर मदहोश हो रही हैं ..
अजय : "ओह्ह्ह ....सॉरी ....मैं कुछ सोच रहा था....बोलो...क्या कहा तुमने ....''
रिया : "मैं ये कह रही थी की आप मुझे कोई कंप्यूटर कोर्स सजेस्ट करो ना...मैने 6 महीने बाद इंजिनियरिंग का एंट्रेन्स देना है और मुझे कंप्यूटर में सिर्फ़ नॉर्मल ऑपरेट करना ही आता है...''
अजय की नजरें उसकी टी शर्ट के अंदर थी पर ध्यान अब उसकी तरफ ही आ चुका था, वो बोला : "कोई बात नही,मैं बता दूँगा तुम्हे...''
रिया : "बता नही दोगे, मेरा एडमिशन भी करवाओगे ...''
अजय : "एडमिशन ...पर तुम तो मुंबई में करोगी ना ये कोर्स ...''
रिया : "सर्प्राइज़.....मैं यहीं रहूंगी अब से...दिल्ली में , मौसी के घर ''
उसकी ये बात सुनकर अजय चोंक गया.
रिया : "आपको नही पता था ना...देखा,सर्प्राइज़ दिया ना आपको भी...मैने यहाँ आने से पहले ही डेड को बोल दिया था की मैं इंजिनियरिंग दिल्ली से ही करूँगी...यहाँ की वॅल्यू कुछ अलग ही है...''
वो बोले जा रही थी और अजय की बाँछे खिलती चली जा रही थी ये सुनकर...एक तरफ उसकी सास...दूसरी तरफ उसकी साली...और अब ये एक और साली...उसकी किस्मत में तो दिन ब दिन नया माल आता ही चला जा रहा है...
वो ये सोच ही रहा था की कमरे में प्राची आ गयी और रिया को ऐसे अजय के सामने लेटा हुआ देखकर ना जाने उसके दिमाग़ में क्या आया की वो घूमकर अजय की तरफ आकर खड़ी हो गयी...और वहाँ से उसने जब देखा की रिया का गला कितना खुलकर अपने अंगों का प्रदर्शन कर रहा है तो वो भड़क सी गयी और बोली : "रिया...ये क्या तरीका है अपने जीजाजी के सामने लेटने का ,तुम्हे कुछ समझ है या नही...चलो उठो...और बाहर आओ मेरे साथ...''
रिया बेचारी को तो कुछ समझ ही नही आया की उसकी कजन दीदी उसे ऐसे क्यो डांट रही है...अपने जीजू के सामने लेटने का भी कोई तरीका होता है क्या ..
अब उस बेचारी को कौन समझाए की जब जीजा ऐसा ठरकी हो तो हर चीज़ का तरीका होता है..
खैर, वो मायूस सा चेहरा लेकर बाहर निकल आई और प्राची उसे लेकर सीधा किचन में चली गयी..अजय भी चुपके से उठकर बाहर आ गया और किचन के बाहर खड़ा होकर उनकी बातें सुनने लगा..
क्योंकि उसे अपनी बीबी का नेचर पता था, वो अपने पति को लेकर काफ़ी पोस्सेसिव थी और ऐसे कोई भी लड़की आकर अगर उसे बहकाने की कोशिश करेगी तो वो रिएक्ट तो करेगी ही ना भले ही वो उसकी खुद की कजन सिस्टर हो.
प्राची : "तुझे तो अभी तक किसी चीज़ की समझ नही आई...एकदम बुद्धू है तू अभी भी...तुझे समझ नही थी की आपसे अपने जीजू के सामने लेटने से तेरी ब्रेस्ट दिख रही थी उन्हे...'' प्राची ने उसकी गोलाईयों की तरफ इशारा करते हुए कहा.
रिया ने अपनी छातियों को देखा और बड़े ही भोलेपन से बोली : "पर दीदी, ऐसे तो मैं अक्सर लेटा करती हू..पापा के सामने भी...मम्मी ने तो कभी कुछ नही कहा...और ना ही अभी जीजू ने मुझे टोका ...''
उसकी ये बात सुनकर बाहर खड़े अजय की हँसी निकल गयी..और अंदर खड़ी प्राची की भी...वो हंसते हुए बोली : "मेरी प्यारी गुड़िया, तू सच में बड़ी भोली है...ये बातें बोली नही जाती बल्कि खुद समझी जाती है...देख, मर्द को ये सब देखने में बड़ा मज़ा आता है, चाहे वो तेरे पापा हो या जीजू , इसलिए वो कभी नही टोकेंगे , तुझे खुद ही अपना समान उनकी नजरों से बचा कर रखना पड़ेगा...''
वो बड़ी गंभीरता से उसे समझा रही थी...
रिया : "पर दीदी, मुझे अभी क्या ज़रूरत है अपने बूब्स छुपाने की, ये तो छोटे-2 से है अभी...और मर्दों को तो बड़े-2 पसंद आते है...जैसे की आपके हैं''
प्राची (आँखे तरेर कर) : "तुझे कैसे पता...''
रिया : "वो मेरे कॉलेज में कोई भी लड़का मुझे नही देखता था...मेरी दूसरी फ्रेंड्स को देखकर उन्हे छेड़ते थे, मैने एक दिन अपनी फ्रेंड्स से पूछा तो उसने ये बताया की लड़के बड़ी ब्रेस्ट वाली लड़कियो को ज़्यादा पसंद करते हैं...''
प्राची : "वो तेरे कॉलेज की बात थी...अब तू बड़ी हो गयी है...और तेरे बूब्स भी..समझी..''
रिया की आँखे चमक उठी : "सच दीदी...आपको लगता है की मेरे बूब्स बड़े हो गये हैं...मुझे तो ऐसा लगा ही नहीं कभी ,जितने पिछले साल थे, उतने ही लगते हैं ''
वो दोनो हाथों से उन्हे थामकर उनका वजन नापने लगी.
प्राची : "ओफफो...तू बिल्कुल झल्ली है...मैं तुझे क्या समझने की कोशिश कर रही हू और तू है की मुझे ही अपनी बातों मे उलझा रही है...चल छोड़ ये सब और आगे से मेरी ये बात ध्यान रखना..''
पर वो सुन रही होती तो ध्यान रखती ना...वो तो ये सोचकर खुशी से दोहरी हो रही थी की उसकी दीदी ने उसकी बड़ी हुई ब्रेस्ट को नोटिस किया है..और अब उसे भी लड़के देखा करेंगे, जैसे उसकी फ्रेंड्स को देखा करते थे.
प्राची फिर से काम पर लग गयी और वो चमकती आँखो से बाहर निकल आई..
अजय भी फ़ौरन जाकर सोफे पर बैठ गया और अख़बार पड़ने लगा.
रिया उसके सामने आकर बैठ गयी , वो अभी तक अपनी दीदी की बातों में खोई हुई थी.
अजय : "क्या हुआ रिया, क्या सोच रही हो...दीदी क्यो डांट रही थी तुम्हे...''
रिया बिना सोचे समझे बोल पड़ी : "देखो ना जीजू, दीदी मुझे बोल रही थी की मैं आपके सामने ऐसे ना लेटू , मेरे बूब्स दिखेंगे आपको...अब आप ही बताओ, दीदी के बड़े बूब्स छोड़कर भला आप मेरे क्यो देखोगे...दीदी भी ना..''
अजय को उसके भोलेपन पर दया सी आ गयी, मुंबई मे रहकर भी वो ऐसी झल्लियो जैसी बातें कर रही थी उसे तो यकीन ही नही हुआ..वो उसके साथ आकर उसी सोफे पर बैठ गया और बोला : "तुम्हारी दीदी को इन बातों की समझ नही है ना इसलिए वो ऐसा बोल रही थी...लेकिन एक बात बोलू, दीदी से तो नही कहोगी ना...''
रिया ने भोलेपन से उत्तर दिया : "कहो ना जीजू, नही बोलूँगी दीदी से, मम्मी की कसम..''
उसने अपने गले पर हाथ लगाकर कहा.
अजय ने हिम्मत करते हुए मंद-2 मुस्कुराते हुए धीरे से कहा : "मुझे ना सच में तुम्हारे बूब्स बड़े पसंद आए...और सच कहु, मुझे ऐसे ही साइज़ के पसंद आते हैं...मम्मी की कसम''
उसने भी रिया की तरह अपने गले पर चुटकी काटकर उतने ही भोलेपन से कहा.
और अपने जीजू को अपने बूब्स की तारीफ करते देखकर रिया का चेहरा चमक उठा : "वाउ...सच में जीजू....मुझे तो लगा था की मर्दों को बड़े-2 पसंद आते हैं ...जैसे प्राची दीदी के हैं...मेरी माँ के हैं...मौसीजी के हैं...मेरी फ्रेंड नाज़िया हैं ''
वो सारे मोटे मुम्मों वालियों के नाम गिनवाने लगी...
अजय ने उसे बीच मे ही टोकते हुए कहा : "हाँ ...पर हर कोई एक जैसा नही होता ना...किसी को बड़े पसंद आते हैं और किसी को छोटे...और मुझे छोटे ही पसंद है...तुम्हारे जैसे...''
और उसने थोड़ी और हिम्मत करते हुए अपनी हथेली को उसकी दाँयी तरफ की ब्रेस्ट के नीचे लगाकर उसका वजन नाप लिया...और अजय की इस हरकत से पहली बार अजय ने उसकी आँखो में शर्म के भाव देखे ..
रिया : "ये क्या कर रहे हैं जीजू ....''
अजय : "ओह...सॉरी....बस बता रहा था की ये सच में बड़े सुंदर हैं....''
वो कुछ बोल पाती तभी बाहर से पूजा अंदर आ गयी...
उसने अपने जीजू को ऐसे अपनी कजन के इतने करीब बैठे हुए देखा तो उसका माथा ठनक गया...वो तो अच्छी तरह जानती थी अपने ठरकी जीजू की आदतों को..उस दिन वो उसकी माँ को घूर रहे थे और अब उसकी छोटी कजन रिया को...
वो करीब आई और बोली : "रिया की बच्ची , तू मुझे सोता छोड़कर अकेली यहाँ आ गयी...मुझे भी ले आती..''
अजय ने पूजा की तरफ देखा और उसके चेहरे के भाव देखकर वो समझ गया की उसके मन में क्या चल रहा है..शायद वो जेलिस फील कर रही थी..
और ये ख़याल आते ही अजय के दिमाग़ में एक बात आई...
वो रिया का इस्तेमाल करके पूजा को अपने जाल में फँसा सकता है...
क्योंकि अब तो रिया वहीं रहने वाली थी...और रिया अपनी कजन पूजा की तरह चालक नही थी, उसे वो आसानी से अपने जाल में फँसा सकता था..और रिया के थ्रू वो पूजा तक भी पहुँच सकता था...
उसके टार्गेट्स बढ़ते जा रहे थे...सासू माँ , मौसी जी, पूजा और अब रिया...पता नही कैसे करेगा वो..पर ठरकी अजय को अपने उपर पूरा यकीन था की वो ये काम कर ही लेगा..
कुछ ही देर में मौसी जी भी बाहर आ गयी...और उसकी सासू माँ भी उनके घर आ गयी, सबने मिलकर नाश्ता किया, और नाश्ता करते-2 ही मौसीजी ने रिया के वहीं दिल्ली में रहकर इंजिनियरिंग करने की बात बताई...उनकी बहन रजनी तो पहले से ही ये बात जानती थी..इन्फेक्ट सभी लोग जानते थे, सिर्फ़ अजय को ही नही मालूम था ये..
अगली सुबह मौसाजी और मौसीजी को निकलना था मुंबई के लिए और इससे पहले अजय एक बार मौसीजी पर और ट्राइ करके देखना चाहता था की जो उसे आज सुबह उनके बारे में लगा था वो सच है या नही..अगर उसकी पारखी नज़रें सही है तो वो अपनी तरफ से कोई रोक-टोक नही करेंगी...और इसके लिए अजय के पास कुछ ही घंटे बचे थे.
अजय जैसे नींद से जागा, उसकि नजरें अभी तक उसकी क्लिवेज देखने में लगी थी और वो झल्ली रिया को अब भी पता नही चल पा रहा था की अजय की नज़रें उसकी नन्ही कलियों को देखकर मदहोश हो रही हैं ..
अजय : "ओह्ह्ह ....सॉरी ....मैं कुछ सोच रहा था....बोलो...क्या कहा तुमने ....''
रिया : "मैं ये कह रही थी की आप मुझे कोई कंप्यूटर कोर्स सजेस्ट करो ना...मैने 6 महीने बाद इंजिनियरिंग का एंट्रेन्स देना है और मुझे कंप्यूटर में सिर्फ़ नॉर्मल ऑपरेट करना ही आता है...''
अजय की नजरें उसकी टी शर्ट के अंदर थी पर ध्यान अब उसकी तरफ ही आ चुका था, वो बोला : "कोई बात नही,मैं बता दूँगा तुम्हे...''
रिया : "बता नही दोगे, मेरा एडमिशन भी करवाओगे ...''
अजय : "एडमिशन ...पर तुम तो मुंबई में करोगी ना ये कोर्स ...''
रिया : "सर्प्राइज़.....मैं यहीं रहूंगी अब से...दिल्ली में , मौसी के घर ''
उसकी ये बात सुनकर अजय चोंक गया.
रिया : "आपको नही पता था ना...देखा,सर्प्राइज़ दिया ना आपको भी...मैने यहाँ आने से पहले ही डेड को बोल दिया था की मैं इंजिनियरिंग दिल्ली से ही करूँगी...यहाँ की वॅल्यू कुछ अलग ही है...''
वो बोले जा रही थी और अजय की बाँछे खिलती चली जा रही थी ये सुनकर...एक तरफ उसकी सास...दूसरी तरफ उसकी साली...और अब ये एक और साली...उसकी किस्मत में तो दिन ब दिन नया माल आता ही चला जा रहा है...
वो ये सोच ही रहा था की कमरे में प्राची आ गयी और रिया को ऐसे अजय के सामने लेटा हुआ देखकर ना जाने उसके दिमाग़ में क्या आया की वो घूमकर अजय की तरफ आकर खड़ी हो गयी...और वहाँ से उसने जब देखा की रिया का गला कितना खुलकर अपने अंगों का प्रदर्शन कर रहा है तो वो भड़क सी गयी और बोली : "रिया...ये क्या तरीका है अपने जीजाजी के सामने लेटने का ,तुम्हे कुछ समझ है या नही...चलो उठो...और बाहर आओ मेरे साथ...''
रिया बेचारी को तो कुछ समझ ही नही आया की उसकी कजन दीदी उसे ऐसे क्यो डांट रही है...अपने जीजू के सामने लेटने का भी कोई तरीका होता है क्या ..
अब उस बेचारी को कौन समझाए की जब जीजा ऐसा ठरकी हो तो हर चीज़ का तरीका होता है..
खैर, वो मायूस सा चेहरा लेकर बाहर निकल आई और प्राची उसे लेकर सीधा किचन में चली गयी..अजय भी चुपके से उठकर बाहर आ गया और किचन के बाहर खड़ा होकर उनकी बातें सुनने लगा..
क्योंकि उसे अपनी बीबी का नेचर पता था, वो अपने पति को लेकर काफ़ी पोस्सेसिव थी और ऐसे कोई भी लड़की आकर अगर उसे बहकाने की कोशिश करेगी तो वो रिएक्ट तो करेगी ही ना भले ही वो उसकी खुद की कजन सिस्टर हो.
प्राची : "तुझे तो अभी तक किसी चीज़ की समझ नही आई...एकदम बुद्धू है तू अभी भी...तुझे समझ नही थी की आपसे अपने जीजू के सामने लेटने से तेरी ब्रेस्ट दिख रही थी उन्हे...'' प्राची ने उसकी गोलाईयों की तरफ इशारा करते हुए कहा.
रिया ने अपनी छातियों को देखा और बड़े ही भोलेपन से बोली : "पर दीदी, ऐसे तो मैं अक्सर लेटा करती हू..पापा के सामने भी...मम्मी ने तो कभी कुछ नही कहा...और ना ही अभी जीजू ने मुझे टोका ...''
उसकी ये बात सुनकर बाहर खड़े अजय की हँसी निकल गयी..और अंदर खड़ी प्राची की भी...वो हंसते हुए बोली : "मेरी प्यारी गुड़िया, तू सच में बड़ी भोली है...ये बातें बोली नही जाती बल्कि खुद समझी जाती है...देख, मर्द को ये सब देखने में बड़ा मज़ा आता है, चाहे वो तेरे पापा हो या जीजू , इसलिए वो कभी नही टोकेंगे , तुझे खुद ही अपना समान उनकी नजरों से बचा कर रखना पड़ेगा...''
वो बड़ी गंभीरता से उसे समझा रही थी...
रिया : "पर दीदी, मुझे अभी क्या ज़रूरत है अपने बूब्स छुपाने की, ये तो छोटे-2 से है अभी...और मर्दों को तो बड़े-2 पसंद आते है...जैसे की आपके हैं''
प्राची (आँखे तरेर कर) : "तुझे कैसे पता...''
रिया : "वो मेरे कॉलेज में कोई भी लड़का मुझे नही देखता था...मेरी दूसरी फ्रेंड्स को देखकर उन्हे छेड़ते थे, मैने एक दिन अपनी फ्रेंड्स से पूछा तो उसने ये बताया की लड़के बड़ी ब्रेस्ट वाली लड़कियो को ज़्यादा पसंद करते हैं...''
प्राची : "वो तेरे कॉलेज की बात थी...अब तू बड़ी हो गयी है...और तेरे बूब्स भी..समझी..''
रिया की आँखे चमक उठी : "सच दीदी...आपको लगता है की मेरे बूब्स बड़े हो गये हैं...मुझे तो ऐसा लगा ही नहीं कभी ,जितने पिछले साल थे, उतने ही लगते हैं ''
वो दोनो हाथों से उन्हे थामकर उनका वजन नापने लगी.
प्राची : "ओफफो...तू बिल्कुल झल्ली है...मैं तुझे क्या समझने की कोशिश कर रही हू और तू है की मुझे ही अपनी बातों मे उलझा रही है...चल छोड़ ये सब और आगे से मेरी ये बात ध्यान रखना..''
पर वो सुन रही होती तो ध्यान रखती ना...वो तो ये सोचकर खुशी से दोहरी हो रही थी की उसकी दीदी ने उसकी बड़ी हुई ब्रेस्ट को नोटिस किया है..और अब उसे भी लड़के देखा करेंगे, जैसे उसकी फ्रेंड्स को देखा करते थे.
प्राची फिर से काम पर लग गयी और वो चमकती आँखो से बाहर निकल आई..
अजय भी फ़ौरन जाकर सोफे पर बैठ गया और अख़बार पड़ने लगा.
रिया उसके सामने आकर बैठ गयी , वो अभी तक अपनी दीदी की बातों में खोई हुई थी.
अजय : "क्या हुआ रिया, क्या सोच रही हो...दीदी क्यो डांट रही थी तुम्हे...''
रिया बिना सोचे समझे बोल पड़ी : "देखो ना जीजू, दीदी मुझे बोल रही थी की मैं आपके सामने ऐसे ना लेटू , मेरे बूब्स दिखेंगे आपको...अब आप ही बताओ, दीदी के बड़े बूब्स छोड़कर भला आप मेरे क्यो देखोगे...दीदी भी ना..''
अजय को उसके भोलेपन पर दया सी आ गयी, मुंबई मे रहकर भी वो ऐसी झल्लियो जैसी बातें कर रही थी उसे तो यकीन ही नही हुआ..वो उसके साथ आकर उसी सोफे पर बैठ गया और बोला : "तुम्हारी दीदी को इन बातों की समझ नही है ना इसलिए वो ऐसा बोल रही थी...लेकिन एक बात बोलू, दीदी से तो नही कहोगी ना...''
रिया ने भोलेपन से उत्तर दिया : "कहो ना जीजू, नही बोलूँगी दीदी से, मम्मी की कसम..''
उसने अपने गले पर हाथ लगाकर कहा.
अजय ने हिम्मत करते हुए मंद-2 मुस्कुराते हुए धीरे से कहा : "मुझे ना सच में तुम्हारे बूब्स बड़े पसंद आए...और सच कहु, मुझे ऐसे ही साइज़ के पसंद आते हैं...मम्मी की कसम''
उसने भी रिया की तरह अपने गले पर चुटकी काटकर उतने ही भोलेपन से कहा.
और अपने जीजू को अपने बूब्स की तारीफ करते देखकर रिया का चेहरा चमक उठा : "वाउ...सच में जीजू....मुझे तो लगा था की मर्दों को बड़े-2 पसंद आते हैं ...जैसे प्राची दीदी के हैं...मेरी माँ के हैं...मौसीजी के हैं...मेरी फ्रेंड नाज़िया हैं ''
वो सारे मोटे मुम्मों वालियों के नाम गिनवाने लगी...
अजय ने उसे बीच मे ही टोकते हुए कहा : "हाँ ...पर हर कोई एक जैसा नही होता ना...किसी को बड़े पसंद आते हैं और किसी को छोटे...और मुझे छोटे ही पसंद है...तुम्हारे जैसे...''
और उसने थोड़ी और हिम्मत करते हुए अपनी हथेली को उसकी दाँयी तरफ की ब्रेस्ट के नीचे लगाकर उसका वजन नाप लिया...और अजय की इस हरकत से पहली बार अजय ने उसकी आँखो में शर्म के भाव देखे ..
रिया : "ये क्या कर रहे हैं जीजू ....''
अजय : "ओह...सॉरी....बस बता रहा था की ये सच में बड़े सुंदर हैं....''
वो कुछ बोल पाती तभी बाहर से पूजा अंदर आ गयी...
उसने अपने जीजू को ऐसे अपनी कजन के इतने करीब बैठे हुए देखा तो उसका माथा ठनक गया...वो तो अच्छी तरह जानती थी अपने ठरकी जीजू की आदतों को..उस दिन वो उसकी माँ को घूर रहे थे और अब उसकी छोटी कजन रिया को...
वो करीब आई और बोली : "रिया की बच्ची , तू मुझे सोता छोड़कर अकेली यहाँ आ गयी...मुझे भी ले आती..''
अजय ने पूजा की तरफ देखा और उसके चेहरे के भाव देखकर वो समझ गया की उसके मन में क्या चल रहा है..शायद वो जेलिस फील कर रही थी..
और ये ख़याल आते ही अजय के दिमाग़ में एक बात आई...
वो रिया का इस्तेमाल करके पूजा को अपने जाल में फँसा सकता है...
क्योंकि अब तो रिया वहीं रहने वाली थी...और रिया अपनी कजन पूजा की तरह चालक नही थी, उसे वो आसानी से अपने जाल में फँसा सकता था..और रिया के थ्रू वो पूजा तक भी पहुँच सकता था...
उसके टार्गेट्स बढ़ते जा रहे थे...सासू माँ , मौसी जी, पूजा और अब रिया...पता नही कैसे करेगा वो..पर ठरकी अजय को अपने उपर पूरा यकीन था की वो ये काम कर ही लेगा..
कुछ ही देर में मौसी जी भी बाहर आ गयी...और उसकी सासू माँ भी उनके घर आ गयी, सबने मिलकर नाश्ता किया, और नाश्ता करते-2 ही मौसीजी ने रिया के वहीं दिल्ली में रहकर इंजिनियरिंग करने की बात बताई...उनकी बहन रजनी तो पहले से ही ये बात जानती थी..इन्फेक्ट सभी लोग जानते थे, सिर्फ़ अजय को ही नही मालूम था ये..
अगली सुबह मौसाजी और मौसीजी को निकलना था मुंबई के लिए और इससे पहले अजय एक बार मौसीजी पर और ट्राइ करके देखना चाहता था की जो उसे आज सुबह उनके बारे में लगा था वो सच है या नही..अगर उसकी पारखी नज़रें सही है तो वो अपनी तरफ से कोई रोक-टोक नही करेंगी...और इसके लिए अजय के पास कुछ ही घंटे बचे थे.