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Misc. Erotica ये कहाँ आ गए हम - पूनम का रूपांतरण
आखिरकार पूनम चुद ही गयी। अमित से मिले धोखे के बाद कितना उथल पुथल मचा था उसके दिमाग में। कितना कुछ सोची थी वो की अब शादी से पहले किसी के साथ कोई संबंध ही नहीं रखेगी, किसी के करीब ही नहीं होगी। लेकिन पहले तो गुड्डू ने उसे पिक्स और कहानी भेजकर और फोन पे उसे चोद कर उसके दिमाग को बदला, फिर भी वो बहुत कुछ सोचती रही थी, यही वजह थी की गुड्डू के साथ इतना कुछ होने के बाद भी वो उससे चुदवाने की हिम्मत नहीं कर पाई थी। लेकिन ये गुड्डू के सिखाये पाठ का ही असर था कि जिस माल को गुड्डू ने इतनी मेहनत से तैयार किया था, 3 दिन में ही बंटी ने उस फसल को खा लिया था। उस कमसिन कसी हुई चुत में अपना लण्ड घुसा दिया था।

देखा जाए तो एक तरह से पूनम का रेप हुआ था। बंटी ने उसे मजबूर कर दिया था नंगी होने को और बिना उसकी मर्ज़ी के उसके कपड़ों को उसके बदन से उतार दिया था, लेकिन पूनम बहुत खुश थी बंटी से चुदवा कर। जितना कुछ वो सोची थी और जैसी जैसी पिक्स वो देखी थी, बहुत कुछ किया था बंटी ने। जैसे जैसे वो चुदवाना चाहती थी, उस तरह ऊपर नीचे आगे पीछे करके चोदा था बंटी ने उसे और फिर अपनी ही चुत को चोदने वाले लण्ड को वो चूसी भी थी और उसका वीर्य भी पियी थी।

एक तो वो इतने दिनों बाद चुदी थी और उसपर से अमित और बंटी में बहुत अंतर था। दोनों के लण्ड के आकार में भी और चोदने के अनुभव में भी। अमित ने पहली पहली बार पूनम को ही चोदा था जबकि बंटी पता नहीं कितने सारे चुत का स्वाद चखा चूका था अपने लण्ड को। बंटी का लण्ड चुत में गहरा अंदर तक घुमा था जबकि अमित का लण्ड तो बस दरवाजे के अंदर जाकर ही रह गया था। बंटी से चुदवा कर उसे यकीन हो गया कि गुड्डू सच कहता है और एक बार चुदवा लेने के बाद कोई भी ओरत मना नहीं करती होगी।

उसे बुरा बस ये लग रहा था कि वो बंटी से चुदवा ली, लेकिन गुड्डू से नहीं चुदवाई। उसे लग रहा था कि उसे पहले गुड्डू से चुदवाना चाहिए था, फिर जिसे चोदना होता चोद लेता। गुड्डू ने ही उसे चुदवाने के लिए तैयार किया था, गुड्डू ने ही उसे बताया था कि चुदाई कैसे होती है और उसमें कितना मज़ा आता है, लेकिन फिर भी वो उसके घर पर नहीं गयी और रेस्टुरेंट में इसलिये मिली की चुदे नहीं और यहाँ बंटी ने उसे इतने लोगों के होते हुए भी चोद लिया था। पूनम सोच ली की घर वापस पहुँचते ही वो गुड्डू के सामने नंगी होकर बिछ जायेगी और वो जितनी बार चोदेगा उतनी बार उससे चुदवाएगी। उसकी चुत पर पहला हक़ गुड्डू का है, फिर चाहे जो चोद ले। अब वो दो लण्ड से तो चुद ही चुकी है तो दो और लण्ड तो लेगी ही। उसे ऐसा लग रहा था जैसे वो गुड्डू के साथ धोखा की हो।

सुबह होने वाला था और शादी लगभग हो चुकी थी। ज्योति अब एक कमरे में थी और उसे भी बहुत बेचैनी हो रही थी। वो जल्दी से जल्दी जानना चाहती थी की कैसे कैसे क्या हुआ, लेकिन उसे अब तक मौका नहीं मिला था। अभी भी कमरे में बहुत सारे लोग थे और पूरा शोरगुल हो रहा था। वो मौका देखकर पूनम को अपने बगल में बिठायी और उससे पूरी बात पूछने लगी की कैसे बंटी ने उस मतवाली घोड़ी की चुत में अपने लण्ड का लगाम लगाया। पूनम भी शर्माती मुस्काती उसे पूरी बात बता दी की कैसे बंटी उसकी चोली खोला और कैसे अधनंगी कर छत पर ले गया और फिर कैसे पूनम पूरी नंगी होकर अपनी दीदी के बॉयफ्रेंड से चुदी। ज्योति सबके बीच में ही धीरे धीरे पूछती रही और पूनम भी धीरे धीरे ही बताती रही।

ज्योति धीरे से पूनम के कान में बोली "अगर पहले मेरी बात मान लेती तो इस तरह अधनंगी होकर तो नहीं घुमाता वो। लेकिन इसमें भी मज़ा ही आया होगा।" पूनम बोली "मैं तो शॉक्ड हो गयी थी की ये क्या हो रहा मेरे साथ। लेकिन जब छत पर सिर्फ लहँगे में दरवाज़ा बंद करने गयी और उसके पास आई, तब तो बहुत अच्छा लगा।" ज्योति पूनम के पेट में धीरे से कोहनी मारती हुई बोली "तब...पूरा अंदर गया न एकदम गहराई तक?" पूनम शरमाते हुए हाँ में सर हिलायी। पूनम को चुदाई याद आ गयी की बंटी का लण्ड कितना बड़ा और मोटा है और कैसे उसकी चुत पूरी फ़ैल गयी होगी और अंदर के धक्के तक को वो कैसे महसूस की थी। अमित से भी चुदवाने में उसे मज़ा आया था लेकिन बंटी के मुकाबले अमित की चुदाई कहीं नहीं टिकती है।

ज्योति फिर बोली "पहले वाले से बहुत अच्छा था न? मज़ा आया न?" पूनम भी बेशर्म बनकर मुस्कुराते हुए बोली "बहुत।" ज्योति फिर धीरे से बोली "इसलिए तो मैं बोल रही थी तो तू ही नखरे कर रही थी। अब अभी जबतक है तब तक पूरा मज़ा ले लेना। फिर ऐसा माल मिलेगा नहीं।" पूनम को फिर से शर्म आ गयी। उसके लिए ऐसे ही दो माल और रेडी थे। बोली "नहीं, अब नहीं।" ज्योति बोली "अब तू समझ, मुझे क्या। वैसे मैं भी देखूँगी की अब क्या क्या होता है।" फिर धीरे से पूनम के कान के पास मुँह सटाते हुए बोली "एक बार जिसकी चुत में बंटी का लण्ड उतर जाए न, वो चुत फिर रूकती नहीं है, अब देख की तू कैसे रूकती है।" पूनम कुछ नहीं बोली। ज्योति की बात में सच्चाई थी।

ज्योति बहुत खुश थी की उसके BF ने उसकी बहन को चोद लिया था और अब वो उदास नहीं होगा। ज्योति शादी करके जा रही थी लेकिन शादी के चंद घंटे पहले तक वो उसे अपना जिस्म दी थी और शादी के बाद भी जब भी मौका मिलेगा तो उसका जिस्म बंटी के लिए हाज़िर है। और अब तो वो अपनी बहन भी बंटी के हवाले कर दी थी, वो भी पूनम जैसी मस्त माल।

दोनों बहनें बातें कर ही रही थी की बंटी उसी कमरे में किसी काम से आया। वहाँ और भी लोग थे लेकिन ज्योति बंटी से पूछी "तो बंटी, मज़ा आया न खूब? ताज़ा रसगुल्ला खाने में?" बंटी बिना ज्योति की तरफ देखे हुए बोला "तो, आएगा नहीं। बहुत मज़ा आया।" ज्योति फिर बोली "खूब मज़े से खाये न। इतना ही में मन भर गया कि और खाने का मन है?" बंटी बिना किसी की तरफ देखे अपना काम करता हुआ मुस्कुराता हुआ बोला "एक ही बार से मन कैसे भर जायेगा। अभी तो बहुत बार खाना है। इतना टेस्टी था ही रसगुल्ला तो।"

पूनम को तो समझ नहीं आया की ये हो क्या रहा है और दोनों इतने लोगों के सामने उसकी चुदाई की चर्चा कर रहे थे। पूनम सर झुका ली थी और बंटी के जवाब देने के बाद तो वो शर्म से लाल हो गयी थी। एक आंटी पूछी "किस चीज़ में मज़ा आया रे बंटी?" अब तो पूनम की हालत और ख़राब हो गयी की पता नहीं अब कौन क्या बोलेगा। बंटी के कुछ बोलने से पहले ही ज्योति हँसती हुई बोली "पता नहीं कहाँ देख कर चल रहा था कि देखा नहीं और टकरा कर रसगुल्ला का पूरा रस अपने कपड़ा पर गिरा लिया था।" ज्योति बोलकर खिलखिलाकर हँसने लगी तो बाँकी लोग भी उसका साथ देने लगे।

बंटी भी हँसता हुआ कमरे से बाहर निकल गया। पूनम की जान में जान आयी। थोड़ी देर बाद वो ज्योति को बोली भी की "ये क्या कर रही थी?" तो ज्योति उसे मुँह के इशारे से समझा दी की "कुछ नहीं होता, किसी को समझ में नहीं आया होगा।"

अब आखिरी रस्म होने वाली थी और उसके बाद बिदाई होती। ज्योति, उसका पति और ज्योति के घर की महिलाएं एक कमरे में कोने में थी और वहीँ पे कोई रस्म हो रहा था। पूनम अपनी लहँगा चोली वाली ड्रेस बदल चुकी थी और अभी वो एक स्कर्ट और टॉप में थी। स्कर्ट छोटी तो नहीं थी लेकिन घुटने से कुछ ऊपर ही थी और टॉप भी इतना ही बड़ा था कि पूनम उसे नीचे खिंच कर रखती थी तो स्कर्ट तक आता था और फिर जैसे ही थोड़ी देर कुछ और करती, टॉप ऊपर होकर पेट और कमर दिखाने लगता था। लहँगा चोली में पूनम का पूरा पेट और कमर दिख रहा था, तब उसे शर्म नहीं आ रही थी, लेकिन अभी टॉप के ऊपर होने से उसे शर्म आने लगती थी और लोगों की नज़र भी उसी गैप में अटक जाती थी।

रस्म कमरे के कोने में हो रहा था और वहाँ कई सारे लोग खड़े थे। बंटी पूनम के बगल में ही आकर खड़ा हो गया था और उसके बदन से सटा हुआ था। उसका हाथ धीरे धीरे पूनम के बदन को छू रहा था। पूनम भी बिना किसी हिचकिचाहट के बंटी के बदन से सटी हुई थी और उसकी चुच्ची भी बंटी के बाँह में सट रही थी। दोनों भीड़ में एक दूसरे से सटे हुए ऐसे अंजान बनकर खड़े थे जैसे उन्हें ध्यान ही नहीं हो। अचानक से लाइट कट गया था और कमरे में अँधेरा हो गया। वीडियो रिकॉर्डिंग वाला लाइट भी बंद हो गया था। शोर होने लगा की पूनम को अपनी टाँगों पे कुछ रेंगता हुआ महसूस हुआ। वो हड़बड़ा गयी लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। उसे पता था कि ये हाथ किसका होगा। वैसे भी कमरे में बंटी और वीडियो वाले के अलावा और कोई मर्द नहीं था और वीडियो वाला पूनम से दूर खड़ा था।

वो हाथ अब पूनम की जाँघों पर रेंगता हुआ ऊपर आ रहा था। पूनम हाथ को रोकने की कोशिश की, लेकिन बंटी ने उस हाथ को पकड़ लिया और दूसरा हाथ सामने लाता हुआ पूनम की चुच्ची को जोर से मसला। पूनम अभी कुछ देर पहले ही इसी लड़के से चुद चुकी थी तो उसे कोई समस्या नहीं थी अपनी चुच्ची मसलवाने में, लेकिन उसे डर लग रहा था कि कहीं अचानक से लाइट आ गयी और किसी ने देख लिया तो क्या होगा। पूनम चुच्ची से बंटी का हाथ पकड़ कर रोकी और हटाने का इशारा की तो बंटी ने चुच्ची पर से तो हाथ हटा लिया लेकिन स्कर्ट के अंदर हाथ डालकर जोर से उसकी गांड को मसला। पूनम का हाथ अपने आप बंटी के हाथ के ऊपर था, लेकिन वो उसे रोक नहीं पा रही थी और वो ज्यादा हिल भी नहीं सकती थी।

लोग शोर कर रहे थे तो बंटी ने पॉकेट से अपना मोबाइल निकाला और उसका टॉर्च जलाया जिससे कमरे में हल्की सी रौशनी हो गयी। अब वो नीचे बैठ गया और जो रस्म हो रहा था वहाँ लाइट दिखाने लगा। अब पूनम स्कर्ट पहने बंटी के बगल में खड़ी थी और उसके सामने जो लोग खड़े थे, उस वजह से वो अँधेरे में थी। इससे अच्छा मौका क्या मिलता बंटी को। वो एक हाथ से मोबाइल से रौशनी ऐसे दिखा रहा था कि उसका दूसरा हाथ और पूनम की माँसल जाँघ अँधेरे में रहे। उसने अपने दूसरे हाथ को फिर से पूनम की जाँघ पर पहुँचा दिया और सहलाने लगा।

कुछ देर पहले ये नंगा बदन उसके सामने था जिसे उसने पुरे मज़े से चोदा था, लेकिन पूनम ऐसी माल नहीं थी जिसे एक बार चोदकर किसी का मन भर जाता। बंटी चुत में ऊँगली डालने की कोशिश कर रहा था, लेकिन अब पूनम दूसरी पैंटी पहन चुकी थी। एक हाथ से पैंटी किनारे करके चुत में ऊँगली डालना आसान नहीं थी। बंटी पैंटी नीचे खिंचने लगा तो पूनम उसका हाथ रोक ली। बंटी को तो लगा की पैंटी नीचे खिंच कर उतार दे और ये पैंटी भी अपने पास रख ले, लेकिन फिर उसे भी ये सही नहीं लगा तो वो जाँघ गांड को धीरे धीरे सहलाता रहा। पूनम की चुत गीली हो गयी थी। इतने लोगों के बीच में वो खड़ी होकर बंटी को अपने बदन से खेलने दे रही थी।

लाइट आ गयी और उन दोनों के खेल में खलल पड़ गया। बंटी ने हाथ हटा लिया और खड़ा हो गया। अब वो फिर से पूनम के बदन में सट कर खड़ा था और उसकी गांड को स्कर्ट के ऊपर से सहला रहा था। पूनम को बुरा लगने लगा की कहीं किसी ने देख लिया तो झमेला हो जायेगा। उसे बंटी पे गुस्सा भी आ रहा था कि जब वो उससे चुदवा चुकी है तो वो फिर सबके सामने ऐसा क्यों कर रहा है। पूनम वहाँ से हट गयी और कमरे से बाहर निकल गयी। लेकिन इतनी ही देर में उसकी चुत पूरी गीली हो गयी थी। वो बाथरूम गयी तो उसे अपनी पैंटी पर अपने चुत के रस का दाग दिखा।

थोड़ी देर बाद बिदाई की रस्म होने लगी और जो ज्योति रात में अपने यार का वीर्य अपनी चुत में भरकर जयमाला की थी, और उसी चुदी हुई गीली चुत के साथ अपने पति के साथ चली गयी। दिन के 8 बज गए थे और सबकी आँखों में नींद सवार था। सबकोई अपना सामान समेटने लगा और कई सारे मेहमान तो यहीं से वापस अपने घर चले गए। माहौल गमगीन था। पूनम भी सब कुछ समेटने में अपनी माँ और मौसी की मदद कर रही थी। बंटी भी घर के पुरुषों की मदद कर रहा था और सबको नाश्ता उसी ने करवाया था। होटल शाम तक खाली करना था तो कोई हड़बड़ी नहीं थी। हर कोई खाली हो गया था, फिर भी व्यस्त था। बहुत कम लोग बचे थे अब होटल में और काम अभी भी ज्यादा था।

11 बजे तक सारा कुछ समेट लेने के बाद सब थोड़े रिलैक्स हो गए थे। बंटी हमेशा इसी ताक में था कि कब वो पूनम के करीब आये और उसके मखमली बदन से खेल पाए, लेकिन उसे मौका नहीं मिल पा रहा था। वो पूनम के जाने से पहले उसे कई बार चोद लेना चाहता था। अच्छे से उसके चिकने बदन का लुत्फ़ ले लेना चाहता था। वो मौका ढूंढ रहा था कि कब स्कर्ट के अंदर मौजूद चुत को फिर से अपना लण्ड खिला पाए, कब उस मुलायम चुच्ची को आज़ाद कर मसल पाए और चूस पाए।

फिर से जब पूनम स्टोर रूम से कुछ लाने के लिए गयी तो बंटी को मौका मिल गया। फिर से पूनम के आसपास कोई नहीं था और वो अभी स्टोर का लॉक खोल ही रही थी की बंटी ने उसे पीछे से अपनी बाँहों में भर लिया। बंटी का एक हाथ पूनम के टॉप पर चुच्ची पर, दूसरा हाथ उसकी स्कर्ट पर चुत पर और होठ उसके गर्दन पर था। पूनम जल्दी से स्टोर को खोली और अंदर हो गयी की कहीं कोई देख न ले।

अंदर होते ही बंटी ने गेट सटा दिया और पूनम को सामने से गले लगा लिया। पूनम भी भला उसे क्या मना करती। उसके मना करने से तो वो मानने वाला था नहीं। "क्यों ऐसे करते हो?" बोलती हुई वो बस खड़ी रही। बंटी उसे अपने बदन से चिपकाये हुए उसके होठ चूसने लगा तो पूनम भी उसका साथ देने लगी। पल भर में ही बंटी का एक हाथ टॉप उठा कर पूनम की नंगी पीठ सहला रहा था तो दूसरा हाथ पूनम की स्कर्ट उठा कर उसकी पैंटी के अंदर गांड सहला रहा था। बंटी ने पूनम को थोड़ा तिरछा किया और अब उसका हाथ सामने से पैंटी के अंदर था और वो पूनम की चिकनी चुत को सहला रहा था। बंटी को पूरा अनुभव था कि कैसे कम वक़्त में लड़की का ज्यादा से ज्यादा मज़ा लिया जाता है। बंटी का पीछे वाला हाथ भी पीछे से स्कर्ट को ऊपर करता हुआ पैंटी पर था और पूनम की पैंटी अपनी जगह से नीचे हो चुकी थी और ये सब बहुत जल्दी हुआ था।

पूनम उसे मना नहीं कर रही थी, लेकिन उसे बहुत डर लग रहा था। पुनम बंटी को खुद से हटाने के लिये सोची ही की तब तक में बंटी की एक ऊँगली सरसराती हुई पूनम की गीली चुत के अंदर पहुँच गयी और पूनम के मुँह से सिसकारी फुट पड़ी। पूनम का बदन बंटी के हाथ पर झूल गया था और बंटी पूनम की चुच्ची पर सर रखे उसकी चुत में जल्दी जल्दी ऊँगली अंदर बाहर करने लगा। पूनम होश खोने लगी थी। वो किसी तरह खुद को सम्हाली की वो स्टोर रूम में है और यहाँ कभी भी कोई भी आ सकता है। उसकी पैंटी घुटने तक पहुँच गयी थी और

पूनम बंटी का हाथ रोकती हुई बोली "आह... मम्मम.... छोडो, क्या कर रहे हो, कोई आ जायेगा।" बंटी उसी तरह चुत में ऊँगली करता हुआ बोला "चलो न छत पर।" पूनम बंटी का हाथ रोकी और दूर होकर अपनी पैंटी ऊपर करती हुई बोली "पागल हो क्या। अभी दिन है। वैसे भी जो हो गया सो हो गया। अब कुछ नहीं होगा।" बंटी फिर पूनम के करीब आया और उसके हाथ को पैंटी ऊपर करने से रोकता हुआ बोला "छत पे नहीं जान, छत पर एक इकलौता कमरा है, वहाँ। वहाँ कोई नहीं आएगा।"

पूनम के चुत में पानी आ गया बंटी के साथ कमरे में जाने के नाम पर, लेकिन उसे डर लग रहा था। बोली "नहीं, अब और नहीं।" बंटी उसके टॉप को ऊपर उठा कर ब्रा से चुच्ची बाहर निकाल कर निप्पल चुस्ता हुआ बोला "ऐसे मत करो जान, आज ही भर तो मौका है, फिर तो तुम चली ही जाओगी।" फिर से बंटी का हाथ पूनम की चुत पर पहुँच गया था। पूनम कमजोर पड़ गयी थी। वो बंटी को रोक ही नहीं पा रही थी। वो बोली "ठीक है, अभी तो जाने दो।" बंटी खुश हो गया। चुत को जोर से मसलकर वो पैंटी को और नीचे करता हुआ बोला "थैंक्स जान, आ जाओ जल्दी से।" पूनम "आह" करती हुई जल्दी से अपनी पैंटी पकड़ी और उसे ऊपर करने लगी। बंटी पूनम से अलग हो गया और बोला "पैंटी उतार दो।" पूनम बोली "पागल हो। स्कर्ट है। अब जाओ यहाँ से।"

बंटी वहाँ से चला गया और पूनम अपने कपड़े ठीक करती हुई सोचती रही की वो अब क्या करे। उसका मन इधर उधर डोल रहा था। वो सबके साथ काम करती रही और बात भी करती रही। उसे बहुत जोरों की नींद आ रही थी, लेकिन किसी न किसी काम की वजह से वो सो नहीं पा रही थी। सभी लोग रात भर जगे हुए थे और पूनम तो रात में मोटे मूसल लण्ड से चुदी भी थी और अभी फिर से चुदवाने के लिए उसकी चुत पे चींटियाँ रेंग रही थी। 2- 4 लोग इधर उधर सोने लगे थे तो पूनम भी सोचने लगी की क्या करे।

कुछ सोच कर वो दूसरे ब्लॉक में छत पर बने एक छोटे से कमरे में पहुँच गयी। इस ब्लॉक में कोई नहीं था और छत पर तो कोई भी नहीं था। छत पर यही इकलौता कमरा था और इधर किसी के आने की संभावना कम ही थी। खुद पूनम अभी तक इधर एक बार भी नहीं आयी थी। उसे लगा था कि बंटी यहीं उसका इंतज़ार कर रहा होगा, लेकिन बंटी कहीं नहीं था। पूनम लेट गयी और बिस्तर पर जाते ही पल भर में ही वो नींद के आगोश में समां गयी।
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RE: ये कहाँ आ गए हम - पूनम का रूपांतरण - by Bunty4g - 21-05-2019, 11:53 PM



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