25-04-2022, 09:06 PM
आशा अपने नाना घर गई हुए थी। उसके नाना के घर के पड़ोस में एक लड़की रहती है उसका नाम बिंदिया है और वो आशा की हमउम्र है। बचपन में आशा और बिंदिया दोनो साथ में खूब खेलते थे, जब भी आशा नाना घर जाती उससे जरूर मिलती। इस बार भी आशा उस से मिली, आशा में गौर किया की बिंदिया थोड़ी से बुझी बुझी सी है। उसने बिंदिया से इस बारे में पूछा भी पर बिंदिया बात को टाल गई। आशा ने भी ज्यादा जोर नही दिया और उस से मिलकर नाना के घर आ गई। रात को खाना खाने के बाद आशा की पैदल घूमने की आदत है। 10 से 15 मिनट ही घूमती है, उसने सोचा बाहर घूमने से अच्छा है छत पर घूम लेती हूं। नाना का घर बहुत बड़ा है और उनकी छत भी। छत पर रहकर अपनी सहेलियों से बात भी हो जाएगी और घुमना भी। उसने छत पर घुमना शुरू किया और जैसे ही बिंदिया की छत की और नजर गई उसने देखा, बिंदिया अपनी छत के एक कोने पर बैठ कर रो रही है। आशा ने सोचा इसे आवाज दी तो ये शायद नीचे चली जाए। आशा दीवार फांद कर बिंदिया की छत पर चली गई। जैसे ही आशा बिंदिया के सामने आई, बिंदिया चोक गई।
बिंदिया: (अपने आंसु पोछते हुए) आशा तुम यहां कैसे आई?
आशा: सवाल ये नही की मैं यहां कैसे आई, सवाल ये है की तुम यहां बैठ कर क्यों रो रही हो?
बिंदिया: मेरे जीवन में तो रोना ही लिखा है। छोड़ो भी, जाने दो।
आशा: ऐसे कैसे जाने दे, हमारी राजकुमारी की आँखो ने आंसु है।
आशा का राजकुमारी कहना, बिंदिया के दर्द को बड़ा गया।
बिंदिया: राजकुमारी मेरे जैसी नही होती, वो तो हसीन होती है।
आशा: ऐसे घुमा फिरा कर बात करोगी तो मुझे कुछ समझ नहीं आएगा। सीधे सीधे बोलो हुआ क्या है.. किसी लड़के ने दिल तोड़ा है? घर वालो से झगड़ा हुआ है? जब तक साफ साफ बताती नही, मैं तुम्हे छोड़ कर जाने वाली नही।
बिंदिया के दिल में बहुत लंबे समय से ये बात चुभ रही थी, उसने अब तक किसी को ये बात इसलिए भी नही बताई की उसका मजाक न उड़ाए। कहते है ना हर एक बात की एक सीमा होती है, बिंदिया भी अपने दिल का गुबार निकालना चाहती थी, अब तक हिम्मत नही हुई थी, हिम्मत तो अभी भी नही हुए थी पर भावनाओं के आवेग में आकर वो आशा से बोली
बिंदिया: ऐसी कोई बात नही है आशा, मेरी समस्या है मेरा शरीर। बस इसी को लेकर रो रही हूं।
आशा: (एक दम गंभीर होते हुए) क्या हुआ तुम्हे, क्या कोई बीमारी है?
बिंदिया: ऐसी कोई बात नही है।(अपने विचारो से बाहर आ गई थी, उसने अहसास किया की उसे आशा को नही बताना चाहिए था)
आशा: (बिंदिया को घूरते हुए) फिर घुमा फिरा कर बात कर रही हो, सीधे से बता रही हो या नही।
बिंदिया: (मन ही मन सोचते हुए अब बात तो बतानी ही पड़ेगी) प्लीज तुम मुझे गलत मत समझना और किसी को ये बात मत बताना।
आशा: चिंता ना करो, मुझ पर भरोसा कर सकती हो।
बिंदिया: मैं अपने फिगर को लेकर परेशान हूं। मैं बिल्कुल भी सेक्सी नही लगती।
(आशा को ये बात समझ आई की बिंदिया अपने छोटे बूब्स और चेहरे के मुहासो के कारण परेशान है l आशा चाहती थी की बिंदिया एक बार अपने दिल की पूरी बात बताए, बीच में कुछ कहा तो शायद वो ना बताए)
आशा: सिर्फ यही परेशानी है, या कुछ और भी छुपा है दिल में। आँखों में आँसु सिर्फ इस बात से तो नही है।
बिंदिया: मुझे एक लड़का पसंद है, उसका नाम बबलू है और हम दोनो अच्छे दोस्त भी है। मैंने अपने दिल की बात अभी तक बबलू को नही बताई है। मैने कई बार बबलू को सेक्सी लड़कियों को घूरते हुए देखा है। इसी बात का डर है कि मैं उसे अपने दिल को बात बताऊं और मुझे वो इसलिए रिजेक्ट न कर दे की मैं सेक्सी नही हूं।
(आशा ने बिंदिया की बात सुनी और सोचा, समस्या तो थोड़ी गंभीर है क्योंकि लडको को तो सेक्सी लड़किया आकर्षित करती है। आशा बिंदिया के स्वभाव को जानती थी, बिंदिया थोड़ा ज्यादा ही शर्मीली है। अगर बिंदिया बबलू को दिल की बात बता भी दे और बबलू हा भी कर दे तो ये संभावना है की बबलू बाद में कोई चक्कर चलाए क्योंकि बिंदिया का शर्मिला स्वभाव और छोटे बूब्स उसे कामक्रीड़ा का चरम सुख नहीं दे पाएंगे। आशा ने सोचा बूब्स तो बड़े कर नही सकते पर इसका स्वभाव बदल सकते है, जो इसके साथी को चुदाई का पुरा आनंद दे।)
आशा: (हंसते हुए, क्योंकि वो चाहती थी की बिंदिया सबसे पहले अपनी हीन भावना से बाहर आए) ये भी कोई रोने वाली बात है। पहले ये तो पता करो की तुम जिसकी दीवानी हो, वो तुम्हे कितना प्यार करता है। जो जिस्म से प्यार होता है उसे हवस कहते है,प्यार नही। और एक बात, एक औरत सिर्फ अपने जिस्म से ही सेक्सी नही होती, अपनी अदाओं से भी सेक्सी होती है।
बिंदिया: (बिंदिया को आशा की बात से उम्मीद कि किरण नजर आई, उसने आशा से पूछा) अब तुम बात को घुमा रही हो, साफ साफ कहो, कहना क्या चाहती हो।
आशा: सबसे पहले तो तुम्हे अपने आप को थोड़ा बदलना होगा, तुम्हे आदमी की जरूरतों के बारे में समझना होगा। ये बहुत ही आसान काम है, मैं तुम्हे सीखा दूंगी। अभी तो तुम जा कर आराम करो, कल दिन में बात करते है।
अगले दिन बिंदिया और आशा मिले।आशा: तुमने कभी पोर्न मूवी देखी है?
बिंदिया: कितनी गंदी बाते कर रही हो तुम
आशा: इसमें गंदी बात क्या? तुम शादी बाद सेक्स नहीं करोगी क्या?
बिंदिया: पर इसका मतलब ये तो नही की इस बारे में बात करे हम।
आशा: इस बारे में बात करना बहुत जरूरी है, जब तक इस विषय पर तुम खुल कर बात नही करोगी, अपने जीवनसाथी की जरूरतों को कैसे समझोगी। अब बताओ, देखी है कभी पोर्न मूवी?
बिंदिया: एक बार देखी थी, 30 सेकंडो भी नहीं देख पाई, मुझे तो देख कर ही अजीब लग रहा था। मुंह वहा ले जाना, पता नही कैसे कर लेते है लोग इतने गंदे काम।
(आशा ने बिंदिया से सेक्स के बारे में ज्यादा बात करना अभी उचित नहीं समझा, पर आशा ये तो समझ गई थी की ओरल सेक्स की कोई पोजिशन देखी है।)
आशा: सेक्स की बात छोड़ो, तुम तो बबलू के बारे में बताओ।
बिंदिया ने बबूल के बारे में बहुत सारी बाते आशा को बताई, बिंदिया ने अपने और बबलू के दोस्ती के किस्से भी आशा को बताए। आशा ने उसकी बात सुनी और उसे कुछ बाते भी समझाई। आशा की बातो से बिंदिया बहुत प्रभावित हुई। बिंदिया को तो आशा एक फरिश्ता लगने लगी। बातो ही बातो में बिंदिया ने ये बताया था की बबलू आज शाम 7 बजे उसके पास से कुछ किताबे लेने आयेगा। आशा ने बिंदिया से कहा मुझे कुछ शॉपिंग करनी है, तुम शाम में 5 बजे मेरे साथ चलना हम 6.30 बजे तक वापस आ जायेंगे। आशा शाम को उसे एक लेडीज गारमेंट दुकान पर ले गई। वहा आशा ने बहुत देर तक तरह तरह के सेक्सी अंडरगार्मेंट देखे, साथ में बिंदिया भी थी। आशा ने 2 अलग अलग साइज के सेक्सी कपड़े लिए। एक साइज तो सुपर सेक्सी फिगर वाली लड़की का लग रहा था और दूसरा साइज बिंदिया जैसी लड़की का।
बिंदिया: (बिंदिया को शंका हुई की कही आशा उसे ये पहनने का ना कहे, घर पहुंच कर उसने आशा से पूछा) तुमने ये अलग अलग साइज के कपड़े क्यों लिए?
आशा: ये मेरे लिए नही अपनी सहेलियों के लिए है, उन्हे चाहिए है। अपने पति को सरप्राइज़ देने के लिए।
(आशा ने कपड़े ऐसे ही खरीदे थे, बिंदिया की सोच को बदलने के लिए, बिंदिया से सीधे सेक्स की बात नही कर सकती थी, धीरे धीरे उसे इस टॉपिक पर आना था)
बिंदिया: सरप्राइज़... मतलब..?
आशा: अरे रहने दो, तुम्हारे काम की बात नही है। (आशा ने जानबुझकर ऐसा कहा, जिससे, बिंदिया खुद इस बारे में बात करने के लिए आशा पर दबाव डाले)
बिंदिया: (बिंदिया की शंका तो दूर हो गई थी, पर अब वो जानना चाहती थी की कपड़ो में कैसा सरप्राइज़) आशा बताओ ना, मुझे भी तो समझ आए।
आशा: मेरी सहेलियां अपने पतियों के साथ घूमने जा रही है, वहा पर रात को ये पहन कर अपने पतियों को उत्तेजित करेगी। अपने पतियों को प्यार करेगी और चुदाई का मजा लेगी। (आशा ने जानकर के चुदाई शब्द पर जोर दिया)
बिंदिया: (बिंदिया ने जैसे ही आशा के मूंह से चुदाई शब्द सुना, उसने तुरंत आशा को घूरते हुए कहा) कितनी बेशर्म हो गई हो, कैसी बाते करती हो।
आशा: इसमे बेशर्मी की क्या बात है, पत्नी-पति एक दूसरे के साथ मजे नही करेंगे तो कहा करेंगे! मैंने तो पहले ही कहा था, तुम्हारे काम की बात नही है, पर तुमने ही मुझे बताने को मजबुर किया।
बिंदिया: मैं उन्हे करने का मना नहीं कर रही, तुम ऐसे शब्दो का इस्तमाल न करो, ऐसा बोल रही।
(आशा ने कॉल लगाने का नाटक किया और अपने सहेली से बात करने का नाटक करने लगी। आशा की बात बिंदिया सुन रही थी, आशा ने अपनी सहेली को वोदका पीने की सलाह दी, आशा ने शराब की बात इसलिए की क्योंकि बिंदिया को इस टॉपिक पर लाना चाहती थी)
बिंदिया: तुम अपनी सहेली को पीने की सलाह कैसे दे सकती हो? तुम्हे तो उसे मना करना चाहिए।
आशा: उसके पति का पीने का मन है, अब वो दोस्तो के साथ बाहर जा कर पिए इससे अच्छा तो ये है की घर पर बीवी उसका पीने में साथ दे दे, ना तो नशा कर के गाड़ी चलाने का टेंशन, ना दोस्तो के चक्कर में ज्यादा पीने का.. पति पत्नी जब जीवनसाथी तो पीने में क्यों नहीं। और..
(आशा इतना कह कर रुक गई, बिंदिया को आशा की बात बिल्कुल ठीक लगी, उसके पास उसकी बात ना मानने का कोई कारण ना था, पर आशा बोलते बोलते रुक क्यों गई, बिंदिया को ये जानना था।)
बिंदिया: और क्या..
आशा: तुम नाराज हो जाओगी, तुम्हारे काम की बात नही।
(बिंदिया समझ तो गई कि आशा सेक्स के बारे में बोलना चाहती है, पर बिंदिया को आशा की जुबान से सुनाना था)
बिंदिया: बोलो भी.. नही नाराज होऊंगी.. पक्का प्रोमिस
आशा: जब पति पत्नी दोनो को हल्का हल्का सुरूर रहेगा, दोनो एक दूसरे के बाहों में रोमांस करेगें।
बिंदिया: पीने के बाद तो इंसान लड़खड़ाने लगे जाता है, रोमांस कैसे करेंगे।
आशा: जब आप जीवन साथी के साथ पीने बैठोगे तो थोड़ा नशा तो मोहब्बत का आपको पहले ही हो जाता है, आपकी साथी की आंखे और होंठ आपको दीवाना बना देते है। आप उसे प्यार करने के लिए तरसने लगते हो, बस तुम्हे तो इतना ही बता सकती हूं
बिंदिया: (पहली बार बिंदिया को सेक्स की बाते रोमांचित कर रही थी, उसे आशा की बाते अच्छी लग रही थी।) क्यों और क्यों नही बता सकती।
आशा: तुम्हारे हिसाब से वो अश्लील बाते हो जाएगी।
बिंदिया: और तुम्हारे हिसाब से..
आशा: मोहब्बत के अल्फाज..
बिंदिया: इन अल्फाजों को हम भी तो सुने।
आशा: सुन पाओगी..?
बिंदिया: बिल्कुल
आशा: जब वो आपकी बांहों में हो तो आप उसके पूरे जिस्म को प्यार करते हो, चूमते हो, चूसते हो। (आशा ने चुसने वाली क्रिया को थोड़ा जोर देकर बोला, बिंदिया आशा को घूरने लगी, आशा समझ गई की बिंदिया को बात पसंद नही आई, पर यही मौका था उसके दिमाग पर चोट करने का) लो तुम्हारे तो चेहरे का रंग उड़ गया, तुम कैसे लंड, चुत और चुदाई की बाते सुनोगी और मजे लोगी। चलो अब मैं जा रही, वैसे भी तुम्हारे आशिक के आने का समय हो गया।
आशा की बातो ने बिंदिया के दिमाग में कही न कही चुदाई की बात को डाल दिया था।
शाम को 7 बजे बबलू आया, बिंदिया उससे मिलने की जल्दी में सीढ़ियों के आखरी में फिसल कर गिर गई, बबलू ने उसे सहारा दे कर उठाया और उसे उसके रूम तक ले जाकर पलंग पर लेटाया। उसे ज्यादा तो नहीं लगी थी, हल्का सा ही दर्द था। पहली बार बबलू के इतने पास थी, बड़ा ही अजीब फील हो रहा था बिंदिया को, बबलू तो किताबे लेकर चला गया, रात में बबलू का मैसेज भी आया उसका हाल पूछने को, दोनो की बहुत देर बात हुए, बिंदिया पूरी रात सो न पाई। उसे तो बबलू का साथ रोमांचित कर रहा था।
अगले दिन दोपहर में जब बबलू बिंदिया से मिलने आया, बिंदिया नहा कर तैयार हुई थी। अपने पैरो पर मरहम लगाने के लिए झुकी तो उसे थोड़ी तकलीफ हो रही थी,
बबलू: क्या हुआ बिंदिया, दर्द ज्यादा है क्या?
बिंदिया: नही हल्का सा ही है, एक दो बार मरहम लगाने से ठीक हो जायेगा।
बबलू: लो मैं लगा देता हूं। बबलू ने उसके हाथ से मरहम लेकर बिंदिया के पैर पर लगाने लगा। (बबलू के स्पर्श से बिंदिया के अंदर हलचल होने लगी। बबलू ने जब कमर पर लगाने का इशारा किया, बिंदिया ने बिना किसी विरोध के उसे लगाने की इजाज़त दे दी। इधर बबलू भी उसके बदन को छू कर उत्तेजित होने लगा था। बिंदिया ने आंखे बंद कर ली थी। बबलू का मन अब डोलने लगा था, मरहम लगाते लगाते बिंदिया के बहुत करीब आ चुका था। बिंदिया होश में आई और अपने आप को आगे किया और बबलू को थैंक्स बोल कर दूर हो गई, बबलू कुछ भी बोल नही पाया और वहा से चला गया। औरत का जिस्म आदमी को पागल बना देता है, बबलू के साथ भी वही हुआ, उसे अब बिंदिया एक दोस्त से कुछ ज्यादा लगने लगी, अब ये हवस है या प्यार, ये तो बबलू को भी नही पता)
इधर बिंदिया अपनी सोच में ही डुबी हुई थी, वो ये निर्णय नही कर पा रही थी की उसने बबलू को अपने जिस्म को हाथ लगाने दिया वो सही था या नही, उसके हाथ लगाने से मुझे जो हुआ वो सही था या नही, आज का किस्सा आशा को बताना ठीक है या नही। इन्ही उधेड़बुन में उसने आशा को बताने का निर्णय लिया उसे पुरा यकीन था की आशा ही उसकी मदद कर सकती है । उसने आशा को पूरी बात बताई, आशा मन ही मन खुश हुई की अब बिंदिया को पटरी पर लाना आसान है।
आशा: इसमे परेशानी की क्या बात है, बबलू तुम्हारा दोस्त है, उसने दोस्ती के नाते तुम्हारी मदद की। (आशा चाहती थी की बिंदिया इस बारे में खुल कर उस से बाते करे।)
बिंदिया: उसने मुझे पहली बार छुआ था, मुझे बड़ा अजीब सा लग रहा था।
आशा: (उसकी बात को काटते हुए) तुम्हे बबलू को उसी समय टोकना चाहिए था, उसकी हिम्मत कैसे हुई तुम्हे ऐसे छूने की।
बिंदिया: (आशा को रोकते हुए) तुम गलत समझ रही हो, उसने कुछ गलत नहीं किया, उसका छूना मुझे बुरा नही लग रहा था।
आशा: (बीच में बोलते हुए) क्या बबलू तुम्हे किस करता तो तुम्हे अच्छा लगता? क्या तुम उसे रोक पाती?
(बिंदिया मन में सोचते हुए, ये कैसा सवाल हुआ? क्या सच में वो मुझे किस करता? क्या मैं उस समय उसे रोक पाती? क्या ये सही होता? किस शादी से पहले? मैं शादी का सोच रही हूं, क्या वो मुझे प्यार भी करता है?)
आशा: (बिंदिया को सोच में डूबा देखा कर ) बिंदिया को हिलाते हुए.. है तुम्हारे पास कोई जवाब..? देखो बिंदिया कुछ बाते समय और परिस्थिति पर छोड़ देना चाहिए। आज शाम को जब वो वापस आए तो उसे गले लगा कर थैंक्यू और सॉरी कहना।
(आशा को उम्मीद थी की अगली बार जब बबलू और बिंदिया का सामना होगा तो हो सकता है बबलू बिंदिया को गले लगाए और उसके होठों पर किस करे, बिंदिया को मानसिक रूप से इस परिस्थिति के लिए तैयार करना था। आशा बिंदिया को उलझन में छोड़ गई, आशा चाहती थी की बिंदिया जितना इस बारे में सोचे उतना अच्छा है)
शाम को बबलू आया, बिंदिया और बबलू की नजर मिली पर दोनो कुछ बोल नहीं पाए, दोनो ने नज़रे झुका ली।
बबलू: अब कैसी हो?
बिंदिया: ठीक हूं!
बबलू: ठीक है, चलता हूं।
बिंदिया: तुम्हारी मदद के लिए शुक्रिया
बबलू: (बिंदिया का हाथ, अपने हाथो में लेते हुए) दोस्ती में no thanks no sorry..
बिंदिया नज़रे झुका कर ही खड़ी थी, बबलू बिंदिया के थोड़ा और करीब आया, बिंदिया का चेहरा उठाया, बिंदिया की आंखे बंद थी, बबलू ने बिंदिया की आंखों पर चुम्बन किया और उसे गले लगाया। बिंदिया ने कस के बबलू को पकड़ लिया, जिससे बबलू की हिम्मत बाद गई और उसने बिंदिया के गालों पर भी चुम्बन कर दिया, बबलू ने देखा की बिंदिया ने इसका भी विरोध नहीं किया, उसने बिंदिया के होठों पर अपने होठ रख दिए और बहुत ही आहिस्ता आहिस्ता चूमने लगा। कहते है ना प्यार से बड़ कर कुछ नही होता, बिंदिया के सारे सोच विचार एक तरफ हो गए। उसने बबलू का बिल्कुल भी विरोध नहीं किया, पर ना ही चुम्बन में साथ दिया, वो तो एक मूर्ति को तरह स्तब्ध हो गई। थोड़ी देर तक उसके होठों को चूमता और चूसता रहा। बबलू का लिंग एक दम कठोर हो चुका था, जब बिंदिया ने जब महसूस किया की उसे नीचे कुछ चुभ रहा है, उसका ध्यान इस चुम्बन से हट गया और उसने बबलू को धक्का देकर पीछे किया। बिंदिया भागकर रूम में चली गई और दरवाजा बंद कर लिया। बबलू के समझ में कुछ नही आ रहा था, वो चुप चाप वहा से चला गया। बिंदिया कभी अपने आप को गुनहगार मानती तो कभी बबलू को, वो सोच ही नहीं पा रही थी.की गलती किसकी है। लगभग 10 मिनट बाद रूम के दरवाजे पर दस्तक हुइ, "दरवाजा खलो बिंदिया", ये आवाज सुनकर बिंदिया चोक गई। उसने दरवाजा खोला।
बिंदिया: आशा तुम यहां, कब आई। (बिंदिया बबलू को ढूंढ रही थी, पर बबलू जा चुका था।)
आशा: बहुत देर हो गई, बबलू था जब से यही हूं। (बिंदिया मन में सोचते हुए हाय राम ये क्या हो गया, क्या आशा ने मुझे बबलू के साथ देख लिया? ये बात तो मैं कभी भी आशा को बताने वाली नही थी)
(आशा समझ गई की बिंदिया क्या सोच रही है) तुमने तो किस भी अच्छे से नही किया।
बिंदिया: तुमने सब देख लिया।
आशा: कुछ हुआ ही नहीं तो देखती कैसे।
(बिंदिया ने देखा की आशा तो एक दम सामान्य बर्ताव कर रही है, उसने मुझे बबलू के साथ किस करते हुए देखा, फिर भी इसने कुछ नही कहा)
आशा: तुमने बबलू को किस क्यों नही किया, तुम्हे अच्छा नहीं लगा क्या उसका किस करना, या फिर उसके किस करने का तरीका तुम्हे पसंद नही आया। तुम उसे धक्का दे कर रूम में आ गई, उसने जबरन तुम्हे किस किया क्या, तुमने उसे रोका क्यों नही?
बिंदिया: (एक दम से इतने सारे सवाल) बात वो नही है, actually.. (बिंदिया को होश आया की वोह क्या बोल गई और अब आगे क्या बोलने वाली थी, वो एक दम चुप हो गई) (आशा ने उसे घूरा और इशारे में पूछा "क्या हुआ") actually.. बात आगे न बड़े इसलिए मैं उसे धक्का दे कर अंदर चली गई।
आशा: (आशा इसलिए कारण जानती थी, पर वो बिंदिया के मुह से सुनाना चाहती थी) तुम भी गजब हो, अगर तुम्हे उसका किस करना अच्छा लगा तो उसका साथ क्यों नही दिया और जब उसका किस करना तुम्हे पसंद नही आया तो फिर उसे करने क्यों दिया? ऐसे तो तुम अपने पति को कभी खुश नहीं कर पाओगी। तुम्हारे पति को इधर उधर ही मुंह मारना पड़ेगा। तुम जैसी औरते पहले तो आदमी को प्यार देगी नही और बाद में बदनाम अलग करेगी। कितने अच्छे से तो किस कर रहा था, उसकी जगह कोई और होता तो तुम्हे नंगा करके चोद देता। (आशा की बातो ने बिंदिया को हिला दिया था, उसे लगने लगा था की सच में गलती उसकी है, उसकी आंखों से आंसु बहने लग गए।) अरे अब तुम क्यों रो रही हो?
बिंदिया: मैंने बबलू का दिल दुखाया इसलिए।
आशा: अब रोने से क्या होगा, ये वीडियो देखो, स्मूच करने का वीडियो है, अगली बार ऐसे ही बबलू को स्मूच करना और मुझे शिकायत का मौका मत देना, (बिंदिया के हाथ में मोबाइल देकर आशा चली गई, बिंदिया एक टक मोबाइल में देख रही थी। वीडियो लगभग 3मिनट का था, जैसे ही वीडियो खत्म हुआ और बिंदिया ने उपर देखा, उसकी आंखें फटी रह गई, उसके सामने बबलू था। उस समय बबलू गया नही था, आशा ने उसे छुपने का कहा था और जब आशा रूम से बाहर गई थी तब उसे अंदर भेज दिया था। बबलू ने बिंदिया को गले लगाया और उसके होठों पर अपने होठ रख दिए, इस बार भी बिंदिया मूर्ति की तरह थी।)
बबलू: मैं किसी पत्थर को प्यार नही करना चाहता, तुम्हे प्यार करना चाहता हुं। अगर तुम्हे पसंद नही तो कोई बात नही, मैं कुछ नही करूंगा। इतना कह कर बबलू बिंदिया से थोड़ा दूर हो गया और पीछे मुड गया। बिंदिया ने देखा की बबलू जा रहा है, उसने बबलू को पीछे से hug किया
बिंदिया: I'm sorry.. मुझे ये सब करना नही आता।
बबलू: अगर आपकी आज्ञा हो तो मैं आपको सिखा सकता हूं।
इस बार बिंदिया कुछ नही बोली और आंखों से हाँ का इशारा कर दिया। बबलू और बिंदिया दोनो एक दूसरे से लिपट गए और दोनो के होठ आपस में मिल गए। बिंदिया ने जो वीडियो देखा था, उसी को याद कर के वो बबलू के होठों को चूमने और चूसने लगी। बबलू बिंदिया के गालों को, गर्दन को, चेहरे को चूमता, बिंदिया भी उसका पूरा साथ देती। दोनो इस लंबे चुंबन में ही इतने उत्तेजित हो गए थे की दोनो की चड्डिया गीली हो गई थी। दोनो रूम से बाहर आए, आशा वहा नही थी। बबलू भी वहा से चला गया।
बिंदिया: (अपने आंसु पोछते हुए) आशा तुम यहां कैसे आई?
आशा: सवाल ये नही की मैं यहां कैसे आई, सवाल ये है की तुम यहां बैठ कर क्यों रो रही हो?
बिंदिया: मेरे जीवन में तो रोना ही लिखा है। छोड़ो भी, जाने दो।
आशा: ऐसे कैसे जाने दे, हमारी राजकुमारी की आँखो ने आंसु है।
आशा का राजकुमारी कहना, बिंदिया के दर्द को बड़ा गया।
बिंदिया: राजकुमारी मेरे जैसी नही होती, वो तो हसीन होती है।
आशा: ऐसे घुमा फिरा कर बात करोगी तो मुझे कुछ समझ नहीं आएगा। सीधे सीधे बोलो हुआ क्या है.. किसी लड़के ने दिल तोड़ा है? घर वालो से झगड़ा हुआ है? जब तक साफ साफ बताती नही, मैं तुम्हे छोड़ कर जाने वाली नही।
बिंदिया के दिल में बहुत लंबे समय से ये बात चुभ रही थी, उसने अब तक किसी को ये बात इसलिए भी नही बताई की उसका मजाक न उड़ाए। कहते है ना हर एक बात की एक सीमा होती है, बिंदिया भी अपने दिल का गुबार निकालना चाहती थी, अब तक हिम्मत नही हुई थी, हिम्मत तो अभी भी नही हुए थी पर भावनाओं के आवेग में आकर वो आशा से बोली
बिंदिया: ऐसी कोई बात नही है आशा, मेरी समस्या है मेरा शरीर। बस इसी को लेकर रो रही हूं।
आशा: (एक दम गंभीर होते हुए) क्या हुआ तुम्हे, क्या कोई बीमारी है?
बिंदिया: ऐसी कोई बात नही है।(अपने विचारो से बाहर आ गई थी, उसने अहसास किया की उसे आशा को नही बताना चाहिए था)
आशा: (बिंदिया को घूरते हुए) फिर घुमा फिरा कर बात कर रही हो, सीधे से बता रही हो या नही।
बिंदिया: (मन ही मन सोचते हुए अब बात तो बतानी ही पड़ेगी) प्लीज तुम मुझे गलत मत समझना और किसी को ये बात मत बताना।
आशा: चिंता ना करो, मुझ पर भरोसा कर सकती हो।
बिंदिया: मैं अपने फिगर को लेकर परेशान हूं। मैं बिल्कुल भी सेक्सी नही लगती।
(आशा को ये बात समझ आई की बिंदिया अपने छोटे बूब्स और चेहरे के मुहासो के कारण परेशान है l आशा चाहती थी की बिंदिया एक बार अपने दिल की पूरी बात बताए, बीच में कुछ कहा तो शायद वो ना बताए)
आशा: सिर्फ यही परेशानी है, या कुछ और भी छुपा है दिल में। आँखों में आँसु सिर्फ इस बात से तो नही है।
बिंदिया: मुझे एक लड़का पसंद है, उसका नाम बबलू है और हम दोनो अच्छे दोस्त भी है। मैंने अपने दिल की बात अभी तक बबलू को नही बताई है। मैने कई बार बबलू को सेक्सी लड़कियों को घूरते हुए देखा है। इसी बात का डर है कि मैं उसे अपने दिल को बात बताऊं और मुझे वो इसलिए रिजेक्ट न कर दे की मैं सेक्सी नही हूं।
(आशा ने बिंदिया की बात सुनी और सोचा, समस्या तो थोड़ी गंभीर है क्योंकि लडको को तो सेक्सी लड़किया आकर्षित करती है। आशा बिंदिया के स्वभाव को जानती थी, बिंदिया थोड़ा ज्यादा ही शर्मीली है। अगर बिंदिया बबलू को दिल की बात बता भी दे और बबलू हा भी कर दे तो ये संभावना है की बबलू बाद में कोई चक्कर चलाए क्योंकि बिंदिया का शर्मिला स्वभाव और छोटे बूब्स उसे कामक्रीड़ा का चरम सुख नहीं दे पाएंगे। आशा ने सोचा बूब्स तो बड़े कर नही सकते पर इसका स्वभाव बदल सकते है, जो इसके साथी को चुदाई का पुरा आनंद दे।)
आशा: (हंसते हुए, क्योंकि वो चाहती थी की बिंदिया सबसे पहले अपनी हीन भावना से बाहर आए) ये भी कोई रोने वाली बात है। पहले ये तो पता करो की तुम जिसकी दीवानी हो, वो तुम्हे कितना प्यार करता है। जो जिस्म से प्यार होता है उसे हवस कहते है,प्यार नही। और एक बात, एक औरत सिर्फ अपने जिस्म से ही सेक्सी नही होती, अपनी अदाओं से भी सेक्सी होती है।
बिंदिया: (बिंदिया को आशा की बात से उम्मीद कि किरण नजर आई, उसने आशा से पूछा) अब तुम बात को घुमा रही हो, साफ साफ कहो, कहना क्या चाहती हो।
आशा: सबसे पहले तो तुम्हे अपने आप को थोड़ा बदलना होगा, तुम्हे आदमी की जरूरतों के बारे में समझना होगा। ये बहुत ही आसान काम है, मैं तुम्हे सीखा दूंगी। अभी तो तुम जा कर आराम करो, कल दिन में बात करते है।
अगले दिन बिंदिया और आशा मिले।आशा: तुमने कभी पोर्न मूवी देखी है?
बिंदिया: कितनी गंदी बाते कर रही हो तुम
आशा: इसमें गंदी बात क्या? तुम शादी बाद सेक्स नहीं करोगी क्या?
बिंदिया: पर इसका मतलब ये तो नही की इस बारे में बात करे हम।
आशा: इस बारे में बात करना बहुत जरूरी है, जब तक इस विषय पर तुम खुल कर बात नही करोगी, अपने जीवनसाथी की जरूरतों को कैसे समझोगी। अब बताओ, देखी है कभी पोर्न मूवी?
बिंदिया: एक बार देखी थी, 30 सेकंडो भी नहीं देख पाई, मुझे तो देख कर ही अजीब लग रहा था। मुंह वहा ले जाना, पता नही कैसे कर लेते है लोग इतने गंदे काम।
(आशा ने बिंदिया से सेक्स के बारे में ज्यादा बात करना अभी उचित नहीं समझा, पर आशा ये तो समझ गई थी की ओरल सेक्स की कोई पोजिशन देखी है।)
आशा: सेक्स की बात छोड़ो, तुम तो बबलू के बारे में बताओ।
बिंदिया ने बबूल के बारे में बहुत सारी बाते आशा को बताई, बिंदिया ने अपने और बबलू के दोस्ती के किस्से भी आशा को बताए। आशा ने उसकी बात सुनी और उसे कुछ बाते भी समझाई। आशा की बातो से बिंदिया बहुत प्रभावित हुई। बिंदिया को तो आशा एक फरिश्ता लगने लगी। बातो ही बातो में बिंदिया ने ये बताया था की बबलू आज शाम 7 बजे उसके पास से कुछ किताबे लेने आयेगा। आशा ने बिंदिया से कहा मुझे कुछ शॉपिंग करनी है, तुम शाम में 5 बजे मेरे साथ चलना हम 6.30 बजे तक वापस आ जायेंगे। आशा शाम को उसे एक लेडीज गारमेंट दुकान पर ले गई। वहा आशा ने बहुत देर तक तरह तरह के सेक्सी अंडरगार्मेंट देखे, साथ में बिंदिया भी थी। आशा ने 2 अलग अलग साइज के सेक्सी कपड़े लिए। एक साइज तो सुपर सेक्सी फिगर वाली लड़की का लग रहा था और दूसरा साइज बिंदिया जैसी लड़की का।
बिंदिया: (बिंदिया को शंका हुई की कही आशा उसे ये पहनने का ना कहे, घर पहुंच कर उसने आशा से पूछा) तुमने ये अलग अलग साइज के कपड़े क्यों लिए?
आशा: ये मेरे लिए नही अपनी सहेलियों के लिए है, उन्हे चाहिए है। अपने पति को सरप्राइज़ देने के लिए।
(आशा ने कपड़े ऐसे ही खरीदे थे, बिंदिया की सोच को बदलने के लिए, बिंदिया से सीधे सेक्स की बात नही कर सकती थी, धीरे धीरे उसे इस टॉपिक पर आना था)
बिंदिया: सरप्राइज़... मतलब..?
आशा: अरे रहने दो, तुम्हारे काम की बात नही है। (आशा ने जानबुझकर ऐसा कहा, जिससे, बिंदिया खुद इस बारे में बात करने के लिए आशा पर दबाव डाले)
बिंदिया: (बिंदिया की शंका तो दूर हो गई थी, पर अब वो जानना चाहती थी की कपड़ो में कैसा सरप्राइज़) आशा बताओ ना, मुझे भी तो समझ आए।
आशा: मेरी सहेलियां अपने पतियों के साथ घूमने जा रही है, वहा पर रात को ये पहन कर अपने पतियों को उत्तेजित करेगी। अपने पतियों को प्यार करेगी और चुदाई का मजा लेगी। (आशा ने जानकर के चुदाई शब्द पर जोर दिया)
बिंदिया: (बिंदिया ने जैसे ही आशा के मूंह से चुदाई शब्द सुना, उसने तुरंत आशा को घूरते हुए कहा) कितनी बेशर्म हो गई हो, कैसी बाते करती हो।
आशा: इसमे बेशर्मी की क्या बात है, पत्नी-पति एक दूसरे के साथ मजे नही करेंगे तो कहा करेंगे! मैंने तो पहले ही कहा था, तुम्हारे काम की बात नही है, पर तुमने ही मुझे बताने को मजबुर किया।
बिंदिया: मैं उन्हे करने का मना नहीं कर रही, तुम ऐसे शब्दो का इस्तमाल न करो, ऐसा बोल रही।
(आशा ने कॉल लगाने का नाटक किया और अपने सहेली से बात करने का नाटक करने लगी। आशा की बात बिंदिया सुन रही थी, आशा ने अपनी सहेली को वोदका पीने की सलाह दी, आशा ने शराब की बात इसलिए की क्योंकि बिंदिया को इस टॉपिक पर लाना चाहती थी)
बिंदिया: तुम अपनी सहेली को पीने की सलाह कैसे दे सकती हो? तुम्हे तो उसे मना करना चाहिए।
आशा: उसके पति का पीने का मन है, अब वो दोस्तो के साथ बाहर जा कर पिए इससे अच्छा तो ये है की घर पर बीवी उसका पीने में साथ दे दे, ना तो नशा कर के गाड़ी चलाने का टेंशन, ना दोस्तो के चक्कर में ज्यादा पीने का.. पति पत्नी जब जीवनसाथी तो पीने में क्यों नहीं। और..
(आशा इतना कह कर रुक गई, बिंदिया को आशा की बात बिल्कुल ठीक लगी, उसके पास उसकी बात ना मानने का कोई कारण ना था, पर आशा बोलते बोलते रुक क्यों गई, बिंदिया को ये जानना था।)
बिंदिया: और क्या..
आशा: तुम नाराज हो जाओगी, तुम्हारे काम की बात नही।
(बिंदिया समझ तो गई कि आशा सेक्स के बारे में बोलना चाहती है, पर बिंदिया को आशा की जुबान से सुनाना था)
बिंदिया: बोलो भी.. नही नाराज होऊंगी.. पक्का प्रोमिस
आशा: जब पति पत्नी दोनो को हल्का हल्का सुरूर रहेगा, दोनो एक दूसरे के बाहों में रोमांस करेगें।
बिंदिया: पीने के बाद तो इंसान लड़खड़ाने लगे जाता है, रोमांस कैसे करेंगे।
आशा: जब आप जीवन साथी के साथ पीने बैठोगे तो थोड़ा नशा तो मोहब्बत का आपको पहले ही हो जाता है, आपकी साथी की आंखे और होंठ आपको दीवाना बना देते है। आप उसे प्यार करने के लिए तरसने लगते हो, बस तुम्हे तो इतना ही बता सकती हूं
बिंदिया: (पहली बार बिंदिया को सेक्स की बाते रोमांचित कर रही थी, उसे आशा की बाते अच्छी लग रही थी।) क्यों और क्यों नही बता सकती।
आशा: तुम्हारे हिसाब से वो अश्लील बाते हो जाएगी।
बिंदिया: और तुम्हारे हिसाब से..
आशा: मोहब्बत के अल्फाज..
बिंदिया: इन अल्फाजों को हम भी तो सुने।
आशा: सुन पाओगी..?
बिंदिया: बिल्कुल
आशा: जब वो आपकी बांहों में हो तो आप उसके पूरे जिस्म को प्यार करते हो, चूमते हो, चूसते हो। (आशा ने चुसने वाली क्रिया को थोड़ा जोर देकर बोला, बिंदिया आशा को घूरने लगी, आशा समझ गई की बिंदिया को बात पसंद नही आई, पर यही मौका था उसके दिमाग पर चोट करने का) लो तुम्हारे तो चेहरे का रंग उड़ गया, तुम कैसे लंड, चुत और चुदाई की बाते सुनोगी और मजे लोगी। चलो अब मैं जा रही, वैसे भी तुम्हारे आशिक के आने का समय हो गया।
आशा की बातो ने बिंदिया के दिमाग में कही न कही चुदाई की बात को डाल दिया था।
शाम को 7 बजे बबलू आया, बिंदिया उससे मिलने की जल्दी में सीढ़ियों के आखरी में फिसल कर गिर गई, बबलू ने उसे सहारा दे कर उठाया और उसे उसके रूम तक ले जाकर पलंग पर लेटाया। उसे ज्यादा तो नहीं लगी थी, हल्का सा ही दर्द था। पहली बार बबलू के इतने पास थी, बड़ा ही अजीब फील हो रहा था बिंदिया को, बबलू तो किताबे लेकर चला गया, रात में बबलू का मैसेज भी आया उसका हाल पूछने को, दोनो की बहुत देर बात हुए, बिंदिया पूरी रात सो न पाई। उसे तो बबलू का साथ रोमांचित कर रहा था।
अगले दिन दोपहर में जब बबलू बिंदिया से मिलने आया, बिंदिया नहा कर तैयार हुई थी। अपने पैरो पर मरहम लगाने के लिए झुकी तो उसे थोड़ी तकलीफ हो रही थी,
बबलू: क्या हुआ बिंदिया, दर्द ज्यादा है क्या?
बिंदिया: नही हल्का सा ही है, एक दो बार मरहम लगाने से ठीक हो जायेगा।
बबलू: लो मैं लगा देता हूं। बबलू ने उसके हाथ से मरहम लेकर बिंदिया के पैर पर लगाने लगा। (बबलू के स्पर्श से बिंदिया के अंदर हलचल होने लगी। बबलू ने जब कमर पर लगाने का इशारा किया, बिंदिया ने बिना किसी विरोध के उसे लगाने की इजाज़त दे दी। इधर बबलू भी उसके बदन को छू कर उत्तेजित होने लगा था। बिंदिया ने आंखे बंद कर ली थी। बबलू का मन अब डोलने लगा था, मरहम लगाते लगाते बिंदिया के बहुत करीब आ चुका था। बिंदिया होश में आई और अपने आप को आगे किया और बबलू को थैंक्स बोल कर दूर हो गई, बबलू कुछ भी बोल नही पाया और वहा से चला गया। औरत का जिस्म आदमी को पागल बना देता है, बबलू के साथ भी वही हुआ, उसे अब बिंदिया एक दोस्त से कुछ ज्यादा लगने लगी, अब ये हवस है या प्यार, ये तो बबलू को भी नही पता)
इधर बिंदिया अपनी सोच में ही डुबी हुई थी, वो ये निर्णय नही कर पा रही थी की उसने बबलू को अपने जिस्म को हाथ लगाने दिया वो सही था या नही, उसके हाथ लगाने से मुझे जो हुआ वो सही था या नही, आज का किस्सा आशा को बताना ठीक है या नही। इन्ही उधेड़बुन में उसने आशा को बताने का निर्णय लिया उसे पुरा यकीन था की आशा ही उसकी मदद कर सकती है । उसने आशा को पूरी बात बताई, आशा मन ही मन खुश हुई की अब बिंदिया को पटरी पर लाना आसान है।
आशा: इसमे परेशानी की क्या बात है, बबलू तुम्हारा दोस्त है, उसने दोस्ती के नाते तुम्हारी मदद की। (आशा चाहती थी की बिंदिया इस बारे में खुल कर उस से बाते करे।)
बिंदिया: उसने मुझे पहली बार छुआ था, मुझे बड़ा अजीब सा लग रहा था।
आशा: (उसकी बात को काटते हुए) तुम्हे बबलू को उसी समय टोकना चाहिए था, उसकी हिम्मत कैसे हुई तुम्हे ऐसे छूने की।
बिंदिया: (आशा को रोकते हुए) तुम गलत समझ रही हो, उसने कुछ गलत नहीं किया, उसका छूना मुझे बुरा नही लग रहा था।
आशा: (बीच में बोलते हुए) क्या बबलू तुम्हे किस करता तो तुम्हे अच्छा लगता? क्या तुम उसे रोक पाती?
(बिंदिया मन में सोचते हुए, ये कैसा सवाल हुआ? क्या सच में वो मुझे किस करता? क्या मैं उस समय उसे रोक पाती? क्या ये सही होता? किस शादी से पहले? मैं शादी का सोच रही हूं, क्या वो मुझे प्यार भी करता है?)
आशा: (बिंदिया को सोच में डूबा देखा कर ) बिंदिया को हिलाते हुए.. है तुम्हारे पास कोई जवाब..? देखो बिंदिया कुछ बाते समय और परिस्थिति पर छोड़ देना चाहिए। आज शाम को जब वो वापस आए तो उसे गले लगा कर थैंक्यू और सॉरी कहना।
(आशा को उम्मीद थी की अगली बार जब बबलू और बिंदिया का सामना होगा तो हो सकता है बबलू बिंदिया को गले लगाए और उसके होठों पर किस करे, बिंदिया को मानसिक रूप से इस परिस्थिति के लिए तैयार करना था। आशा बिंदिया को उलझन में छोड़ गई, आशा चाहती थी की बिंदिया जितना इस बारे में सोचे उतना अच्छा है)
शाम को बबलू आया, बिंदिया और बबलू की नजर मिली पर दोनो कुछ बोल नहीं पाए, दोनो ने नज़रे झुका ली।
बबलू: अब कैसी हो?
बिंदिया: ठीक हूं!
बबलू: ठीक है, चलता हूं।
बिंदिया: तुम्हारी मदद के लिए शुक्रिया
बबलू: (बिंदिया का हाथ, अपने हाथो में लेते हुए) दोस्ती में no thanks no sorry..
बिंदिया नज़रे झुका कर ही खड़ी थी, बबलू बिंदिया के थोड़ा और करीब आया, बिंदिया का चेहरा उठाया, बिंदिया की आंखे बंद थी, बबलू ने बिंदिया की आंखों पर चुम्बन किया और उसे गले लगाया। बिंदिया ने कस के बबलू को पकड़ लिया, जिससे बबलू की हिम्मत बाद गई और उसने बिंदिया के गालों पर भी चुम्बन कर दिया, बबलू ने देखा की बिंदिया ने इसका भी विरोध नहीं किया, उसने बिंदिया के होठों पर अपने होठ रख दिए और बहुत ही आहिस्ता आहिस्ता चूमने लगा। कहते है ना प्यार से बड़ कर कुछ नही होता, बिंदिया के सारे सोच विचार एक तरफ हो गए। उसने बबलू का बिल्कुल भी विरोध नहीं किया, पर ना ही चुम्बन में साथ दिया, वो तो एक मूर्ति को तरह स्तब्ध हो गई। थोड़ी देर तक उसके होठों को चूमता और चूसता रहा। बबलू का लिंग एक दम कठोर हो चुका था, जब बिंदिया ने जब महसूस किया की उसे नीचे कुछ चुभ रहा है, उसका ध्यान इस चुम्बन से हट गया और उसने बबलू को धक्का देकर पीछे किया। बिंदिया भागकर रूम में चली गई और दरवाजा बंद कर लिया। बबलू के समझ में कुछ नही आ रहा था, वो चुप चाप वहा से चला गया। बिंदिया कभी अपने आप को गुनहगार मानती तो कभी बबलू को, वो सोच ही नहीं पा रही थी.की गलती किसकी है। लगभग 10 मिनट बाद रूम के दरवाजे पर दस्तक हुइ, "दरवाजा खलो बिंदिया", ये आवाज सुनकर बिंदिया चोक गई। उसने दरवाजा खोला।
बिंदिया: आशा तुम यहां, कब आई। (बिंदिया बबलू को ढूंढ रही थी, पर बबलू जा चुका था।)
आशा: बहुत देर हो गई, बबलू था जब से यही हूं। (बिंदिया मन में सोचते हुए हाय राम ये क्या हो गया, क्या आशा ने मुझे बबलू के साथ देख लिया? ये बात तो मैं कभी भी आशा को बताने वाली नही थी)
(आशा समझ गई की बिंदिया क्या सोच रही है) तुमने तो किस भी अच्छे से नही किया।
बिंदिया: तुमने सब देख लिया।
आशा: कुछ हुआ ही नहीं तो देखती कैसे।
(बिंदिया ने देखा की आशा तो एक दम सामान्य बर्ताव कर रही है, उसने मुझे बबलू के साथ किस करते हुए देखा, फिर भी इसने कुछ नही कहा)
आशा: तुमने बबलू को किस क्यों नही किया, तुम्हे अच्छा नहीं लगा क्या उसका किस करना, या फिर उसके किस करने का तरीका तुम्हे पसंद नही आया। तुम उसे धक्का दे कर रूम में आ गई, उसने जबरन तुम्हे किस किया क्या, तुमने उसे रोका क्यों नही?
बिंदिया: (एक दम से इतने सारे सवाल) बात वो नही है, actually.. (बिंदिया को होश आया की वोह क्या बोल गई और अब आगे क्या बोलने वाली थी, वो एक दम चुप हो गई) (आशा ने उसे घूरा और इशारे में पूछा "क्या हुआ") actually.. बात आगे न बड़े इसलिए मैं उसे धक्का दे कर अंदर चली गई।
आशा: (आशा इसलिए कारण जानती थी, पर वो बिंदिया के मुह से सुनाना चाहती थी) तुम भी गजब हो, अगर तुम्हे उसका किस करना अच्छा लगा तो उसका साथ क्यों नही दिया और जब उसका किस करना तुम्हे पसंद नही आया तो फिर उसे करने क्यों दिया? ऐसे तो तुम अपने पति को कभी खुश नहीं कर पाओगी। तुम्हारे पति को इधर उधर ही मुंह मारना पड़ेगा। तुम जैसी औरते पहले तो आदमी को प्यार देगी नही और बाद में बदनाम अलग करेगी। कितने अच्छे से तो किस कर रहा था, उसकी जगह कोई और होता तो तुम्हे नंगा करके चोद देता। (आशा की बातो ने बिंदिया को हिला दिया था, उसे लगने लगा था की सच में गलती उसकी है, उसकी आंखों से आंसु बहने लग गए।) अरे अब तुम क्यों रो रही हो?
बिंदिया: मैंने बबलू का दिल दुखाया इसलिए।
आशा: अब रोने से क्या होगा, ये वीडियो देखो, स्मूच करने का वीडियो है, अगली बार ऐसे ही बबलू को स्मूच करना और मुझे शिकायत का मौका मत देना, (बिंदिया के हाथ में मोबाइल देकर आशा चली गई, बिंदिया एक टक मोबाइल में देख रही थी। वीडियो लगभग 3मिनट का था, जैसे ही वीडियो खत्म हुआ और बिंदिया ने उपर देखा, उसकी आंखें फटी रह गई, उसके सामने बबलू था। उस समय बबलू गया नही था, आशा ने उसे छुपने का कहा था और जब आशा रूम से बाहर गई थी तब उसे अंदर भेज दिया था। बबलू ने बिंदिया को गले लगाया और उसके होठों पर अपने होठ रख दिए, इस बार भी बिंदिया मूर्ति की तरह थी।)
बबलू: मैं किसी पत्थर को प्यार नही करना चाहता, तुम्हे प्यार करना चाहता हुं। अगर तुम्हे पसंद नही तो कोई बात नही, मैं कुछ नही करूंगा। इतना कह कर बबलू बिंदिया से थोड़ा दूर हो गया और पीछे मुड गया। बिंदिया ने देखा की बबलू जा रहा है, उसने बबलू को पीछे से hug किया
बिंदिया: I'm sorry.. मुझे ये सब करना नही आता।
बबलू: अगर आपकी आज्ञा हो तो मैं आपको सिखा सकता हूं।
इस बार बिंदिया कुछ नही बोली और आंखों से हाँ का इशारा कर दिया। बबलू और बिंदिया दोनो एक दूसरे से लिपट गए और दोनो के होठ आपस में मिल गए। बिंदिया ने जो वीडियो देखा था, उसी को याद कर के वो बबलू के होठों को चूमने और चूसने लगी। बबलू बिंदिया के गालों को, गर्दन को, चेहरे को चूमता, बिंदिया भी उसका पूरा साथ देती। दोनो इस लंबे चुंबन में ही इतने उत्तेजित हो गए थे की दोनो की चड्डिया गीली हो गई थी। दोनो रूम से बाहर आए, आशा वहा नही थी। बबलू भी वहा से चला गया।