06-04-2022, 01:53 PM
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सोनिया के साथ कुछ पल की चूमा चाटी ने मेरे मन मस्तिष्क को हिला कर रख दिया था और मैं उस कामुक सोनिया को भोगने की फिराक में आ गया था।
अब आगे..
कुछ देर बाद मम्मी भी मार्केट से आ गईं। उसके बाद मैंने शाम तक मौका देखता रहा.. पर कोई मौका नहीं मिला।
मैं बड़ा निराश हुआ.. क्योंकि मुझे आज रात को ही दिल्ली जाना था।
शाम को मैंने अपनी फ्रेंड की शादी अटेण्ड की और रात 11 बजे घर आ गया।
पर अब मैंने मन बना लिया था कि यह मौका नहीं जाने दूँगा, मैंने एक दिन और हरिद्वार में रुकने का फैसला किया।
मैंने मम्मी से कहा- मैं नहीं जा रहा हूँ.. थक गया हूँ कल जाऊँगा।
फिर मैं सो गया।
सुबह उठते ही मैं सोनिया को चोदने का मौका तलाशने लगा.. पर वो मुझे दिख नहीं रही थी।
मुझे थोड़ी देर बाद पता चला कि वो अपनी सास के यहाँ गई है.. जो पास में ही रहती है।
मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था।
मेरे ताई जी की लड़की गाँव से आई हुई थी.. तो मेरी बहन और मम्मी उनसे मिलने चली गईं।
मैं घर में ही इस इंतज़ार में था.. कि कब वो आएगी।
दोपहर के 2 बज गए थे.. पर वो नहीं आई।
फिर थोड़ी देर बाद देखा कि वो आ रही है.. मैं खुश हो गया।
वो अपना बेबी अपनी सास के पास छोड़ कर आई थी।
मुझे देख कर वो मुस्कुराई और अपने कमरे में चली गई।
उसने दरवाजा खुला छोड़ दिया था।
मैं भी आहिस्ता से उसके कमरे के नजदीक चला गया और दरवाजे पर खड़ा हो गया। उसने कहा- गेट पर क्यों खड़े हो.. अन्दर आ जाओ?
सोनिया के साथ कुछ पल की चूमा चाटी ने मेरे मन मस्तिष्क को हिला कर रख दिया था और मैं उस कामुक सोनिया को भोगने की फिराक में आ गया था।
अब आगे..
कुछ देर बाद मम्मी भी मार्केट से आ गईं। उसके बाद मैंने शाम तक मौका देखता रहा.. पर कोई मौका नहीं मिला।
मैं बड़ा निराश हुआ.. क्योंकि मुझे आज रात को ही दिल्ली जाना था।
शाम को मैंने अपनी फ्रेंड की शादी अटेण्ड की और रात 11 बजे घर आ गया।
पर अब मैंने मन बना लिया था कि यह मौका नहीं जाने दूँगा, मैंने एक दिन और हरिद्वार में रुकने का फैसला किया।
मैंने मम्मी से कहा- मैं नहीं जा रहा हूँ.. थक गया हूँ कल जाऊँगा।
फिर मैं सो गया।
सुबह उठते ही मैं सोनिया को चोदने का मौका तलाशने लगा.. पर वो मुझे दिख नहीं रही थी।
मुझे थोड़ी देर बाद पता चला कि वो अपनी सास के यहाँ गई है.. जो पास में ही रहती है।
मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था।
मेरे ताई जी की लड़की गाँव से आई हुई थी.. तो मेरी बहन और मम्मी उनसे मिलने चली गईं।
मैं घर में ही इस इंतज़ार में था.. कि कब वो आएगी।
दोपहर के 2 बज गए थे.. पर वो नहीं आई।
फिर थोड़ी देर बाद देखा कि वो आ रही है.. मैं खुश हो गया।
वो अपना बेबी अपनी सास के पास छोड़ कर आई थी।
मुझे देख कर वो मुस्कुराई और अपने कमरे में चली गई।
उसने दरवाजा खुला छोड़ दिया था।
मैं भी आहिस्ता से उसके कमरे के नजदीक चला गया और दरवाजे पर खड़ा हो गया। उसने कहा- गेट पर क्यों खड़े हो.. अन्दर आ जाओ?
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.