06-04-2022, 01:50 PM
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मैं- शरीफ हूँ भी और नहीं भी!
सोनिया- मतलब?
मैं- घर वालों के सामने तो सब ही शरीफ रहते हैं.. हाँ बस मैं किसी लड़की को तंग नहीं करता हूँ।
सोनिया- क्यों क्या तुम्हें लड़कियां पसन्द नहीं हैं.. क्या तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है?
मैं- नहीं.. मैं गर्लफ्रेंड की बीमारी नहीं पालता.. मुझे लड़कियों को धोखा देना अच्छा नहीं लगता। मैं तो उन्हें साफ साफ कह देता हूँ कि अगर मेरे साथ रहना है.. तो रहो.. मेरे साथ कुछ क्वालिटी टाइम स्पेंड करो और फ़ालतू के प्यार-व्यार के चक्कर में मत पड़ो।
सोनिया- पर ऐसी लड़कियों को तो लड़के गलत कहते हैं?
मैं- मैं नहीं मानता, हर किसी की शरीर की जरूरत होती है और उसे पूरा करने में कोई बुराई नहीं है।
सोनिया- पर लड़के बड़े गंदे होते हैं.. वो मजे करने के बाद सारी बातें उड़ा देते हैं।
मैं- मैं ऐसा नहीं हूँ। मैं हर बात को गुप्त रखता हूँ.. ताकि हमारी लाइफ पर असर ना पड़े.. क्योंकि इसमें कुछ गलत नहीं होता है।
फिर वो मुझे देख कर मुस्कुराने लगी इतने में मम्मी और बहन आ गईं और हमारी बातें वहीं खत्म हो गईं।
अगले दिन नाश्ता करने के बाद 10 बजे मम्मी और बहन कुछ काम से मार्केट चले गए। मैं घर में अकेला बोर हो रहा था.. तो मैं बालकनी में आ गया।
मैंने देखा कि सोनिया भाभी भी बालकनी में अपने बेबी के साथ में आ गई थी। मैं आपको बताना ही भूल गया उसका एक 6-7 महीने का बेबी भी है।
हमने फिर से बातें करना शुरू कर दीं। बातों ही बातों में उसने अपने बेबी को मेरी गोद में दे दिया और कहा- जाओ चाचा की गोद में..
गोद में उसको लेते समय मेरा हाथ सोनिया के मम्मों में लग गया, मेरे पूरे शरीर में करंट सा दौड़ गया।
वो बेबी मेरी गोद में आकर रोने लगा.. तो मैंने कहा- जाओ मम्मी के पास..
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.