06-04-2022, 12:19 PM
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मेरा लण्ड बड़ा होने के कारण उन्हें शायद थोड़ा दर्द भी हुआ लेकिन मैंने अपने होंठ उनके होंठों से चिपका रखे थे जिससे उनकी आवाज़ दब कर रह गई।फिर थोड़ी देर रुकने के बाद मैं अपने लण्ड को अंदर-बाहर करने लगा। अब तो उन्हें भी मज़ा आने लगा और वो अपने चूतड़ उठा-उठा कर मुझसे चुदने लगी।
उनकी सिसकारियों से कमरा गूँज उठा, वो अब तक दो बार झड़ चुकीं थीं लेकिन मेरा आने का नाम ही नहीं ले रहा था।
कुछ ही देर में मैं अपनी चरम सीमा पर था तो मैंने कहा कि मेरा आने वाला है, कहाँ निकालूँ तो उन्होंने कहा – अंदर ही निकाल लो, मुझे कोई परेशानी नहीं होगी क्योंकि मैंने ऑपरेशन करवा रखा है।
फिर क्या था मैंने अपना सारा माल उनकी चूत की जड़ में ही छोड़ दिया।
लेकिन अब तक मैं पूरी तरह थक चुका था, और उनके ऊपर ही लेट गया।
वो बड़े प्यार से मुझे सहला रहीं थीं।
जवानी के ज़ोर से थोड़ी ही देर में मेरा लण्ड वापस खड़ा होने लगा तो मैंने फिर से भाभी को चूमना चालू कर दिया।
वो भी कुछ ही देर बाद वापस से गरम हो गईं तो मैंने उन्हें घोड़ी बनने को कहा और उनके मोटे-मोटे चूतड़ों में अपना लण्ड दबाने लगा और फिर एक झटके में पूरा लण्ड उनकी चूत में डाल दिया और जोर-जोर के झटके मारने लगा।
भाभी दो बार झड़ चुकीं थीं और मैं भी अपनी चरम सीमा पर था इसलिए मैंने उन्हें जोर-जोर से चोदना चालू रखा।
थोड़ी देर बाद मेरा गरमा-गरम माल उनकी चूत में भर गया, रात के 3 बज चुके थे।
फिर हम दोनों बुरी तरह थक कर सो गए और भैया के आने तक चुदाई का ये नंगा नाच रोज़ चलता रहा, हमें जब भी मौका मिलता हम अपनी चुदाई में मस्त हो जाते थे चाहें फिर दिन हो या रात।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.