06-04-2022, 12:17 PM
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पर क्या करूँ दोस्तो, मैं अपने ऊपर काबू नहीं रख पा रहा था। लेकिन थोड़ी ही देर में भाभी मेरा साथ देने लगी।अब मैं उनके चुचों को अपने दोनों हाथों से बेतहाशा दबाए जा रहा था और वो मुझे चुंबन पर चुंबन दिए जा रहीं थीं।
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मैंने थोड़ी ही देर में उनकी पैंटी भी खोल दी और उनकी चूत में अपनी एक उंगली घुसा दी और उसे अंदर-बाहर करने लगा, जिससे उन्हें और भी मज़ा आने लगा।
थोड़ी देर ऐसे ही उंगली करने के बाद मैं उनकी चूत चाटने लगा तो उसमे से नमकीन पानी जैसा स्वाद आने लगा।
उनकी आवाज़ कमरे मे गूँज रही थी और मैं उनकी चूत चाटने मे मस्त था।
अब वो बोलीं – चोद भी दो अब, सहन नहीं हो रहा है।
ये सुनते ही मैंने उन्हें अपना लण्ड चूसने को कहा तो उन्होंने मना कर दिया।
हालाकी मेरे थोड़ा ज़ोर देने पर वो मान भी गईं और मेरा लण्डअपने मुँह मे लेकर अंदर-बाहर करने लगीं।
मुझे तो मानो जन्नत ही मिल गई, जब मैं झड़ने वाला था तो मैंने उन्हें नहीं बताया और अपना सारा माल उनके मुँह में ही छोड़ दिया।
मुझे तो झटका ही लग गया जब उन्होंने कुछ माल पी लिया पर कुछ बाहर भी निकाल दिया।
अब हम दोनों एक-दूसरे को चुंबन करने लगे और मैं अब उनके ऊपर आ गया।
उनकी दोनो टाँगें मैंने उठाई और अपने लण्ड को उनकी चूत से रगड़ने लगा तो वो बोलीं – अब डाल भी दे अंदर, करण, मत परेशन कर अब, बन जा जल्दी से भाभी-चोद।
अब मैंने अपना लण्ड उनकी चूत पर रखा और एक धक्का लगाया लेकिन मेरा लण्ड फिसलकर नीचे की तरफ चला गया।
जब मैंने दुबारा धक्का लगाया तो मेरा लण्ड थोड़ा सा अंदर चला गया। फिर मैंने एक ज़ोर का झटका मारा तो मेरा पूरा लण्ड उनकी चूत मे समा गया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.