06-04-2022, 12:03 PM
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क्या बताऊँ यारों, भाभी तो बहुत ही सुन्दर थी। उनको देखकर मेरा क्या किसी का मन भी उनको चोदने का ही करेगा।
उनका फिगर 36-32-38 का तो होगा। मैं तो बस उन्हें देखते ही रह गया।
खैर, उनके पति से मैंने किराये की बात की और वो लोग उसी दिन हमारे प्लाट पर शिफ्ट हो गए।
थोड़े ही दिन में मेरी उनके पति से अच्छी पहचान हो गई।
मैं बहुत मॉडर्न टाइप का लड़का हूँ इसलिए उनके पति से मेरीअच्छी पहचान हो गई। धीरे-धीरे उनकी पत्नी यानी भाभी से भी अच्छी जान-पहचान हो गई।
उनके पति को जब पता चला कि मैं थोड़ा पढ़ने में तेज हूँ तो उन्होंने मुझे कहा कि करण, मेरे बच्चों को भी पढ़ा दिया करो।
मैंने तुरंत हाँ कर दी, अब जब भी मैं शाम को पढ़ने बैठता तो उनके बच्चों को भी थोड़ा-बहुत पढ़ा दिया करता था।
लेकिन मेरे मन में हमेशा भाभी के बारे में ही विचार चलते रहते थे।
उनके वो मोटे-मोटे चूतड़ देखकर मेरा तो हमेशा दिमाग ही ख़राब हो जाता था। मैं अक्सर उनके चुचों को देखा करता था।
एक दिन जब वो बाथरूम में कपड़े धो रही थीं तो उन्होंने उनकी साड़ी कमर पर बांध ली, मैं कॉलेज से जब प्लाट पर आया तो सीधे ही मेरी नजर उनके चुचों पर गई।
उन्होंने जैसे ही मुझे देखा वो बोलीं – तुम आ गए करण, तुम चलो में तुम्हें खाना दे देती हूँ।
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अब तक हमारी अच्छी जान-पहचान हो गई थी और मेरे परिवार वाले भी उन्हें अच्छे से जानने-पहचाने लगे थे।
इसलिए एक दिन ऐसे ही भाभी ने मेरी मम्मी से कहा दिया था कि वो मेरा खाना भी बना दिया करेंगी।
मेरी मम्मी ने भी उनका अपनापन देखकर हाँ कर दी थी। तब से दोपहर का खाना मै उनके पास ही खाया करता था।
खैर, मैंने अपने कमरे में आकर तब तक कपड़े उतारकर टीशर्ट और पजामा पहन लिया था तभी भाभी उसी हालत में जैसे वो कपड़े धो रहीं थीं, मेरे कमरे में खाना लेकर आई तो उनके बड़े-बड़े स्तन मुझे साफ दिखाई दे रहे थे।
क्या करूँ मुझसे रहा नहीं गया और मैं उन्हें बड़े ध्यान भाभी के स्तन गौर से देखने लगा। तभी भाभी ने कहा – क्या देख रहे हो?
मै एक्दम से चौंक गया और मैंने घबरा कर कहा – कुछ नहीं?
लेकिन वो सब समझ चुकीं थीं, उन्होंने बिना कुछ कहे, मुझे खाना दिया और वापस जाकर बाथरूम में कपड़े धोने लगीं।
खाना खाने का होश अब मुझे कहाँ था, मेरा लण्ड तो फुफ्कार रहा था तो मैंने तभी मेरे कमरे में ही हस्तमैथुन किया और फिर खाना खाकर सो गया।
शाम को भाभी ने मुझे उठाया और चाए पीने के लिये दी और फिर मैं और उनके बच्चों को पढ़ाने लगा।
मैं आपको बता दूँ कि उनके पति एक निजी कंपनी में काम करते थे और इस कारण वो महीने में 15 दिन बाद ही घर आ पाते थें और बाकी दिन बाहर ही रहते थे।
जब रात को उनके पति आए तो मैं पढ़ रहा था तो उन्होंने पूछा – पढ़ाई कैसी चल रही है?
मैंने कहा – बस भैया, ठीक ही चल रही है, और वो अंदर चले गए।
फिर खाना लाकर मेरे पास बैठकर खाने लगे, थोड़ी देर बाद मैं, भैया और तीनों छत पर चले गये।
करीब 11 बजे तक हम वहाँ बैठकर बातें करते रहे, फिर सोने के लिए नीचे आ गए।
मैं बैठकर पढ़ने लगा और वो दोनों अपने कमरे में चले गये।
करीब 11:30 बजे जब मैं पढ़ रहा था तो मैंने कुछ हल्की सी आवाज़ महसूस की।
वो आवाज़ भैया-भाभी के कमरे से आ रही रही थी क्योंकि उनका कमरा मेरे बगल में ही है तो मैंने जाकर दरवाजे के छेद से देखा,
तो भैया उनकी भाभी चुदाई कर रहे थे।
मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया, मैं फिर ..................।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.