28-03-2022, 05:25 PM
धीरे-धीरे दिन गुजरते गए मगर उस यौवना का आकर्षण कब प्रेम में परिवर्तित हो गया पता भी न चला। जब कभी मुझे मौक़ा मिला, मैं उसके बाथरूम में जाकर उसके अंतःवस्त्रों को हाथ में लेकर ऐसा महसूस करता कि जैसे वो मेरे आगोश में हो।
समय सदैव एक सा नहीं रहता. इतने दिनों से उसके यौवन के रसस्वादन और दर्शन की जो कल्पनायें की थीं वो एक सब अधूरी सी छोड़कर वैभव और रेनू यह फ्लैट छोड़कर चले गये.
उन दोनों में मतभेद रहते थे और शायद वे अपने झगड़े को मेरे सामने उजागर करना नहीं चाहते थे.
आप कितना भी बचिए लेकिन विपरीत लिंगी के लिए प्रेम के साथ कहीं न कहीं वासना दबे पैर आ ही जाती है. एकांत के क्षणों में तो कामदेव वासना के रथ पर सवार रहते हैं।
वो चली गयी लेकिन जैसे मेरी आत्मा को साथ ले गयी.
जो आकर्षण एक अरसे से दबा हुआ था वो बाहर आने को मचलने लगा। मैंने उसे व्हाट्सएप पर फॉलो करना शुरू कर दिया. उसके हर फ़ोटो को सेव करना, स्टेटस पर कमेंट देना शुरू कर दिया।
उसने मुझसे व्हाट्सएप पर बातचीत शुरू कर दी. मैंने उसे सब कुछ सच-सच बता दिया।
मेरा सच सामने आया तो उसका भी दिल खुल गया और उसने बताया कि वो भी मुझे पसंद करती थी.
उस दिन मैंने अपनी किस्मत को खूब कोसा. जिस रूप की देवी को मैं अपने इतने करीब रहते हुए पूज सकता था, मैं उस मौके से चूक गया.
काश ये हिम्मत मैं कुछ साल पहले कर पाता.
फिर इससे पहले कि मेरा प्यार परवान चढ़ता … उसके पति ने उसके फोन में मेरे मैसेज देख लिए।
उस वक्त सब कुछ ख़त्म हो गया।
मगर वो आकर्षण उसी स्तर पर था जो उससे पहली बार मिलकर उत्पन्न हुआ था।
उसको लेकर मन में न जाने कितनी बार कितने प्रकार के कामुक विचार आये और कितनी बार संयम टूटा।
बीतते वक्त के साथ अब वो एक बेहद समझदार और सुलझी हुई महिला में परिवर्तित हो चुकी थी।
मैं भी विवाहित हो चुका था किंतु मेरी पत्नी भी रेनू के लिए मेरी आसक्ति को तृप्त न कर पायी थी.
रेनू के सपने उसे हमेशा से व्यथित करते थे. वो एक स्वावलंबी और स्वतंत्र जीवन जीना चाहती थी। उसके अंदर की छटपटाहट को मैंने कई बार महसूस किया था। उसका ज्ञान और दर्शन सीमित था और पारिवारिक दायित्वों ने पैरों में बेड़ियां डाल रखी थीं.
समय सदैव एक सा नहीं रहता. इतने दिनों से उसके यौवन के रसस्वादन और दर्शन की जो कल्पनायें की थीं वो एक सब अधूरी सी छोड़कर वैभव और रेनू यह फ्लैट छोड़कर चले गये.
उन दोनों में मतभेद रहते थे और शायद वे अपने झगड़े को मेरे सामने उजागर करना नहीं चाहते थे.
आप कितना भी बचिए लेकिन विपरीत लिंगी के लिए प्रेम के साथ कहीं न कहीं वासना दबे पैर आ ही जाती है. एकांत के क्षणों में तो कामदेव वासना के रथ पर सवार रहते हैं।
वो चली गयी लेकिन जैसे मेरी आत्मा को साथ ले गयी.
जो आकर्षण एक अरसे से दबा हुआ था वो बाहर आने को मचलने लगा। मैंने उसे व्हाट्सएप पर फॉलो करना शुरू कर दिया. उसके हर फ़ोटो को सेव करना, स्टेटस पर कमेंट देना शुरू कर दिया।
उसने मुझसे व्हाट्सएप पर बातचीत शुरू कर दी. मैंने उसे सब कुछ सच-सच बता दिया।
मेरा सच सामने आया तो उसका भी दिल खुल गया और उसने बताया कि वो भी मुझे पसंद करती थी.
उस दिन मैंने अपनी किस्मत को खूब कोसा. जिस रूप की देवी को मैं अपने इतने करीब रहते हुए पूज सकता था, मैं उस मौके से चूक गया.
काश ये हिम्मत मैं कुछ साल पहले कर पाता.
फिर इससे पहले कि मेरा प्यार परवान चढ़ता … उसके पति ने उसके फोन में मेरे मैसेज देख लिए।
उस वक्त सब कुछ ख़त्म हो गया।
मगर वो आकर्षण उसी स्तर पर था जो उससे पहली बार मिलकर उत्पन्न हुआ था।
उसको लेकर मन में न जाने कितनी बार कितने प्रकार के कामुक विचार आये और कितनी बार संयम टूटा।
बीतते वक्त के साथ अब वो एक बेहद समझदार और सुलझी हुई महिला में परिवर्तित हो चुकी थी।
मैं भी विवाहित हो चुका था किंतु मेरी पत्नी भी रेनू के लिए मेरी आसक्ति को तृप्त न कर पायी थी.
रेनू के सपने उसे हमेशा से व्यथित करते थे. वो एक स्वावलंबी और स्वतंत्र जीवन जीना चाहती थी। उसके अंदर की छटपटाहट को मैंने कई बार महसूस किया था। उसका ज्ञान और दर्शन सीमित था और पारिवारिक दायित्वों ने पैरों में बेड़ियां डाल रखी थीं.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.