26-03-2022, 03:40 AM
(This post was last modified: 26-03-2022, 11:12 AM by Hot_Guy. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
पार्ट 22
रात के साढ़े 11 बज चुके थे। अब सब छतों पर से ज्यादातर लोग जा चुके थे। गौरव ने चारों तरफ एक बार नज़र डाली और हिना से बोला : चल अब घोड़ी बन कर दिखा
शिवानी गौरव का इशारा समझ चुकी थी। उसने हिना को घोड़ी बनने में मदद करते हुए उसके पिछवाड़े को गौरव की तरफ कर दिया और इसके चेहरे को अपनी तरफ करवा लिया। हिना इस समय अपने चारों हाथ पैरों के बल जमीन पर घोड़ी बनकर खड़ी हुई थी।
शिवानी ने अपने गाउन की ज़िप भी खोल ली थी ताकि इस मौके का भरपूर फायदा उसे मिल सके।
हिना को जिस तरह से गौरव पेल रहा था, उसे देखकर शिवानी की अपनी चूत एकदम गीली हो गई थी। गाउन के अंदर शिवानी ने भी पैंटी नही पहनी थी।
शिवानी के हाथ से हंटर अब गौरव ने अपने हाथ मे ले लिया और एक जोर का हंटर हिना के नितंबों पर मारता हुआ उससे बोला : टाँगे खोलकर दिखा। अब तेरी गाँड़ मारी जायेगी।
हिना ने जैसे ही अपनी टाँगे खोली, गौरव ने अपना खड़ा लण्ड उसके दोनों नितंबों के बीच मे घुसा दिया और शिवानी की तरफ देखकर बोला : इस रंडी से तू भी मज़े ले ले अब
शिवानी ने पहले ही हिना के चेहरे को कुर्सी पर अपने दोनों हाथों से पकड़कर अपनी दोनों टाँगों के बीच मे फंसा रखा था और उससे कहती जा रही थी : चल हरामजादी अपने चेहरे को मेरी चूत पर रगड़ रगड़ कर मुझे भी खुश कर। बीच बीच मे शिवानी हिना के गालों पर यह कहते हुए चपत भी मार रही थी : ठीक से चाट इसे-अपनी जीभ निकाल कर मेरी चूत में डालकर उसकी ठीक से मालिश कर
उधर गौरव हिना के पिछवाड़े को हंटर मार मार कर उसकी गाँड़ मारने में लगा हुआ था
लगभग 20 मिनट तक दोनों ने आगे पीछे से हिना को पेलकर मज़े लिए और फिर वहां से उठते हुए गौरव बोला : अब यह चिकनी लौंडिया ऐसे ही घोड़ी बनी बनी मेरे कमरे में जाएगी। शिवानी तुम जरा इसकी पीठ पर मेरे जूते और मोजे रख दो। अगर इसकी पीठ से मेरे जूते या मोजे नीचे गिरे तो इसके इन मस्त चूतड़ों पर 100 बेंत और लगाए जाएंगे।
शिवानी ने गौरव के दोनों जूते मोजे हिना की पीठ पर रख दिये
गौरव ने हंसते हुए उसके नितंबों पर एक हंटर मारा और बोला : चल मेरी घोड़ी मेरे कमरे में चल
हिना का सारा ध्यान इस बात पर था कि उसकी पीठ पर से गौरव के जूते मोजे न गिर जाएं। इस चक्कर मे वह अपनी इस हालत से पूरी तरह बेख़बर थी कि वह इस समय पूरी तरह निर्वस्त्र होकर खुली छत में अपने चारों हाथ पैरों के बल एक जानवर की तरह गौरव के कमरे की तरफ जा रही थी
काफी मशक्कत करने के बाद वह बिना जूते मोजे गिराए गौरव के कमरे में आ गई।
गौरव ने अब शिवानी को उसके कमरे में यह कहते हुए भेज दिया : अब इस लौंडिया को मैं खुद ट्रेनिंग दूँगा
गौरव हिना के पीछे पीछे अपने कमरे में घुसा और कमरे का दरवाजा अंदर से बंद करता हुआ उससे बोला : अब मैं कुछ देर सोफे पर बैठकर आराम करूंगा। तू इसी तरह घोड़ी बनी मेरे सामने खड़ी रह।
गौरव ने अपने जूते मोजे उसकी पीठ से अब हटा लिए थे
शेष अगले भाग में
रात के साढ़े 11 बज चुके थे। अब सब छतों पर से ज्यादातर लोग जा चुके थे। गौरव ने चारों तरफ एक बार नज़र डाली और हिना से बोला : चल अब घोड़ी बन कर दिखा
शिवानी गौरव का इशारा समझ चुकी थी। उसने हिना को घोड़ी बनने में मदद करते हुए उसके पिछवाड़े को गौरव की तरफ कर दिया और इसके चेहरे को अपनी तरफ करवा लिया। हिना इस समय अपने चारों हाथ पैरों के बल जमीन पर घोड़ी बनकर खड़ी हुई थी।
शिवानी ने अपने गाउन की ज़िप भी खोल ली थी ताकि इस मौके का भरपूर फायदा उसे मिल सके।
हिना को जिस तरह से गौरव पेल रहा था, उसे देखकर शिवानी की अपनी चूत एकदम गीली हो गई थी। गाउन के अंदर शिवानी ने भी पैंटी नही पहनी थी।
शिवानी के हाथ से हंटर अब गौरव ने अपने हाथ मे ले लिया और एक जोर का हंटर हिना के नितंबों पर मारता हुआ उससे बोला : टाँगे खोलकर दिखा। अब तेरी गाँड़ मारी जायेगी।
हिना ने जैसे ही अपनी टाँगे खोली, गौरव ने अपना खड़ा लण्ड उसके दोनों नितंबों के बीच मे घुसा दिया और शिवानी की तरफ देखकर बोला : इस रंडी से तू भी मज़े ले ले अब
शिवानी ने पहले ही हिना के चेहरे को कुर्सी पर अपने दोनों हाथों से पकड़कर अपनी दोनों टाँगों के बीच मे फंसा रखा था और उससे कहती जा रही थी : चल हरामजादी अपने चेहरे को मेरी चूत पर रगड़ रगड़ कर मुझे भी खुश कर। बीच बीच मे शिवानी हिना के गालों पर यह कहते हुए चपत भी मार रही थी : ठीक से चाट इसे-अपनी जीभ निकाल कर मेरी चूत में डालकर उसकी ठीक से मालिश कर
उधर गौरव हिना के पिछवाड़े को हंटर मार मार कर उसकी गाँड़ मारने में लगा हुआ था
लगभग 20 मिनट तक दोनों ने आगे पीछे से हिना को पेलकर मज़े लिए और फिर वहां से उठते हुए गौरव बोला : अब यह चिकनी लौंडिया ऐसे ही घोड़ी बनी बनी मेरे कमरे में जाएगी। शिवानी तुम जरा इसकी पीठ पर मेरे जूते और मोजे रख दो। अगर इसकी पीठ से मेरे जूते या मोजे नीचे गिरे तो इसके इन मस्त चूतड़ों पर 100 बेंत और लगाए जाएंगे।
शिवानी ने गौरव के दोनों जूते मोजे हिना की पीठ पर रख दिये
गौरव ने हंसते हुए उसके नितंबों पर एक हंटर मारा और बोला : चल मेरी घोड़ी मेरे कमरे में चल
हिना का सारा ध्यान इस बात पर था कि उसकी पीठ पर से गौरव के जूते मोजे न गिर जाएं। इस चक्कर मे वह अपनी इस हालत से पूरी तरह बेख़बर थी कि वह इस समय पूरी तरह निर्वस्त्र होकर खुली छत में अपने चारों हाथ पैरों के बल एक जानवर की तरह गौरव के कमरे की तरफ जा रही थी
काफी मशक्कत करने के बाद वह बिना जूते मोजे गिराए गौरव के कमरे में आ गई।
गौरव ने अब शिवानी को उसके कमरे में यह कहते हुए भेज दिया : अब इस लौंडिया को मैं खुद ट्रेनिंग दूँगा
गौरव हिना के पीछे पीछे अपने कमरे में घुसा और कमरे का दरवाजा अंदर से बंद करता हुआ उससे बोला : अब मैं कुछ देर सोफे पर बैठकर आराम करूंगा। तू इसी तरह घोड़ी बनी मेरे सामने खड़ी रह।
गौरव ने अपने जूते मोजे उसकी पीठ से अब हटा लिए थे
शेष अगले भाग में
to my Thread containing Sex stories based on Humiliation, Blackmail & BDSM
हम भी दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है
जिस तरफ जाएंगे खुद रास्ता बन जाएगा
हम भी दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है
जिस तरफ जाएंगे खुद रास्ता बन जाएगा