25-03-2022, 06:12 PM
(This post was last modified: 25-03-2022, 09:40 PM by Hot_Guy. Edited 2 times in total. Edited 2 times in total.)
PART-20
हिना और शिवानी की यह बातचीत चल ही रही थी कि उसी समय गौरव वापस आ गया और शिवानी से बोला : तुम नीचे जाकर टेबल पर खाना लगवाओ-मैं हिना को लेकर वहीं आता हूँ
शिवानी नीचे चली गयी और गौरव हिना की तरफ देखकर कहने लगा : चलो अब तुम्हारी बाकी की ट्रेनिंग खाना खाने के बाद होगी.
यह कहकर उसने हिना के बंधे हुए हाथ खोल दिए और पहनने के लिए शिवानी की अलमारी में से एक गाउन निकालकर दे दिया
खाना खाने के बाद हिना,शिवानी और गौरव फिर से पहली मंज़िल पर वापस आ गए. पहली मंजिल की छत काफी बड़ी थी और खुली हुई थी. छत में पांच कमरे बने हुए थे. 3 कमरे बंद पड़े थे और दो कमरों में शिवानी और गौरव रह रहे थे. बाकी की छत पर बहुत बड़ा आँगन था-आँगन में भी बैठने के लिए चार कुर्सियां और एक टेबल रखीं थी क्योंकि गौरव और विवेक कभी कभी यहां बैठकर भी चाय नाश्ता आदि करते हैं.
छत में एक ही साइड में सारे कमरे बने हुए थे. बाकी की सभी तीनों साइड 3 फिट की बाउंडरी के साथ खुली हुई थीं और वहां से और घरों की छतें नज़र आती थीं
खाना खाकर वापस आते आते दस बज गए थे. गौरव ने कमरे में जाने से पहले शिवानी से कहा : ऐसा करते हैं, यहीं छत पर थोड़ी देर टहल लेते हैं -बाकी घरों की छतों पर भी लोग इस समय खाना खाकर चहलकदमी कर रहे थे-कुछ घरों की छतों पर बच्चे भी हुड़दंग मचा रहे थे.
इस समय शिवानी और हिना दोनों ही फ्रंट ज़िप वाला गाउन पहने हुए थीं. गौरव क्योंकि बाहर कहीं मीटिंग से आया था, इसलिए उसने अभी तक अपनी जींस और टी शर्ट ही पहनी हुई थी-खाना खाने की जल्दी में उसने अभी तक अपने जूते भी नहीं उतारे थे.
छत पर इस समय बहुत तेज़ और ठंडी हवा चल रही थी और आसमान से निकल रहे पूर्णमासी के चन्द्रमा की रोशनी से सारी छतें चमक रही थीं
दस मिनट तक छत पर टहलने के बाद वे सभी लोग छत पर रखी कुर्सियों पर बैठकर वहां से दूसरे घरों की छतों पर होने वाली चहलकदमी को देखने लगे
गौरव के सामने वाली साइड में शिवानी और हिना बैठी हुई थीं.
गौरव को अब लगा कि थोड़ा मज़ा लेने का यह सही समय है -इसलिए उसने हिना की तरफ देखकर कहा : अब तुम्हारी ट्रेनिंग दुबारा से शुरू हो रही है-चलो खड़ी हो जाओ
हिना कुर्सी से उठकर खड़ी हो गयी और चरों तरफ देखती हुई कहने लगी : यहां तो छतों पर खड़े सब तरफ से लोग हमें देख रहे हैं
गौरव हँसते हुए कहने लगा : कोई बात नहीं. थोड़ा इस तमाशे का मज़ा वे लोग भी ले लेंगे -चल इधर आकर मेरे जूते उतार
गौरव ने कुर्सी पर बैठे बैठे अपनी दोनों टाँगे आगे की तरफ फैला दीं और अपने दाएं हाथ से अपनी जींस में कैद लण्ड को पकड़कर सहलाने लगा
हिना को बहुत अजीब लग रहा था-उसे लग रहा था कि इस समय सब लोगों की नज़रें सभी छतों पर हमारी तरफ ही हैं और उसे गौरव जान बूझ कर ज़लील करने के लिए अपने जूते उतारने को कह रहा था. वह अभी तक अपनी जगह पर खड़ी हुई थी. उसे अपनी जगह से हिलता न देख गौरव ने दुबारा उससे कहा : अब अपने गाउन की ज़िप को पूरा खोलो और यहां आकर मेरे जूते उतारो-अगर अब भी तुमने मेरे हुक्म की तामील नहीं की तो तुम्हे पूरा नंगा करके तुमसे जूते उतरवाऊँगा
अब हिना एकदम सकपका गयी और कहने लगी : प्लीज़ मेरा गाउन मत खुलवाओ. मैंने तो अंदर ब्रा और पैंटी भी नहीं पहनी हैं-मैं ऐसे ही आपके जूते उतार देती हूँ
गौरव : नहीं, तुमने एक बार में मेरी बात नहीं मानी तो अब तुम्हे गाउन खोलना ही पडेगा-जल्दी करो या फिर मैं तुम्हे पूरा नंगा करके परेड करवाऊं ?
अब हिना ने जल्दी से अपने गाउन की ज़िप नीचे सरका दी-ज़िप को नीचे सरकाते ही उसका गाउन इधर उधर तेज़ हवा में उड़ने लगा -अपने हवा में उड़ते गाउन को किसी तरह संभालते हुए हिना जल्दी से गौरव के पैरों के पास आकर बैठ गयी और उसके जूतों के फीते खोलने लगी. हिना को अब राहत महसूस हो रही थी क्योंकि उसे लग रहा था कि जब तक वह नीचे जमीन पर बैठी रहेगी, उसे दूसरी छतों पर से लोग ठीक से नहीं देख पाएंगे और वह शर्म और ज़लालत से तब तक बची रहेगी जब तक वह जमीन पर बैठी रहेगी
अपने जूते उतरवाने के बाद गौरव उससे बोला : चलो अब मोज़े भी उतारो
हिना ने उसके पैरों से मोज़े भी उतार दिए
गौरव अब हिना से बोला : अब मेरे पैरों को अपने हाथों में पकड़कर दोनों को दस दस बार चूमो
जब हिना गौरव के दोनों पैरों पर चुम्मे दे चुकी तो गौरव ने अपने पैरों के तलवों को उसके गालों पर रगड़ते हुए कहा : अब एक एक करके मेरे दोनों पैरों के तलवों को अपनी जीभ से चाटो
हिना अब फिर से गिड़गिड़ाने लगी : मुझे अब और ज़लील मत करो प्लीज़...
गौरव ( हँसते हुए ) : चलो तुम्हे मैं एक और आसान काम बताता हूँ- तुम उठकर खड़ी हो जाओ और अपने दोनों हाथ ऊपर उठाकर आधे घंटे तक खड़ी रहो
कुर्सी पर बैठी शिवानी यह सारा तमाशा देख रही थी-हिना को यह आसान वाला काम दरअसल बहुत मुश्किल लग रहा था क्योंकि उसे मालूम था कि जैसे ही वह अपने दोनों हाथ ऊपर उठाकर खड़ी होगी-दूसरी छतों पर खड़े सभी लोग उसीकी तरफ देखना शुरू कर देंगे-ऊपर से हवा इतनी तेज़ चल रही थी कि उसका खुला हुआ गाउन लगातार उड़ उड़ कर उसके नंगे बदन की नुमायश सबके सामने कर देगा.
गौरव को मालूम था कि हिना इस बात के लिए राजी नहीं होगी और हुआ भी यही. हिना अब गौरव से बोली : नहीं मैं आपके पैरों के तलवे चाटने के लिए तैयार हूँ
यह कहकर उसने गौरव के पैरों के तलवे चाटने शुरू कर दिए
हिना से अपने तलवे चटवाते हुए गौरव अपने लण्ड को सहलाये जा रहा था जो अब तक काफी कड़क हो गया था.
गौरव ने कुर्सी पर बैठे बैठे अपनी जींस की ज़िप खोलकर उसमे से अपने लण्ड को बाहर निकाला और हिना से बोला : अब इसे अपने मुंह में लेकर चूस
हिना : नहीं ..सब देख रहे हैं.. यहां खुले में यह सब मत करवाओ प्लीज़...
गौरव ने अब हिना के दो थप्पड़ लगाए और बोला : चल खड़ी हो साली...
हिना घबराकर उसका लण्ड चूसने के लिए आगे बड़ी लेकिन गौरव के दिमाग में अब कुछ और ही चल रहा था : खड़ी होकर अपना गाउन उतार और एकदम नंगी हो जा -अब तुझे यह मालूम पड़ जाना चाहिए कि अगर मेरी बात पहली बार में नहीं मानेगी तो तुझे कितनी सख्त सजा मिल सकती है -चल खड़ी हो और गाउन उतार कर दिखा -एक बार कह चुका हूँ -दुबारा इस सजा को और बढ़ा दूंगा
हिना घबराई हुई थी. उसने जल्दी से अपने गाउन को उतार दिया और एकदम नंगी अवस्था में वहां गौरव के सामने खड़ी होकर अपने हाथों से अपने मम्मों और चूत को छिपाने का प्रयास करने लगी
अब गौरव उससे बोला : देख सब लोगो की नज़र से बचने का अभी भी एक मौका है. नीचे बैठ जा और मेरे लण्ड को अपने मुंह में ले ले
हिना ने इस बार बिना मौका गँवाए गौरव की बात मान ली और जमीन पर बैठ गयी और उसके लण्ड को अपने मुंह में लेकर उस पर अपनी जीभ और होंठों से मालिश करने लगी.
शेष अगले भाग में
हिना और शिवानी की यह बातचीत चल ही रही थी कि उसी समय गौरव वापस आ गया और शिवानी से बोला : तुम नीचे जाकर टेबल पर खाना लगवाओ-मैं हिना को लेकर वहीं आता हूँ
शिवानी नीचे चली गयी और गौरव हिना की तरफ देखकर कहने लगा : चलो अब तुम्हारी बाकी की ट्रेनिंग खाना खाने के बाद होगी.
यह कहकर उसने हिना के बंधे हुए हाथ खोल दिए और पहनने के लिए शिवानी की अलमारी में से एक गाउन निकालकर दे दिया
खाना खाने के बाद हिना,शिवानी और गौरव फिर से पहली मंज़िल पर वापस आ गए. पहली मंजिल की छत काफी बड़ी थी और खुली हुई थी. छत में पांच कमरे बने हुए थे. 3 कमरे बंद पड़े थे और दो कमरों में शिवानी और गौरव रह रहे थे. बाकी की छत पर बहुत बड़ा आँगन था-आँगन में भी बैठने के लिए चार कुर्सियां और एक टेबल रखीं थी क्योंकि गौरव और विवेक कभी कभी यहां बैठकर भी चाय नाश्ता आदि करते हैं.
छत में एक ही साइड में सारे कमरे बने हुए थे. बाकी की सभी तीनों साइड 3 फिट की बाउंडरी के साथ खुली हुई थीं और वहां से और घरों की छतें नज़र आती थीं
खाना खाकर वापस आते आते दस बज गए थे. गौरव ने कमरे में जाने से पहले शिवानी से कहा : ऐसा करते हैं, यहीं छत पर थोड़ी देर टहल लेते हैं -बाकी घरों की छतों पर भी लोग इस समय खाना खाकर चहलकदमी कर रहे थे-कुछ घरों की छतों पर बच्चे भी हुड़दंग मचा रहे थे.
इस समय शिवानी और हिना दोनों ही फ्रंट ज़िप वाला गाउन पहने हुए थीं. गौरव क्योंकि बाहर कहीं मीटिंग से आया था, इसलिए उसने अभी तक अपनी जींस और टी शर्ट ही पहनी हुई थी-खाना खाने की जल्दी में उसने अभी तक अपने जूते भी नहीं उतारे थे.
छत पर इस समय बहुत तेज़ और ठंडी हवा चल रही थी और आसमान से निकल रहे पूर्णमासी के चन्द्रमा की रोशनी से सारी छतें चमक रही थीं
दस मिनट तक छत पर टहलने के बाद वे सभी लोग छत पर रखी कुर्सियों पर बैठकर वहां से दूसरे घरों की छतों पर होने वाली चहलकदमी को देखने लगे
गौरव के सामने वाली साइड में शिवानी और हिना बैठी हुई थीं.
गौरव को अब लगा कि थोड़ा मज़ा लेने का यह सही समय है -इसलिए उसने हिना की तरफ देखकर कहा : अब तुम्हारी ट्रेनिंग दुबारा से शुरू हो रही है-चलो खड़ी हो जाओ
हिना कुर्सी से उठकर खड़ी हो गयी और चरों तरफ देखती हुई कहने लगी : यहां तो छतों पर खड़े सब तरफ से लोग हमें देख रहे हैं
गौरव हँसते हुए कहने लगा : कोई बात नहीं. थोड़ा इस तमाशे का मज़ा वे लोग भी ले लेंगे -चल इधर आकर मेरे जूते उतार
गौरव ने कुर्सी पर बैठे बैठे अपनी दोनों टाँगे आगे की तरफ फैला दीं और अपने दाएं हाथ से अपनी जींस में कैद लण्ड को पकड़कर सहलाने लगा
हिना को बहुत अजीब लग रहा था-उसे लग रहा था कि इस समय सब लोगों की नज़रें सभी छतों पर हमारी तरफ ही हैं और उसे गौरव जान बूझ कर ज़लील करने के लिए अपने जूते उतारने को कह रहा था. वह अभी तक अपनी जगह पर खड़ी हुई थी. उसे अपनी जगह से हिलता न देख गौरव ने दुबारा उससे कहा : अब अपने गाउन की ज़िप को पूरा खोलो और यहां आकर मेरे जूते उतारो-अगर अब भी तुमने मेरे हुक्म की तामील नहीं की तो तुम्हे पूरा नंगा करके तुमसे जूते उतरवाऊँगा
अब हिना एकदम सकपका गयी और कहने लगी : प्लीज़ मेरा गाउन मत खुलवाओ. मैंने तो अंदर ब्रा और पैंटी भी नहीं पहनी हैं-मैं ऐसे ही आपके जूते उतार देती हूँ
गौरव : नहीं, तुमने एक बार में मेरी बात नहीं मानी तो अब तुम्हे गाउन खोलना ही पडेगा-जल्दी करो या फिर मैं तुम्हे पूरा नंगा करके परेड करवाऊं ?
अब हिना ने जल्दी से अपने गाउन की ज़िप नीचे सरका दी-ज़िप को नीचे सरकाते ही उसका गाउन इधर उधर तेज़ हवा में उड़ने लगा -अपने हवा में उड़ते गाउन को किसी तरह संभालते हुए हिना जल्दी से गौरव के पैरों के पास आकर बैठ गयी और उसके जूतों के फीते खोलने लगी. हिना को अब राहत महसूस हो रही थी क्योंकि उसे लग रहा था कि जब तक वह नीचे जमीन पर बैठी रहेगी, उसे दूसरी छतों पर से लोग ठीक से नहीं देख पाएंगे और वह शर्म और ज़लालत से तब तक बची रहेगी जब तक वह जमीन पर बैठी रहेगी
अपने जूते उतरवाने के बाद गौरव उससे बोला : चलो अब मोज़े भी उतारो
हिना ने उसके पैरों से मोज़े भी उतार दिए
गौरव अब हिना से बोला : अब मेरे पैरों को अपने हाथों में पकड़कर दोनों को दस दस बार चूमो
जब हिना गौरव के दोनों पैरों पर चुम्मे दे चुकी तो गौरव ने अपने पैरों के तलवों को उसके गालों पर रगड़ते हुए कहा : अब एक एक करके मेरे दोनों पैरों के तलवों को अपनी जीभ से चाटो
हिना अब फिर से गिड़गिड़ाने लगी : मुझे अब और ज़लील मत करो प्लीज़...
गौरव ( हँसते हुए ) : चलो तुम्हे मैं एक और आसान काम बताता हूँ- तुम उठकर खड़ी हो जाओ और अपने दोनों हाथ ऊपर उठाकर आधे घंटे तक खड़ी रहो
कुर्सी पर बैठी शिवानी यह सारा तमाशा देख रही थी-हिना को यह आसान वाला काम दरअसल बहुत मुश्किल लग रहा था क्योंकि उसे मालूम था कि जैसे ही वह अपने दोनों हाथ ऊपर उठाकर खड़ी होगी-दूसरी छतों पर खड़े सभी लोग उसीकी तरफ देखना शुरू कर देंगे-ऊपर से हवा इतनी तेज़ चल रही थी कि उसका खुला हुआ गाउन लगातार उड़ उड़ कर उसके नंगे बदन की नुमायश सबके सामने कर देगा.
गौरव को मालूम था कि हिना इस बात के लिए राजी नहीं होगी और हुआ भी यही. हिना अब गौरव से बोली : नहीं मैं आपके पैरों के तलवे चाटने के लिए तैयार हूँ
यह कहकर उसने गौरव के पैरों के तलवे चाटने शुरू कर दिए
हिना से अपने तलवे चटवाते हुए गौरव अपने लण्ड को सहलाये जा रहा था जो अब तक काफी कड़क हो गया था.
गौरव ने कुर्सी पर बैठे बैठे अपनी जींस की ज़िप खोलकर उसमे से अपने लण्ड को बाहर निकाला और हिना से बोला : अब इसे अपने मुंह में लेकर चूस
हिना : नहीं ..सब देख रहे हैं.. यहां खुले में यह सब मत करवाओ प्लीज़...
गौरव ने अब हिना के दो थप्पड़ लगाए और बोला : चल खड़ी हो साली...
हिना घबराकर उसका लण्ड चूसने के लिए आगे बड़ी लेकिन गौरव के दिमाग में अब कुछ और ही चल रहा था : खड़ी होकर अपना गाउन उतार और एकदम नंगी हो जा -अब तुझे यह मालूम पड़ जाना चाहिए कि अगर मेरी बात पहली बार में नहीं मानेगी तो तुझे कितनी सख्त सजा मिल सकती है -चल खड़ी हो और गाउन उतार कर दिखा -एक बार कह चुका हूँ -दुबारा इस सजा को और बढ़ा दूंगा
हिना घबराई हुई थी. उसने जल्दी से अपने गाउन को उतार दिया और एकदम नंगी अवस्था में वहां गौरव के सामने खड़ी होकर अपने हाथों से अपने मम्मों और चूत को छिपाने का प्रयास करने लगी
अब गौरव उससे बोला : देख सब लोगो की नज़र से बचने का अभी भी एक मौका है. नीचे बैठ जा और मेरे लण्ड को अपने मुंह में ले ले
हिना ने इस बार बिना मौका गँवाए गौरव की बात मान ली और जमीन पर बैठ गयी और उसके लण्ड को अपने मुंह में लेकर उस पर अपनी जीभ और होंठों से मालिश करने लगी.
शेष अगले भाग में
to my Thread containing Sex stories based on Humiliation, Blackmail & BDSM
हम भी दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है
जिस तरफ जाएंगे खुद रास्ता बन जाएगा
हम भी दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है
जिस तरफ जाएंगे खुद रास्ता बन जाएगा