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Adultery ख्वाहिश
#7
मेरा मेरे भाभी को घूरना चालू रहा... खास करके बूब्स और गांड... इतनी इठलाती थी वो की बस मुझे जानबूझकर देखने की कोशिश करनी नही पड़ती थी... मेरी आँखे टिक जाती थी ऐसे ही...

एक दिन भाभी: समीर तुम मुझे यु घूरना बंध करोगे?
मैं: क्यों? क्या हुआ?
भाभी: मुझे शर्म आती है और ये सही भी नहीं है... मुझे आपके भैया से बात करनी पड़ेगी...
मैं: कर दो... ज्यादा से ज्यादा ज़ग़ड़ा होगा और क्या?
भाभी: क्यों कर रहे हो ऐसा?
मैं: भाभी... प्यार करने लगा हूँ आप से...
भाभी: (एकदम गुस्सा होकर) क्या घटिया बोल रहे हो... समज नहीं आता की क्या बोल रहे हो?
मैं: (भाभी का ये स्वरुप देखकर मैं डर तो ज़रूर गया और भैया का ख्याल आने पर थोड़ी फ़टी तो पड़ी थी मेरी पर) जाओ मैं आपसे बात नहीं करता...
(ये था उल्टा चोर कौतवल को डांटे)
भाभी: ले भला... क्यों? गलती आप कर रहे हो और....
मैं: और नहीं तो क्या... दिन भर मेरे साथ ही रहती हो मेरी पास ही रहती हो.. मेरी कोई गर्ल फ्रेंड भी नहीं है... तो फिर आपसे प्यार युही हो गया... क्या करू.. हम हमउम्र भी है... मैं तो आखिर जवान हूँ... जो करना है करो... मुझे नहीं पता क्या गलत है और क्या नहीं...

ये में सच में अपने दिल की बात बोल रहा था... मैं सच में इमोशनल हो गया और रो ही पड़ा.... मैं फ़साना जरूर चाहता था... पर... इमोशनल हो चूका था....

भाभी: देखो समीर भैया ऐसे नही रो आप... मैं पानी लाती हूँ...
मैं: भाभी मुझे पानी नहीं प्यार की जरूरत है...
भाभी: क्या मतलब? (गुस्सा आश्चर्य दोनों भाव साथ थे इसमें)
मैं: मतलब कुछ नहीं भाभी मैं बस प्यार चाहता हूँ, क्या मैं आपको प्यार नहीं कर सकता? क्या गलत है? (मेरा रोना चालू ही था)
भाभी: पर... पर ये गलत है... प्यार हम भी आपसे करते है, पर आपकी भावनाए कुछ अलग बयां कर रही है... जो मुमकिन नहीं है...
मैं: भाभी... क्यों गलत है एक कारन बताओ...
भाभी: (मक्कमता से बोली) गलत है मतलब गलत है... और आइन्दा मुझसे बात मत करना...

मैं फिर चला गया वहा से... पर अब मेरा काम था के भाभी भैया को अपडेट क्या देते है? हररोज़ मैं रेकॉर्डिंग् लगाता था और सुनता था, मेरा भाभी को ज़ाखना चालू था... भाभी इग्नोर करती थी... एक दिन एक रेकॉर्डिंग् में जब भैया भाभी का सम्भोग खत्म हुआ भैया ने भाभी को सामने से पूछा

भैया: समीर से कुछ बात हुई क्या उस बारे में?
भाभी: (थोडा हिचकिचाके बोली) नही.. हा एक बार हुई थी, वो बस ऐसे ही खो जाता है सोच विचार में वो क्या करता है उसे नही पता... इमोशनल है न...
भैया: ह्म्म्म तुम खामखा डर रही थी... ऐसे तू है ही मस्त माल किसीके भी पेंट का घण्टा बजवा सकती हो

ऐसा कह कर दोनों हसने लगे और उस दिन भाभी ने भैया को शायद और एक बार अपना शरीर सोपा, जिसके शायद भैया ने बहोत मज़े लुटे होंगे...

मैंने भाभी को बुलाना बंध कर दिया था... मैं नज़रे चुरा रहा था। मैं बाते भी नहीं कर रहा था... मानो जैसे मैं उससे नफरत करता हूँ। भाभी को यह बरदास्त नही हो रहा था.... एक दिन....
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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ख्वाहिश - by neerathemall - 23-03-2022, 04:02 PM
RE: ख्वाहिश - by neerathemall - 23-03-2022, 04:04 PM
RE: ख्वाहिश - by neerathemall - 23-03-2022, 04:05 PM
RE: ख्वाहिश - by neerathemall - 23-03-2022, 04:09 PM
RE: ख्वाहिश - by neerathemall - 23-03-2022, 04:10 PM
RE: ख्वाहिश - by neerathemall - 23-03-2022, 04:14 PM
RE: ख्वाहिश - by neerathemall - 23-03-2022, 04:15 PM
RE: ख्वाहिश - by ghost19 - 07-04-2022, 10:06 AM
RE: ख्वाहिश - by neerathemall - 10-04-2022, 08:36 AM



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