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Adultery ख्वाहिश
#4
घर में ऐसे कपडे? हा तो मैं एक बात बताना भूल गया, मेरे माँ बाप बहोत पहले ही एक आकस्मिक घटना के शिकार हो कर कार एक्सिडेंट में भगवान् को प्यारे हो गए है...

भैया की जब शादी हुई थी, तब माँ बाप ज़िंदा थे। और सिर्फ १ साल में ही हादसा हुआ और चल बसे। घर में भाई के ऑफिस जाने बाद, में भी कॉलेज चला जाता था। घर में भाभी अकेली ही रहती थी। पसंद आये ना आये पर यही होता था। भैया को ऑफिस जाना पड़ता था, सब जिम्मेदारी उनके ऊपर थी, और मैं तो ठीक कभी जाता था कॉलेज तो कभी नहीं। कॉलेज के दिन तो यही होता है ना....?

पर माँ बाप के जाने का सदमा मुझे इस कदर लगा था के, मैं कॉलेज की परीक्षा में फ़ैल हुआ। भैया कभी गुस्सा नहीं करते मुज पर, और उस दिन भी नही किया, मुझे पास बिठा कर शांति से समजाया के संसार का यही नियम है। तुम्हे धक्का जरूर लगा है, मुझे भी लगा है, पर हमारे माँ बाप तभी सुखी होंगे जब हम कामयाब होके बताएँगे....

बात भी सही थी उनकी... पर मेरा एक ही कन्सर्न था के भाई तो फिर भी ठीक है, रात को अपनी फ्रस्ट्रेशन निकाल देते होंगे, भाभी भी पूरा दिन भैया के लिए अपने आपको संवारती थी, और रात को भाई की बाहों में टूट के बिखर जाती थी। मैं भाई का बिस्तर गरम होते कई बार देख चूका था। शायद चस्का लग गया था मुझे, भैया और भाभी की चुदाई देखने का। भाभी को नंगा देखने की तलब ऐसे खत्म होगी ये नही पता था मुझे। हर रोज़ भाई भाभी आगोश में लिपटे एक दूसरे को सुख देने में नही पर एक दूसरे से सुख लेने में लगे होते दीखते थे। भाई का चहेरा सुबह और खिल जाता था।

कई बार ये सवाल ध्यान में आता है, की कोई गुज़र जाए तो चुदाई करनी चाहिए या नहीं? मैं कहता हु के हा, मन हो रहा है तो कर ही लेनी चाहिए तो ही आपका दिमाग शांत रहेगा और लड़ने की ताकत मिलती रहेगी...

तो यही बात थी जो मुझे खटक रही थी की, अब मेरा कौन... मुझे कई बार खयाल आता था के मैं रंडी बाजार चला जाउ। और अपनी वासना को शांत कर दूँ। पर ये इतना आसान नही होता। तो बस मैं शांत होने लगा, और शांत, और शांत... भैया ने मुझे छूट दे दी थी की अगर एक साल ड्रॉप लेना चाहते तो ले सकते हो और घूमने जाना चाहते तो वो भी कर सकते हो... मानसिक सपोर्ट भैया और भाभी दोनों दे रहे थे... पर शायद मुझे शारीरिक सपोर्ट चाहिए था....

भैया वैसे सब समजते थे, क्योकि वो शादीशुदा थे....
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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ख्वाहिश - by neerathemall - 23-03-2022, 04:02 PM
RE: ख्वाहिश - by neerathemall - 23-03-2022, 04:04 PM
RE: ख्वाहिश - by neerathemall - 23-03-2022, 04:05 PM
RE: ख्वाहिश - by neerathemall - 23-03-2022, 04:09 PM
RE: ख्वाहिश - by neerathemall - 23-03-2022, 04:10 PM
RE: ख्वाहिश - by neerathemall - 23-03-2022, 04:14 PM
RE: ख्वाहिश - by neerathemall - 23-03-2022, 04:15 PM
RE: ख्वाहिश - by ghost19 - 07-04-2022, 10:06 AM
RE: ख्वाहिश - by neerathemall - 10-04-2022, 08:36 AM



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