23-03-2022, 03:26 PM
फिर कुछ देर बाद उसकी तरफ से कोई भी हलचल ना देखकर मैंने थोड़ी सी और हिम्मत करके बहन की स्कर्ट को थोड़ा सा ऊपर उठाकर में अब उसकी तरफ सरक गया और अब मेरा लंड बहन के कूल्हों पर अपना दबाव डालने लगा था उसकी पेंटी बीच में होने के बाद भी में उसकी गांड की गरमी महसूस कर रहा था. तभी कुछ देर बाद धीरे से मेरी बहन ने उनन्न उनन्न की आवाज की जिसको सुनकर में थोड़ा सा डर गया, लेकिन बिल्कुल चुप रहा और वो दोबारा गहरी नींद में सो गई, दोबारा ऐसे ही चलता रहा.
दोस्तों में उससे ज्यादा कुछ भी करने की हिम्मत नहीं कर सका, लेकिन मेरा मन हमेशा बहन की तरफ आकर्षित होता और में बाहर बाजार से जब भी वापस आता तो थकने का बहाना बनाता और फिर अपनी बहन से मालिश करने के लिए कहता. फिर वो मेरे पूरे शरीर पर अपने मुलायम गोरे हाथों से तेल लगाकर मालिश किया करती और में उससे अपनी जाँघो पर भी मालिश करने के लिए कहता मुझे बड़ा मज़ा आता और जब मेरी बहन मेरे पेट पर मेरे कहने से थोड़ा सा नीचे भी मालिश करती तो मुझे बहुत अच्छा महसूस होता.
बहन के 16 साल के होते तक में दिन में खुलकर हिम्मत नहीं किया हाँ रात में बहन को ज़रूर अपने से चिपका लेता और जब वो सो जाती में अपना एक पैर बहन के ऊपर रख देता, उसके चूतड़ के पीछे अपना लंड रगड़ता उसके बूब्स को सहलाता तो मेरी बहन हल्की सी आवाज में उन्नन्न उह्ह्ह्ह करने लगी और तभी में एकदम चुपचाप लेट जाता.
में कभी कभी बहन की स्कर्ट को ऊपर उठा देता और चूत के ऊपर पेंटी पर हाथ रख देता, लेकिन नंगी चूत पर हाथ रखने से डर जाता और शर्ट के दो या तीन बटन धीरे से खोल देता और यह सब मेरी बहन को पता नहीं चलता और वो सोती रहती और में बहन के बूब्स पर हाथ रखकर सो जाता.
फिर जब मेरी बहन 18 साल की हुई तब एक दिन वो आँगन में परदा लगाकर बाथरूम में मौसी का पेटीकोट अपने कंधे तक पहनकर नहा रही थी और कुछ देर अपने कपड़े धोने के बाद उसने जब नहाना शुरू किया तो उसको एक परेशानी महसूस हुई और वो मुझसे आवाज लगाकर बोली कि भैया यह पेटीकोट का नाड़ा मुझसे नहीं खुल रहा है आप इसको खोलने में मेरी थोड़ी मदद कर दो और उस समय मेरी अच्छी किस्मत से घर पर कोई भी नहीं था.
दोस्तों में उससे ज्यादा कुछ भी करने की हिम्मत नहीं कर सका, लेकिन मेरा मन हमेशा बहन की तरफ आकर्षित होता और में बाहर बाजार से जब भी वापस आता तो थकने का बहाना बनाता और फिर अपनी बहन से मालिश करने के लिए कहता. फिर वो मेरे पूरे शरीर पर अपने मुलायम गोरे हाथों से तेल लगाकर मालिश किया करती और में उससे अपनी जाँघो पर भी मालिश करने के लिए कहता मुझे बड़ा मज़ा आता और जब मेरी बहन मेरे पेट पर मेरे कहने से थोड़ा सा नीचे भी मालिश करती तो मुझे बहुत अच्छा महसूस होता.
बहन के 16 साल के होते तक में दिन में खुलकर हिम्मत नहीं किया हाँ रात में बहन को ज़रूर अपने से चिपका लेता और जब वो सो जाती में अपना एक पैर बहन के ऊपर रख देता, उसके चूतड़ के पीछे अपना लंड रगड़ता उसके बूब्स को सहलाता तो मेरी बहन हल्की सी आवाज में उन्नन्न उह्ह्ह्ह करने लगी और तभी में एकदम चुपचाप लेट जाता.
में कभी कभी बहन की स्कर्ट को ऊपर उठा देता और चूत के ऊपर पेंटी पर हाथ रख देता, लेकिन नंगी चूत पर हाथ रखने से डर जाता और शर्ट के दो या तीन बटन धीरे से खोल देता और यह सब मेरी बहन को पता नहीं चलता और वो सोती रहती और में बहन के बूब्स पर हाथ रखकर सो जाता.
फिर जब मेरी बहन 18 साल की हुई तब एक दिन वो आँगन में परदा लगाकर बाथरूम में मौसी का पेटीकोट अपने कंधे तक पहनकर नहा रही थी और कुछ देर अपने कपड़े धोने के बाद उसने जब नहाना शुरू किया तो उसको एक परेशानी महसूस हुई और वो मुझसे आवाज लगाकर बोली कि भैया यह पेटीकोट का नाड़ा मुझसे नहीं खुल रहा है आप इसको खोलने में मेरी थोड़ी मदद कर दो और उस समय मेरी अच्छी किस्मत से घर पर कोई भी नहीं था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.