21-03-2022, 06:04 PM
मगर समीर ने एकदम से उसके मुंह पर हाथ रख दिया और पूरी तरह से दीदी से चिपक कर लेट गया।
दीदी की चूत में लंड देकर वो धीरे धीरे ऊपर नीचे होने लगा। दीदी की टांगें फैली हुई थीं और एक टांग तो सीट के नीचे ही लटक रही थी।
समीर अब उसकी चूचियों को पीते हुए अपनी गांड ऊपर नीचे करते हुए मेरी दीदी की चुदाई कर रहा था।
ये देखकर मुझसे भी रहा नहीं जा रहा था। मैंने अपनी लोअर में हाथ दे लिया और अपने लंड की मुठ मारने लगा।
वो दोनों अपनी चुदाई में मशगूल थे। अब दीदी मेरी तरफ देख भी नहीं रही थी।
उनकी चुदाई की ट्रेन सरपट दौड़ रही थी। दोनों मस्त हो चुके थे।
पांच मिनट तक चोदने के बाद उसने दीदी को सीट पर ही कुतिया बना लिया और घुटनों के बल होकर दीदी की चूत में पीछे से लंड दे दिया।
वो कुतिया बनाकर दीदी की चुदाई करने लगा।
मैं भी अब अपने लंड की मुठ मारने लगा। मैं ऊपर वाली सीट पर था तो दोनों को कुछ पता नहीं चल रहा था कि मैं भी अपने लंड को हिला रहा हूं।
इतना ज्यादा सेक्स मुझे भी कभी नहीं चढ़ा था। मेरा तो मन कर रहा था कि मैं भी अपनी दीदी की चूत मार लूं।
उसको ऐसे दूसरे लड़के से चुदते हुए देखकर मैं बहुत कामुक हो गया था।
पांच मिनट तक चोदने के बाद समीर मेरी दीदी की चूत में ही झड़ गया।
मैं भी उन दोनों को देखते हुए तेजी से मुठ मार रहा था कि एकदम से समीर का ध्यान मेरे ऊपर चला गया।
उसने मुझे देख लिया कि मैं उन दोनों को देख रहा हूं।
उसके बाद वो दोनों जल्दी से उठे और समीर ने अपनी पैंट ऊपर कर ली।
दीदी ने भी साड़ी ठीक कर ली और दोनों आराम से बैठ गए।
फिर समीर ने दीदी के कान में कुछ कहा।
पांच मिनट के बाद समीर ने मुझे उसके साथ वॉशरूम तक चलने के लिए कहा।
मैं जान गया कि वो जरूर मुझे मनाने की कोशिश करेगा।
वहां जाकर उसने मुझसे कहा कि ये सब उसने उसकी दीदी की मर्जी से किया है।
मैं तो पहले से ही सब देख चुका था तो मुझे पता था कि मेरी दीदी अपनी मर्जी से ही चुदी है।
दीदी की चूत में लंड देकर वो धीरे धीरे ऊपर नीचे होने लगा। दीदी की टांगें फैली हुई थीं और एक टांग तो सीट के नीचे ही लटक रही थी।
समीर अब उसकी चूचियों को पीते हुए अपनी गांड ऊपर नीचे करते हुए मेरी दीदी की चुदाई कर रहा था।
ये देखकर मुझसे भी रहा नहीं जा रहा था। मैंने अपनी लोअर में हाथ दे लिया और अपने लंड की मुठ मारने लगा।
वो दोनों अपनी चुदाई में मशगूल थे। अब दीदी मेरी तरफ देख भी नहीं रही थी।
उनकी चुदाई की ट्रेन सरपट दौड़ रही थी। दोनों मस्त हो चुके थे।
पांच मिनट तक चोदने के बाद उसने दीदी को सीट पर ही कुतिया बना लिया और घुटनों के बल होकर दीदी की चूत में पीछे से लंड दे दिया।
वो कुतिया बनाकर दीदी की चुदाई करने लगा।
मैं भी अब अपने लंड की मुठ मारने लगा। मैं ऊपर वाली सीट पर था तो दोनों को कुछ पता नहीं चल रहा था कि मैं भी अपने लंड को हिला रहा हूं।
इतना ज्यादा सेक्स मुझे भी कभी नहीं चढ़ा था। मेरा तो मन कर रहा था कि मैं भी अपनी दीदी की चूत मार लूं।
उसको ऐसे दूसरे लड़के से चुदते हुए देखकर मैं बहुत कामुक हो गया था।
पांच मिनट तक चोदने के बाद समीर मेरी दीदी की चूत में ही झड़ गया।
मैं भी उन दोनों को देखते हुए तेजी से मुठ मार रहा था कि एकदम से समीर का ध्यान मेरे ऊपर चला गया।
उसने मुझे देख लिया कि मैं उन दोनों को देख रहा हूं।
उसके बाद वो दोनों जल्दी से उठे और समीर ने अपनी पैंट ऊपर कर ली।
दीदी ने भी साड़ी ठीक कर ली और दोनों आराम से बैठ गए।
फिर समीर ने दीदी के कान में कुछ कहा।
पांच मिनट के बाद समीर ने मुझे उसके साथ वॉशरूम तक चलने के लिए कहा।
मैं जान गया कि वो जरूर मुझे मनाने की कोशिश करेगा।
वहां जाकर उसने मुझसे कहा कि ये सब उसने उसकी दीदी की मर्जी से किया है।
मैं तो पहले से ही सब देख चुका था तो मुझे पता था कि मेरी दीदी अपनी मर्जी से ही चुदी है।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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