21-03-2022, 06:03 PM
हम लोग वहीं स्टेशन पर थे। मैं साइड में जाकर बैठ गया।
दीदी जान बूझकर कभी साड़ी ठीक करती तो कभी दूसरे लोगों को देखकर मुस्करा देती थी।
मैं भी जानकर अनजान बना हुआ था।
थोड़ी देर बाद पता चला कि जो हमारी ट्रेन थी वह 4 घंटे देरी से आएगी।
मुझे टेंशन होने लगी।
तभी एक लड़का आया और बगल वाली जगह पर बैठ गया।
उसने मुझे पूछा- कहां जा रहे हो?
मैंने कहा- इंदौर जा रहे हैं हम, मगर हमारी ट्रेन 4 घंटे की देरी से आएगी।
उसने कहा- मैं भी इंदौर जा रहा हूं। मगर मेरी ट्रेन थोड़ी देर में पहुंच जाएगी। अगर तुम्हें जल्दी जाना है तो मेरे पास सीट खाली हैं। मेरे दोस्तों की टिकट बुक थी लेकिन वो लोग आ नहीं सके।
मैंने सोचा 4 घंटे रुकने से जल्दी जाना बेहतर है।
बात करने के लिए मैंने दीदी को अपने पास बुलाया।
वो लड़का दीदी को देखता ही रह गया।
मैंने दीदी से बात की तो वो भी दूसरी ट्रेन में चलने के लिए राजी हो गई।
फिर मैंने उस लड़के से बात की तो पता चला कि उसका नाम समीर था।
वो 30 साल के करीब था और हाइट 6 फीट की थी। वो काफी हट्टा कट्टा नौजवान था। वो दीदी को बार बार देख रहा था।
मैं समझ गया था कि ये मेरी बहन की चुदाई करने की फिराक में है।
वो खुद ही हमारे लिए नाश्ता लेकर आ गया।
दीदी भी उसके साथ बात करने लगी। अब वो दोनों काफी बातें करने लगे थे।
कुछ देर के बाद हमारी ट्रेन आ गयी।
हम लोग ट्रेन में जाकर बैठ गए।
समीर मेरी दीदी की बगल में जा बैठा। हम तीनों आपस में बातें करने लगे।
मगर वो दोनों आपस में ज्यादा बात कर रहे थे।
ऐसे ही होते होते रात के 12 बज गए। सब लोग सोने लगे।
बोगी की लाइटें बंद हो गईं।
संयोग से हमारे वाली बोगी में बहुत कम लोग थे। जो थे वो भी बुजुर्ग आदि थे जो काफी समय पहले सो चुके थे।
समीर ने अपना लैपटॉप निकाल लिया और कुछ काम करने लगा।
कुछ देर बाद वो फिल्म देखने लगा।
मेरी दीदी की बेटी मेरे पास सो चुकी थी तो दीदी भी उसके साथ फिल्म देखने लगी।
वो दोनों फिल्म देखने में व्यस्त हो गए।
मेरे मन में पूरा शक था कि ये लोग रात में चुदाई करेंगे इसलिए मैं सोने का नाटक करने लगा।
मगर मैं अंधेरे का फायदा उठाकर उनकी हरकतों को देखता रहा।
वो बार बार बातों ही बातों में मेरी दीदी को छूने की कोशिश कर रहा था।
दीदी भी हंस हंसकर उसकी बातों का जवाब दे रही थी और जरा भी बुरा नहीं मान रही थी उसकी हरकतों के लिए।
उसने अपना हाथ दीदी की जांघ पर रख दिया।
दीदी ने कुछ नहीं कहा।
फिर समीर ने अपना हाथ उठाया और दीदी के कंधे पर ले जाकर दूसरी तरफ से उसकी चूची पर रख दिया।
अब भी दीदी ने कुछ नहीं कहा।
धीरे धीरे उसका हाथ मेरी बहन की चूची को साड़ी के ऊपर से ही दबाने लगा।
दीदी आराम से बैठी हुई थी।
दीदी जान बूझकर कभी साड़ी ठीक करती तो कभी दूसरे लोगों को देखकर मुस्करा देती थी।
मैं भी जानकर अनजान बना हुआ था।
थोड़ी देर बाद पता चला कि जो हमारी ट्रेन थी वह 4 घंटे देरी से आएगी।
मुझे टेंशन होने लगी।
तभी एक लड़का आया और बगल वाली जगह पर बैठ गया।
उसने मुझे पूछा- कहां जा रहे हो?
मैंने कहा- इंदौर जा रहे हैं हम, मगर हमारी ट्रेन 4 घंटे की देरी से आएगी।
उसने कहा- मैं भी इंदौर जा रहा हूं। मगर मेरी ट्रेन थोड़ी देर में पहुंच जाएगी। अगर तुम्हें जल्दी जाना है तो मेरे पास सीट खाली हैं। मेरे दोस्तों की टिकट बुक थी लेकिन वो लोग आ नहीं सके।
मैंने सोचा 4 घंटे रुकने से जल्दी जाना बेहतर है।
बात करने के लिए मैंने दीदी को अपने पास बुलाया।
वो लड़का दीदी को देखता ही रह गया।
मैंने दीदी से बात की तो वो भी दूसरी ट्रेन में चलने के लिए राजी हो गई।
फिर मैंने उस लड़के से बात की तो पता चला कि उसका नाम समीर था।
वो 30 साल के करीब था और हाइट 6 फीट की थी। वो काफी हट्टा कट्टा नौजवान था। वो दीदी को बार बार देख रहा था।
मैं समझ गया था कि ये मेरी बहन की चुदाई करने की फिराक में है।
वो खुद ही हमारे लिए नाश्ता लेकर आ गया।
दीदी भी उसके साथ बात करने लगी। अब वो दोनों काफी बातें करने लगे थे।
कुछ देर के बाद हमारी ट्रेन आ गयी।
हम लोग ट्रेन में जाकर बैठ गए।
समीर मेरी दीदी की बगल में जा बैठा। हम तीनों आपस में बातें करने लगे।
मगर वो दोनों आपस में ज्यादा बात कर रहे थे।
ऐसे ही होते होते रात के 12 बज गए। सब लोग सोने लगे।
बोगी की लाइटें बंद हो गईं।
संयोग से हमारे वाली बोगी में बहुत कम लोग थे। जो थे वो भी बुजुर्ग आदि थे जो काफी समय पहले सो चुके थे।
समीर ने अपना लैपटॉप निकाल लिया और कुछ काम करने लगा।
कुछ देर बाद वो फिल्म देखने लगा।
मेरी दीदी की बेटी मेरे पास सो चुकी थी तो दीदी भी उसके साथ फिल्म देखने लगी।
वो दोनों फिल्म देखने में व्यस्त हो गए।
मेरे मन में पूरा शक था कि ये लोग रात में चुदाई करेंगे इसलिए मैं सोने का नाटक करने लगा।
मगर मैं अंधेरे का फायदा उठाकर उनकी हरकतों को देखता रहा।
वो बार बार बातों ही बातों में मेरी दीदी को छूने की कोशिश कर रहा था।
दीदी भी हंस हंसकर उसकी बातों का जवाब दे रही थी और जरा भी बुरा नहीं मान रही थी उसकी हरकतों के लिए।
उसने अपना हाथ दीदी की जांघ पर रख दिया।
दीदी ने कुछ नहीं कहा।
फिर समीर ने अपना हाथ उठाया और दीदी के कंधे पर ले जाकर दूसरी तरफ से उसकी चूची पर रख दिया।
अब भी दीदी ने कुछ नहीं कहा।
धीरे धीरे उसका हाथ मेरी बहन की चूची को साड़ी के ऊपर से ही दबाने लगा।
दीदी आराम से बैठी हुई थी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
![thanks thanks](https://xossipy.com/images/smilies/thanks.gif)