21-03-2022, 06:03 PM
री एक बड़ी बहन है जो शादीशुदा है और उसकी एक 2 साल की बेटी भी है।
ट्रेन से मैं दीदी के घर पहुंचा तो दीदी बहुत खुश हुई मुझे देखकर!
शाम को जीजाजी आए और हमने साथ में खाना खाया। थोड़ा वक्त टीवी देखा और काफी बातें कीं।
मेरे जीजाजी सरकारी नौकरी में थे इसलिए उनका बाकी परिवार गांव में रहता था।
दीदी अपनी बेटी और पति के साथ ही रहती थी।
जीजाजी नौकरी में बहुत ज्यादा व्यस्त रहते थे और दीदी को ज्यादा वक्त नहीं दे पाते थे।
इसलिए दीदी थोड़ी मायूस दिखाई देती थी और छोटी छोटी बातों पर दोनों में तनाव हो जाता था।
दूसरे दिन मैं ट्रेन की रिजर्वेशन करवाकर लाया था।
सफर बहुत लम्बा था।
हमारी ट्रेन रात में थी और शाम तक हम स्टेशन पहुंच गए। ट्रेन को चलने में अभी वक्त था। मैंने देखा कि सब लोग हमें घूर रहे थे।
मैं सोच में पड़ गया कि हमें सब लोग ऐसे क्यों देख रहे हैं।
फिर मैंने देखा तो पाया कि लोग दीदी को घूर रहे थे।
उसने काले रंग की साड़ी पहनी हुई थी। उसने बिना बाजू का ब्लाउज पहना था। उसके गोरे हाथ उसमें चमक रहे थे।
दीदी का साइज भी 34-30-36 का था तो उनकी गांड और चूचियां अलग से बाहर निकली हुई दिख रही थीं।
दीदी ने साड़ी ऐसे पहनी थी कि दीदी की कमर और उसकी पीठ दिख रही थी। जो भी बगल से जा रहा था वो दीदी को बिना देखे जाता ही नहीं था।
शायद दीदी भी यही चाहती थी कि लोग उसे देखें क्योंकि वो जीजाजी से संतुष्ट नहीं थी।
ट्रेन से मैं दीदी के घर पहुंचा तो दीदी बहुत खुश हुई मुझे देखकर!
शाम को जीजाजी आए और हमने साथ में खाना खाया। थोड़ा वक्त टीवी देखा और काफी बातें कीं।
मेरे जीजाजी सरकारी नौकरी में थे इसलिए उनका बाकी परिवार गांव में रहता था।
दीदी अपनी बेटी और पति के साथ ही रहती थी।
जीजाजी नौकरी में बहुत ज्यादा व्यस्त रहते थे और दीदी को ज्यादा वक्त नहीं दे पाते थे।
इसलिए दीदी थोड़ी मायूस दिखाई देती थी और छोटी छोटी बातों पर दोनों में तनाव हो जाता था।
दूसरे दिन मैं ट्रेन की रिजर्वेशन करवाकर लाया था।
सफर बहुत लम्बा था।
हमारी ट्रेन रात में थी और शाम तक हम स्टेशन पहुंच गए। ट्रेन को चलने में अभी वक्त था। मैंने देखा कि सब लोग हमें घूर रहे थे।
मैं सोच में पड़ गया कि हमें सब लोग ऐसे क्यों देख रहे हैं।
फिर मैंने देखा तो पाया कि लोग दीदी को घूर रहे थे।
उसने काले रंग की साड़ी पहनी हुई थी। उसने बिना बाजू का ब्लाउज पहना था। उसके गोरे हाथ उसमें चमक रहे थे।
दीदी का साइज भी 34-30-36 का था तो उनकी गांड और चूचियां अलग से बाहर निकली हुई दिख रही थीं।
दीदी ने साड़ी ऐसे पहनी थी कि दीदी की कमर और उसकी पीठ दिख रही थी। जो भी बगल से जा रहा था वो दीदी को बिना देखे जाता ही नहीं था।
शायद दीदी भी यही चाहती थी कि लोग उसे देखें क्योंकि वो जीजाजी से संतुष्ट नहीं थी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.