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Incest भैया से ट्रेन में चुदाई
#45
इसलिए मैंने एक चौथाई हिस्सा ही लंड का बुर में डाले रखा और उसको अंदर-बाहर करने लगा.
पैंटी के किनारे ने मेरे लंड को कस लिया था. इसलिए उसको चोदने में मुझे दोगुना मजा आ रहा था. शलाका भी चुदाई की रफ्तार बांधने में मेरा साथ देने लगी.
पैंटी भी बुर पर लंड को चिपकाए रखने में मदद कर रही थी. पैंटी के घर्षण के कारण जल्दी मेरा लंड भी पानी छोड़ने के लिए तैयार हो गया.
मैंने शलाका की कमर को कस कर अपनी तरफ खींचते हुए अपने से चिपकाने की कोशिश की और मेरे लंड ने पानी छोड़ दिया.
आह्ह … मेरे लंड के पानी से शलाका की पैंटी पूरी भीग गयी.
सर्दी के कारण शायद उसको ठंड लगने लगी. फिर उसने अपनी पैंटी धीरे से उतार कर उसी से अपनी बुर को पोंछ लिया और अपनी पैंटी को अपने हैंड बैग में रख लिया.
फिर मैं और शलाका एक-दूसरे के साथ चिपक कर सोने लगे लेकिन हम दोनों की आंखों में नींद कहां थी!
मैंने शलाका के कान में कहा- कुतिया बन कर कब चुदोगी मुझसे?
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: भैया से ट्रेन में चुदाई - by neerathemall - 21-03-2022, 05:55 PM



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