21-03-2022, 05:51 PM
मैंने टिकट कन्फर्मेशन के लिए तत्काल श्रेणी ऑफिस जाकर पता किया मगर हमारा टिकट कन्फर्म नहीं हो पाया.
फिर सोचा कि किसी भी तरह कम से कम एक सीट तो लेनी ही पड़ेगी क्योंकि बिहार से दिल्ली का सफर बहुत लम्बा था.
ऑफिस में अधिकारी ने बताया कि आपको शायद ट्रेन के अंदर टी.टी.ई. से भी टिकट पर एक सीट तो मिल ही जायेगी.
ट्रेन टाइम पर आ पहुंची. मैं और शलाका ट्रेन में चढ़ गये. टी.टी.ई. से बहुत मिन्नतें करने के बाद वह कुछ रूपये में एक बर्थ देने के लिए तैयार हुआ.
वह एक सिंगल सीट पर बैठा था. उसने हमसे बैठने के लिए कहा और बोला कि मैं आप लोगों के लिए एक और सीट देख कर आता हूँ.
मैं और शलाका गेट के पास की सीट पर बैठे हुए थे.
रात के करीब दस बज गये थे और चलती हुई ट्रेन से ठंडी हवा अंदर आ रही थी.
हमने शॉल से अपने को ढक लिया.
तभी टी.टी.ई. ने आकर हम लोगों का टिकट दूसरी बोगी में ऊपर वाली बर्थ पर कन्फर्म कर दिया. मैंने उसको रूपये दे दिये.
फिर सोचा कि किसी भी तरह कम से कम एक सीट तो लेनी ही पड़ेगी क्योंकि बिहार से दिल्ली का सफर बहुत लम्बा था.
ऑफिस में अधिकारी ने बताया कि आपको शायद ट्रेन के अंदर टी.टी.ई. से भी टिकट पर एक सीट तो मिल ही जायेगी.
ट्रेन टाइम पर आ पहुंची. मैं और शलाका ट्रेन में चढ़ गये. टी.टी.ई. से बहुत मिन्नतें करने के बाद वह कुछ रूपये में एक बर्थ देने के लिए तैयार हुआ.
वह एक सिंगल सीट पर बैठा था. उसने हमसे बैठने के लिए कहा और बोला कि मैं आप लोगों के लिए एक और सीट देख कर आता हूँ.
मैं और शलाका गेट के पास की सीट पर बैठे हुए थे.
रात के करीब दस बज गये थे और चलती हुई ट्रेन से ठंडी हवा अंदर आ रही थी.
हमने शॉल से अपने को ढक लिया.
तभी टी.टी.ई. ने आकर हम लोगों का टिकट दूसरी बोगी में ऊपर वाली बर्थ पर कन्फर्म कर दिया. मैंने उसको रूपये दे दिये.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.