21-03-2022, 05:50 PM
यह बात उस समय की है जब मैं अपनी मौसी के घर से अपनी बहन के साथ ट्रेन में बिहार से अपने दिल्ली वाले घर पर लौट कर आ रहा था.
कहानी को आगे बढ़ाने से पहले मैं अपनी बहन के बारे में भी कुछ संक्षिप्त परिचय देना चाहूँगा.
उसका नाम शलाका (बदला हुआ) है और वह 18.5 साल की है. शलाका अभी कॉलेज में है और बारहवीं कक्षा में पढ़ाई कर रही है.
बिहार के गया जिले के एक गांव में मेरी मौसी का घर है. मौसी की लड़की सुजीना की मंगनी थी और उसी के फंक्शन में हम वहाँ पर गये हुए थे.
मौसी ने शलाका को लाल रंग का लहंगा-चोली मंगनी वाले दिन तोहफे में दिया था.
शलाका उसी को पहने हुए वह मेरे साथ दिल्ली वापस लौट रही थी.
गांव से जब हम स्टेशन के लिए निकले तो हम लोग चौराहे पर खड़े होकर ट्रैकर जीप का इंतजार कर रहे थे.
तभी मैंने देखा कि एक कुतिया दौड़ती हुई आ रही थी. वह आकर हमसे करीब 20 फीट की दूरी पर रुक गई.
उसके पीछे ही एक कुत्ता भी दौड़ता हुआ आ पहुंचा.
कुत्ते ने आते ही कुतिया की बुर को सूंघना शुरू कर दिया. फिर अचानक से उसने अपने दोनों पैर कुतिया की कमर पर लगा कर उसकी बुर को चोदना शुरू कर दिया.
वह तेजी के साथ कुतिया की चूत को चोदने लगा.
हम दोनों भाई-बहन खड़े होकर तिरछी नजरों से वह नजारा देख रहे थे मगर ये जाहिर नहीं होने दे रहे थे कि दोनों की ही नजरें सामने चल रहे कुत्ते और कुतिया की चुदाई के सीन पर हैं.
8-10 धक्के तेजी के साथ लगाकर कुत्ता पलट गया और उसका लंड कुतिया की चूत में ही फंस गया. कुत्ता अपनी तरफ जोर लगाने लगा और कुतिया उस कुत्ते को अपनी तरफ खींचने लगी.
तभी कुछ लड़के वहां पर दौड़ते हुए आये और उन्होंने दोनों के जोड़ को छुड़ाने के लिए उन पर कंकड़-पत्थर फेंकने शुरू कर दिये.
लेकिन वो दोनों फिर भी अलग नहीं हो रहे थे.
मैंने नीचे ही नीचे शलाका की तरफ देखा तो उसके चेहरे पर शर्म के भाव थे.
मगर शायद उसको भी यह सब देखना अच्छा लग रहा था. वो नीचे नजरें करके उन दोनों को गौर से देख रही थी.
वह सीन देखने के बाद मेरे अंदर की हवस भी जाग गई. मुझे उस कुतिया के बारे में सोचते हुए ही अपनी बहन का ख्याल आने लगा. वह मुझे सेक्सी लगने लगी.
अपनी बहन के बारे में सोच कर ही मेरा लंड मेरी पैंट में खड़ा होना शुरू हो गया.
मगर इतने में ही एक ट्रैकर जीप आ गई. हम दोनों जीप में बैठ गये.
जीप के अंदर एक सीट पर पांच लोग बैठ गये और शलाका मुझसे चिपक कर बैठी थी.
मेरा ध्यान बार-बार अपनी बहन की चूत की तरफ ही जाने लगा था. जब वो मेरे बदन के साथ चिपक कर लगी हुई थी तो मेरे अंदर की हवस और ज्यादा जागने लगी थी.
फिर हम रेलवे स्टेशन पहुंच गये.
कहानी को आगे बढ़ाने से पहले मैं अपनी बहन के बारे में भी कुछ संक्षिप्त परिचय देना चाहूँगा.
उसका नाम शलाका (बदला हुआ) है और वह 18.5 साल की है. शलाका अभी कॉलेज में है और बारहवीं कक्षा में पढ़ाई कर रही है.
बिहार के गया जिले के एक गांव में मेरी मौसी का घर है. मौसी की लड़की सुजीना की मंगनी थी और उसी के फंक्शन में हम वहाँ पर गये हुए थे.
मौसी ने शलाका को लाल रंग का लहंगा-चोली मंगनी वाले दिन तोहफे में दिया था.
शलाका उसी को पहने हुए वह मेरे साथ दिल्ली वापस लौट रही थी.
गांव से जब हम स्टेशन के लिए निकले तो हम लोग चौराहे पर खड़े होकर ट्रैकर जीप का इंतजार कर रहे थे.
तभी मैंने देखा कि एक कुतिया दौड़ती हुई आ रही थी. वह आकर हमसे करीब 20 फीट की दूरी पर रुक गई.
उसके पीछे ही एक कुत्ता भी दौड़ता हुआ आ पहुंचा.
कुत्ते ने आते ही कुतिया की बुर को सूंघना शुरू कर दिया. फिर अचानक से उसने अपने दोनों पैर कुतिया की कमर पर लगा कर उसकी बुर को चोदना शुरू कर दिया.
वह तेजी के साथ कुतिया की चूत को चोदने लगा.
हम दोनों भाई-बहन खड़े होकर तिरछी नजरों से वह नजारा देख रहे थे मगर ये जाहिर नहीं होने दे रहे थे कि दोनों की ही नजरें सामने चल रहे कुत्ते और कुतिया की चुदाई के सीन पर हैं.
8-10 धक्के तेजी के साथ लगाकर कुत्ता पलट गया और उसका लंड कुतिया की चूत में ही फंस गया. कुत्ता अपनी तरफ जोर लगाने लगा और कुतिया उस कुत्ते को अपनी तरफ खींचने लगी.
तभी कुछ लड़के वहां पर दौड़ते हुए आये और उन्होंने दोनों के जोड़ को छुड़ाने के लिए उन पर कंकड़-पत्थर फेंकने शुरू कर दिये.
लेकिन वो दोनों फिर भी अलग नहीं हो रहे थे.
मैंने नीचे ही नीचे शलाका की तरफ देखा तो उसके चेहरे पर शर्म के भाव थे.
मगर शायद उसको भी यह सब देखना अच्छा लग रहा था. वो नीचे नजरें करके उन दोनों को गौर से देख रही थी.
वह सीन देखने के बाद मेरे अंदर की हवस भी जाग गई. मुझे उस कुतिया के बारे में सोचते हुए ही अपनी बहन का ख्याल आने लगा. वह मुझे सेक्सी लगने लगी.
अपनी बहन के बारे में सोच कर ही मेरा लंड मेरी पैंट में खड़ा होना शुरू हो गया.
मगर इतने में ही एक ट्रैकर जीप आ गई. हम दोनों जीप में बैठ गये.
जीप के अंदर एक सीट पर पांच लोग बैठ गये और शलाका मुझसे चिपक कर बैठी थी.
मेरा ध्यान बार-बार अपनी बहन की चूत की तरफ ही जाने लगा था. जब वो मेरे बदन के साथ चिपक कर लगी हुई थी तो मेरे अंदर की हवस और ज्यादा जागने लगी थी.
फिर हम रेलवे स्टेशन पहुंच गये.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.