21-03-2022, 05:44 PM
मैं इतना तो नहीं जानता था कि उसके मन में क्या बात चल रही थी … लेकिन इतना बता सकता हूं कि वंदना की मनोदशा देख कर मुझे लगने लगा था कि उन दोनों के बीच में आज तक कभी सेक्स नहीं हुआ होगा.
हमारे साथ एक और बैंक कर्मी भी था, वह भी शायद वंदना को पसंद करता था. लेकिन वो मेरे सामने कुछ नहीं लगता था.
शायद वंदना भी मुझे पसंद करती थी.
यह बात उस दूसरे आदमी को पता थी, तो वह हम दोनों के बीच में आने की कोशिश करता था.
पर मुझे जब भी समय मिलता, मैं वंदना से बातें करता उसे हंसाता और उसका मन बहलाने लगता.
यह सब वंदना को भी पसंद आने लगा था.
फिर एक दिन ऐसा हुआ कि मुझे पूरी तरह से पक्का हो गया कि वह भी मुझे प्यार करती है.
उस दिन हम दोनों ट्रेन से लौट रहे थे. हम शाम के 5:00 बजे ट्रेन में बैठे और हम दोनों ने सेकंड एसी में टिकट बुक की थी.
आपको मालूम ही होगा कि इसमें आमने-सामने दो-दो सीटें होती हैं.
जिस बर्थ पर वंदना की सीट थी, उसके ऊपर वाली सीट खाली थी. लेकिन उसके सामने एक बुजुर्ग दंपत्ति थे और मेरी सीट कहीं और थी.
लेकिन मैं बार-बार फोन करके और व्हाट्सएप पर मैसेज करके उससे पूछता कि आपको खाने के लिए कुछ चाहिए तो नहीं … या पीने के लिए.
तो वह हर बार मुझे मना कर देती.
मगर जब मैं बार-बार पूछने लगा, तो उसने एक बार कह ही दिया कि मुझे खाने को तो कुछ नहीं चाहिए लेकिन तुम्हें यहां आना है, तो तुम आ सकते हो.
मुझे बस इसी बात का इंतजार था.
मैं झट से वंदना की बर्थ पर जा पहुंचा.
मैं उधर उसे देख कर एकदम हक्का बक्का रह गया. क्योंकि जब सामने उन बुजुर्ग दंपत्ति को मैंने खुद को घूरते हुए देखा, तो पहली बार तो मैं डर सा गया था कि कहीं यह कुछ गलत तो नहीं समझेंगे.
हमारे साथ एक और बैंक कर्मी भी था, वह भी शायद वंदना को पसंद करता था. लेकिन वो मेरे सामने कुछ नहीं लगता था.
शायद वंदना भी मुझे पसंद करती थी.
यह बात उस दूसरे आदमी को पता थी, तो वह हम दोनों के बीच में आने की कोशिश करता था.
पर मुझे जब भी समय मिलता, मैं वंदना से बातें करता उसे हंसाता और उसका मन बहलाने लगता.
यह सब वंदना को भी पसंद आने लगा था.
फिर एक दिन ऐसा हुआ कि मुझे पूरी तरह से पक्का हो गया कि वह भी मुझे प्यार करती है.
उस दिन हम दोनों ट्रेन से लौट रहे थे. हम शाम के 5:00 बजे ट्रेन में बैठे और हम दोनों ने सेकंड एसी में टिकट बुक की थी.
आपको मालूम ही होगा कि इसमें आमने-सामने दो-दो सीटें होती हैं.
जिस बर्थ पर वंदना की सीट थी, उसके ऊपर वाली सीट खाली थी. लेकिन उसके सामने एक बुजुर्ग दंपत्ति थे और मेरी सीट कहीं और थी.
लेकिन मैं बार-बार फोन करके और व्हाट्सएप पर मैसेज करके उससे पूछता कि आपको खाने के लिए कुछ चाहिए तो नहीं … या पीने के लिए.
तो वह हर बार मुझे मना कर देती.
मगर जब मैं बार-बार पूछने लगा, तो उसने एक बार कह ही दिया कि मुझे खाने को तो कुछ नहीं चाहिए लेकिन तुम्हें यहां आना है, तो तुम आ सकते हो.
मुझे बस इसी बात का इंतजार था.
मैं झट से वंदना की बर्थ पर जा पहुंचा.
मैं उधर उसे देख कर एकदम हक्का बक्का रह गया. क्योंकि जब सामने उन बुजुर्ग दंपत्ति को मैंने खुद को घूरते हुए देखा, तो पहली बार तो मैं डर सा गया था कि कहीं यह कुछ गलत तो नहीं समझेंगे.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.