21-03-2022, 05:38 PM
मेरी बीवी की एक सहेली थी, जिसका नाम अनुराधा था. अनुराधा मुझे जीजा जी कहती थी. उसकी अभी शादी नहीं हुई थी.
उसका बदन गोरा, चेहरा गोल, छाती पर फूले और कसे हुए दो हाहाकारी मम्मे थे. उसके मम्मों का साइज़ बत्तीस इंच का था. अनुराधा की गोरी कमर का साइज़ अट्ठाईस इंच और उभरे हुए मुलायम चूतड़ों का साइज़ चौंतीस इंच था.
जब भी मैं उसको देखता था, तो मेरा लंड तनकर खड़ा हो जाता था.
शादी के बाद जब भी मैं बीवी के पीहर जाता था, तो वो मुझसे मिलने आ जाया करती थी.
फिर कुछ ऐसा हुआ कि मेरी जॉब मेरी ससुराल के गांव में ही लग गई; मैं उधर ही रहने लगा. अब अनुराधा अक्सर मुझसे मिलने आ जाया करती थी.
उसकी नशीली नजरें मुझे सदा ही उत्तेजित करती रहती थीं. मैं उसे किसी तरह चोदने के बहाने ढूँढता रहता था लेकिन मैं अभी तक उसे चोद नहीं पाया था.
एक बार गांव में सालाना मेला लगा था. मेरी बीवी मुझसे मेले में ले चलने के लिए ज़िद करने लगी.
उसका बदन गोरा, चेहरा गोल, छाती पर फूले और कसे हुए दो हाहाकारी मम्मे थे. उसके मम्मों का साइज़ बत्तीस इंच का था. अनुराधा की गोरी कमर का साइज़ अट्ठाईस इंच और उभरे हुए मुलायम चूतड़ों का साइज़ चौंतीस इंच था.
जब भी मैं उसको देखता था, तो मेरा लंड तनकर खड़ा हो जाता था.
शादी के बाद जब भी मैं बीवी के पीहर जाता था, तो वो मुझसे मिलने आ जाया करती थी.
फिर कुछ ऐसा हुआ कि मेरी जॉब मेरी ससुराल के गांव में ही लग गई; मैं उधर ही रहने लगा. अब अनुराधा अक्सर मुझसे मिलने आ जाया करती थी.
उसकी नशीली नजरें मुझे सदा ही उत्तेजित करती रहती थीं. मैं उसे किसी तरह चोदने के बहाने ढूँढता रहता था लेकिन मैं अभी तक उसे चोद नहीं पाया था.
एक बार गांव में सालाना मेला लगा था. मेरी बीवी मुझसे मेले में ले चलने के लिए ज़िद करने लगी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.


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