21-03-2022, 05:36 PM
सुनीता फिर से गर्मा गई और चिल्लाने लगी- आह मुझे चोद डालो सरस आह्ह ह्ह हम्मम. आज इस चूत को फ़ाड़ दो पूरा आह्ह आआह्ह साली फिर कभी किसी लौड़े की ये परवाह ना करे … आह्हह ऊह मेरी मुनिया को अपने लौड़े के लिए बना लो सरस … आह मुझे चोदो अह … आह्ह हहाह आम्म्म जोर से चोदो आह्ह अःह्ह अहहम्म महाह हआहह.
मैं उसकी इतनी लम्बी बड़बड़ाहट सुनकर खुद चकित था और ताबड़तोड़ लंड अन्दर बाहर अन्दर बाहर करे जा रहा था.
थोड़ी देर बाद सुनीता फिर से निढाल हो गई.
ये दूसरी बार था जब उसकी चूत का गर्म रस मेरे लंड को भिगोते हुए उसकी जांघों से होता हुआ बहने लगा था.
मैं अभी भी उसे चोदे जा रहा था.
अब सुनीता शायद थक चुकी थी लेकिन मेरा लंड अभी तक सर उठाए खड़ा हुआ था और अपनी विजय पताका फहराने के लिए लालायित था.
अब मैंने सुनीता को सीधा किया और उसे हाथों के पीछे करके वाशबेसिन को पकड़ने के लिए कहा जिससे मैं उसकी सामने से चुदाई कर सकूं.
सुनीता घूम गई और उसने अपनी पोजीशन ले ली. मैंने अपना विकराल लंड उसकी फूली हुई गीली चूत में घुसा दिया.
चूत गीली होने की वजह से अब सुनीता को कोई परेशानी नहीं हो रही थी.
मैंने अपने धक्के लगाना शुरू किए, जिसमें ट्रेन के हिचकोले भी मेरी मदद कर रहे थे.
थोड़ी देर चुदाई करने के बाद अबकी बार मैं और सुनीता दोनों ही अपने मुकाम पर पहुंचने वाले थे.
उसके मुँह से फिर से आह्ह अःह्ह आहह ओहह आःह्हा हम्ममा ममहा की आवाज माहौल को कामुक और उत्तेजित करने लगी.
अब तक सुनीता दो बार अपने रस से मेरे लंड को भिगो चुकी थी.
मैंने सुनीता से पूछा- तुम मेरे लंड के रस को कहां लेना चाहती हो?
सुनीता ने कहा- लंड का रस बहुत कीमती होता है, इसे मेरी चूत में डाल दो.
मैंने अपने लंड के रस से सुनीता की चूत को भर दिया.
सुनीता की चूत से अब हम दोनों का मिश्रित गर्म लावा बहने लगा था.
टॉयलेट सेक्स के बाद हम दोनों एक दूसरे को जकड़ कर थोड़ी देर खड़े रहे, अपनी सांसों को संभालने के बाद हमने एक दूसरे को अलग किया और हांफने लगे.
फिर मुस्कुराते हुए जम दोनों ने अपनी अपनी सफाई की और वापस आकर अपनी-अपनी सीटों पर लेट गए.
हम एक दूसरे को देखे जा रहे थे.
थोड़ी देर बाद थकान की वजह से सुनीता को नींद आ गई.
सुबह 3:00 बजे मेरा स्टेशन आ गया और मैं सुनीता के पास विदा का एक पत्र रख आया जिसमें मैंने उसे उसके प्यार के लिए शुक्रिया लिखा था.
मैं स्टेशन पर उतर गया.
जब सुनीता जागी तो उसने मुझे फोन किया और रोने लगी.
सुनीता कह रही थी कि वह मेरे बिना नहीं रह पाएगी.
उसने कहा कि इतना मजा उसे पहले कभी नहीं आया.
वह चाहती थी कि हम दोनों फिर मिलें और पूरे इत्मीनान से जिस्म के मजे लूटें.
मैंने उससे कहा कि अगर वक्त ने चाहा और किस्मत ने साथ दिया तो हम दोनों फिर जरूर मिलेंगे और एक दूसरे को सुकून देंगे.
वह रो रही थी.
मैंने उसे फोन पर ही किस किया, समझाया तथा वादा किया कि मैं उसे फिर मिलने आऊंगा.
मैं उसकी इतनी लम्बी बड़बड़ाहट सुनकर खुद चकित था और ताबड़तोड़ लंड अन्दर बाहर अन्दर बाहर करे जा रहा था.
थोड़ी देर बाद सुनीता फिर से निढाल हो गई.
ये दूसरी बार था जब उसकी चूत का गर्म रस मेरे लंड को भिगोते हुए उसकी जांघों से होता हुआ बहने लगा था.
मैं अभी भी उसे चोदे जा रहा था.
अब सुनीता शायद थक चुकी थी लेकिन मेरा लंड अभी तक सर उठाए खड़ा हुआ था और अपनी विजय पताका फहराने के लिए लालायित था.
अब मैंने सुनीता को सीधा किया और उसे हाथों के पीछे करके वाशबेसिन को पकड़ने के लिए कहा जिससे मैं उसकी सामने से चुदाई कर सकूं.
सुनीता घूम गई और उसने अपनी पोजीशन ले ली. मैंने अपना विकराल लंड उसकी फूली हुई गीली चूत में घुसा दिया.
चूत गीली होने की वजह से अब सुनीता को कोई परेशानी नहीं हो रही थी.
मैंने अपने धक्के लगाना शुरू किए, जिसमें ट्रेन के हिचकोले भी मेरी मदद कर रहे थे.
थोड़ी देर चुदाई करने के बाद अबकी बार मैं और सुनीता दोनों ही अपने मुकाम पर पहुंचने वाले थे.
उसके मुँह से फिर से आह्ह अःह्ह आहह ओहह आःह्हा हम्ममा ममहा की आवाज माहौल को कामुक और उत्तेजित करने लगी.
अब तक सुनीता दो बार अपने रस से मेरे लंड को भिगो चुकी थी.
मैंने सुनीता से पूछा- तुम मेरे लंड के रस को कहां लेना चाहती हो?
सुनीता ने कहा- लंड का रस बहुत कीमती होता है, इसे मेरी चूत में डाल दो.
मैंने अपने लंड के रस से सुनीता की चूत को भर दिया.
सुनीता की चूत से अब हम दोनों का मिश्रित गर्म लावा बहने लगा था.
टॉयलेट सेक्स के बाद हम दोनों एक दूसरे को जकड़ कर थोड़ी देर खड़े रहे, अपनी सांसों को संभालने के बाद हमने एक दूसरे को अलग किया और हांफने लगे.
फिर मुस्कुराते हुए जम दोनों ने अपनी अपनी सफाई की और वापस आकर अपनी-अपनी सीटों पर लेट गए.
हम एक दूसरे को देखे जा रहे थे.
थोड़ी देर बाद थकान की वजह से सुनीता को नींद आ गई.
सुबह 3:00 बजे मेरा स्टेशन आ गया और मैं सुनीता के पास विदा का एक पत्र रख आया जिसमें मैंने उसे उसके प्यार के लिए शुक्रिया लिखा था.
मैं स्टेशन पर उतर गया.
जब सुनीता जागी तो उसने मुझे फोन किया और रोने लगी.
सुनीता कह रही थी कि वह मेरे बिना नहीं रह पाएगी.
उसने कहा कि इतना मजा उसे पहले कभी नहीं आया.
वह चाहती थी कि हम दोनों फिर मिलें और पूरे इत्मीनान से जिस्म के मजे लूटें.
मैंने उससे कहा कि अगर वक्त ने चाहा और किस्मत ने साथ दिया तो हम दोनों फिर जरूर मिलेंगे और एक दूसरे को सुकून देंगे.
वह रो रही थी.
मैंने उसे फोन पर ही किस किया, समझाया तथा वादा किया कि मैं उसे फिर मिलने आऊंगा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.