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Incest भैया से ट्रेन में चुदाई
#22
अगले स्टेशन से कुछ लोग चढ़े, जिनमें से एक छोटा बच्चा मेरे सामने ऊपर वाली सीट पर आकर बैठ गया.
मैं उस लड़की को देखे जा रहा था तथा अब वो लड़की भी मुझे कभी कभार देख लेती थी. वह लड़का हम दोनों को देखे जा रहा था.
उस लड़के को हम दोनों भी नोटिस कर रहे थे, जिसे देखकर मैं मुस्कुरा गया.
मेरे मुस्कुराने के साथ ही वह लड़की भी मुस्कुरा गई.
तब मैं समझ गया कि अब इस लड़की से बात करना आसान है.
मैंने इशारे से उसे अपनी सीट पर आने के लिए कहा लेकिन उसने मना कर दिया.
उसके बाद इशारों इशारों में ही उसे अपना नंबर देने के लिए कहा.
वह लड़की कभी इशारे से कभी धीरे धीरे बोलकर कर अपना नंबर बोलने लगी लेकिन ट्रेन की आवाज और लोगों के शोरगुल में कुछ समझ नहीं आ रहा था.
मैंने एक कागज पर लिखकर अपना नंबर उसकी तरफ फेंक दिया तथा उसे फोन करने के लिए कहा.
उसने तुरंत मुझे फोन किया और हम दोनों धीरे-धीरे बातें करने लगे जिससे किसी को सुनाई नहीं दे और कोई शक भी न कर सके.
बातों ही बातों में उसने मुझे अपना नाम सुनीता बताया और बताया कि वह कहां जा रही है.
हम दोनों की बातें काफी देर तक होती रहीं. इशारों में ही हम एक दूसरे से प्यार का इजहार कर रहे थे और दूसरे की तरफ मुस्कुरा भी रहे थे.
मैंने सुनीता को एक फ्लाइंग किस दिया तो बदले में सुनीता ने भी मुझे मुस्कुराते हुए फ्लाइंग किस दे दिया.
इशारे में ही मैंने सुनीता से सेक्स के लिए पूछा तो उसने मना कर दिया और कहा- मैं तुम्हें फिर कभी बुला लूंगी.
मैंने उसे कहा- ठीक है, लेकिन जब अंधेरा हो जाए और सब लोग सो जाएं तो बाथरूम में आ जाना. जिससे मैं तुम्हें जी भर कर किस कर सकूं और उन सुनहरे पलों को अपनी यादों में समेट कर अगली मुलाकात तक हिफाजत से रख सकूं.
पहले तो उसने मना कर दिया.
लेकिन काफी देर तक मेरे मनाने के बाद वह मान गई और हम रात होने का इंतजार करने लगे.
हम दोनों आंखों ही आंखों से एक दूसरे की जवानी का रसपान कर रहे थे.
हम दोनों कुछ मीटर की दूरी पर थे लेकिन हमारे जिस्म एक दूसरे में समा चुके थे.
मैंने इशारा करके उसे एक और किस देने के लिए कहा.
एक दूसरे को आंखों से भोगते भोगते कुछ ही देर बाद अंधेरा हो गया. सब लोग नींद की गिरफ्त में आ चुके थे.
लेकिन हम दोनों की आंखों से नींद कोसों दूर थी. हम दोनों प्यासी निगाहों से एक दूसरे की तरफ देख रहे थे.
रात के लगभग 11:00 बजे जब पूरा कंपार्टमेंट नींद के आगोश में था तो मैं बाथरूम में गया और सुनीता को बाथरूम में आने के लिए कह गया.
लगभग 5 मिनट बाद सुनीता भी बाथरूम में आ गई.
उसके आते ही मैंने उसको अपने आगोश में जकड़ लिया.
वह कसमसा दी.
मैं उसे किस करने लगा.
उसके होंठ मेरे होंठों की गिरफ्त में थे.
मैं उसके होंठों को और उसकी जीभ को जबरदस्त तरीके से चूस रहा था.
सुनीता अपने आपको छुड़ाने की कोशिश कर रही थी.
लेकिन मेरे हाथों की मजबूत पकड़ उसकी कमर के चारों तरफ से होते हुए उसके चूतड़ों तक थी जो उसकी कोशिश को नाकाम कर रही थी.
मैं उसके चूतड़ों को जोर जोर से दबा रहा था तथा उसके होंठों का रसपान कर रहा था.
बीच बीच में उसकी मुलायम कोमल जीभ को भी चूस लेता था जिसके आनन्द के वशीभूत होकर उसने अपना आत्मसमर्पण कर दिया और मुझे किस करने लगी.
हमने एक दूसरे को मजबूती से जकड़ रखा था. मैं कभी उसके चूतड़ों को दबाता, कभी उसके बड़े बड़े मम्मों को मसलता, जो ठीक से मेरी हथेलियों में आ भी नहीं रहे थे.
वह कसमसा रही थी और मुझे अपने अन्दर खींच रही थी. सुनीता मुझे जोर जोर से किस करने लगी.
थोड़ी देर बाद मैंने उसे अपने आप से अलग किया और उसका चेहरा अपनी हथेलियों के बीच लेकर उसकी आंखों में देखने लगा.
उसकी आंखें वासना के जाल में फंस गई थीं और मुझे अपनी चूत की चुसाई के लिए आमंत्रण दे रही थी.
मेरा लंड फनफना रहा था. ऐसा लग रहा था जैसे मेरे पैंट को फाड़ कर बाहर आ जाएगा.
मैंने अपना लंड बाहर निकाल कर सुनीता के मुँह में घुसा दिया.
थोड़ी नानुकर करने के बाद वह मेरा लंड चूसने लगी.
मैं सुनीता के मुँह को लंड से चोद रहा था.
मेरा लंड सुनीता के मुँह में उसके गले तक घुसा हुआ था, जिससे उसे सांस लेने में भी तकलीफ हो रही थी.
इस मुख चोदन में मुझे बहुत मजा आ रहा था.
2 मिनट तक सुनीता का मुखचोदन करने के बाद उसने मुझे जल्दी से चोद देने के लिए कहा जिससे कोई आकर हमारी रासलीला में विघ्न न डाल सके और हम अपनी तृप्ति को पा सकें.
मैंने उसे वाशबेसिन को पकड़कर झुकने के लिए कहा.
वो तुरंत कुतिया बन गई.
मैंने सुनीता की सलवार के साथ साथ उसकी चड्डी को जल्दी से निकाल दिया और पीछे से उसकी चूत को चूसने लगा.
मैं उसकी चूत को अपनी जीभ से अन्दर तक चाट रहा था तथा उसके दाने को काट लेता था, जिससे वह बहुत कामुक सीत्कार करने लगी थी.
वह वासना के वसीभूत होकर चिल्ला रही थी. उसकी ‘आह्ह आह्ह्हह्ह ओहाहह हम्म्म हम्म्म ..’ की कामुक सीत्कार मुझे भी उत्तेजित कर रही थी.
अब तक सुनीता इतनी उत्तेजित हो चुकी थी कि उसकी चूत पूरी तरह से चूतरस से गीली हो चुकी थी और वह बड़बड़ाने लगी थी.
‘आह सरस … मुझे चोद डालो … अब मुझे और मत सताओ सरस. मैं तुमसे तुम्हारा लंड भीख में मांग रही हूं … आह मुझे चोद दो, फाड़ दो मेरी कमीनी चूत को … जल्दी से चोद डालो मेरी चूत को … फाड़ डालो प्लीज मुझे चोद डालो.’
थोड़ी देर और उसकी चूत को चाटने के बाद जब उसकी चूत पूरी तरह से पानी से गीली हो गई.
तब मैंने अपना लंड उसकी चूत के मुँह पर लगाया और एक ही धक्के में पूरा लंड उसकी चूत में घुसा दिया.
सुनीता ने आगे होकर मेरे लंड के अचानक हुए हमले से बचना चाहती थी लेकिन मेरी पकड़ के मजबूत होने की वजह से वैसा नहीं कर सकी और मेरा पूरा लंड उसकी चूत की दीवारों को चीरता हुआ उसकी गहराई में समा गया.
सुनीता अचानक हुए इस हमले को सहन नहीं कर पाई और चिल्ला उठी.
उसे थोड़ा आराम देने के लिए मैं रुक गया और उससे पूछने लगा- क्या हुआ?
सुनीता ने थोड़ी दर्द भरी आवाज में कहा- सरस, तुम्हारा लंड बहुत बड़ा और मोटा है और बहुत दिनों से मेरी चूत छुट्टी मना रही है.
मैंने उसे शांत होने के लिए कहा.
थोड़ी देर बाद जब उसका दर्द कम हुआ तो वह अपनी गांड चलाने लगी और उसने मुझे चोदने के लिए स्वीकृति दे दी.
अब धीरे धीरे मैंने उसकी चूत को चोदना शुरू किया.
उसके मुँह से ‘आह्ह आह्ह ऊहह हम्म्म ओह आह्ह्मम म्महा म्म्म आह ..’ की कामुक आवाजें निकल रही थीं.
उसकी मदभरी ‘आह्ह अःह्ह अहहह ..’ की आवाज मुझे तेजी से चोदने के लिए मजबूर कर रही थी.
मैं उसकी चूत को तेजी से चोदे जा रहा था.
सुनीता मेरे लंड के ज्यादा धक्के नहीं झेल पाई और कुछ ही देर बाद झड़ गई.
मैं अब भी उसे चोदता जा रहा था, चोदता जा रहा था.
ट्रेन के हिलने से मेरे लंड के धक्कों में कभी कभी अप्रत्याशित तेजी भी आ रही थी.
अब सुनीता की चूत से आने वाली फच्च फच्छ की आवाज और भी तेज हो गई थी.
सुनीता की चूत के रस की चिकनाई ने मेरे उत्तेजना और टाइम को ज्यादा देर तक बढ़ाने में मदद की.
उसके मुँह से आह आहआह आःह्ह हम्म्म महाह आह की कामुक आवाजें फिर से तेज हो रही थीं.
मैंने अपने लंड के झटके और भी तेज कर दिए थे.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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RE: भैया से ट्रेन में चुदाई - by neerathemall - 21-03-2022, 05:36 PM



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