21-03-2022, 05:35 PM
(This post was last modified: 21-03-2022, 05:36 PM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
बात उस समय की है जब मैं बेरोजगार था और अपने प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा था.
मैं बैंक की प्रतियोगी परीक्षा देकर गुजरात से वापस अपने घर आ रहा था.
सूरत से मैंने अपनी ट्रेन पकड़ी. मुझे ऊपर वाली बर्थ मिली थी, जिस पर जाकर मैं बैठ गया.
मैं अकेला इंसान ट्रेन में मौजूद सभी खूबसूरत युवा जोड़ों को देख कर खुद को बोर महसूस कर रहा था.
मैं कुछ कर नहीं सकता था क्योंकि मैं इस वक्त किस्मत का मारा था.
सब कुछ ऐसे ही चलता रहा. कभी मैं अपनी सीट पर सो जाता, कभी उठ जाता, कभी अपनी पुस्तकें पढ़ने लगता, कभी कुछ खा लेता, कभी इधर-उधर टहलने लगता.
ट्रेन अपनी रफ्तार से चलती जा रही थी, वक्त गुजरता जा रहा था.
सभी युवा जोड़ों को देखकर मन में ख्याल आने लगा कि काश कोई मेरे साथ भी होता. लेकिन एक तो बेरोजगारी और दूसरे लड़कों की तरह हैंडसम ना होना, मेरे अकेलेपन के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार थी.
हालांकि आप सभी दोस्त जानते हैं कि आपका सरस दिल से बहुत ही अच्छा इंसान है तथा जिस इंसान के साथ में दोस्ती करता है या प्यार करता है, उसे अपनी पूरी शिद्दत के साथ उस वक्त तक निभाता है, जब तक कि सामने वाला मुझे छोड़कर ना चला जाए.
इस सफर में भगवान को शायद कुछ और ही मंजूर था.
वह नहीं चाहते थे कि मैं यह सफर तन्हाई और अकेलेपन के साथ बिताऊं, इसलिए उन्होंने मेरे लिए एक साथी भेज ही दिया.
ट्रेन रतलाम रेलवे स्टेशन पर रुकी. वहां से एक ज्यादा खूबसूरत तो नहीं, लेकिन बहुत ही अच्छे फिगर की मालकिन एक बंजारन लड़की अपने कबीले के साथ ट्रेन में चढ़ गई.
उन लोगों को शायद जानकारी नहीं थी इसलिए वो सब रिजर्वेशन डब्बे को खाली देख कर उसमें चढ़ गए थे.
मेरी सीट के नीचे वाली तथा आसपास की सीटों पर वो सब लोग बैठ गए.
पहले तो वह लड़की मेरे नीचे वाली सीट पर बैठी हुई थी, बाद में उठकर लोअर साइड बर्थ पर आ गई.
उसे मैं बड़ी देर से गौर कर रहा था.
वह लड़की भी मुझे देखे जा रही थी … लेकिन मेरी हिम्मत उससे बात करने की नहीं हो रही थी.
थोड़ी देर थोड़ी देर बाद वह लड़की ऊपर वाली साइट बर्थ पर आ गई तथा उस पर सो गई.
उस लड़की का फिगर शायद 34-32-34 का रहा होगा.
मैं बैंक की प्रतियोगी परीक्षा देकर गुजरात से वापस अपने घर आ रहा था.
सूरत से मैंने अपनी ट्रेन पकड़ी. मुझे ऊपर वाली बर्थ मिली थी, जिस पर जाकर मैं बैठ गया.
मैं अकेला इंसान ट्रेन में मौजूद सभी खूबसूरत युवा जोड़ों को देख कर खुद को बोर महसूस कर रहा था.
मैं कुछ कर नहीं सकता था क्योंकि मैं इस वक्त किस्मत का मारा था.
सब कुछ ऐसे ही चलता रहा. कभी मैं अपनी सीट पर सो जाता, कभी उठ जाता, कभी अपनी पुस्तकें पढ़ने लगता, कभी कुछ खा लेता, कभी इधर-उधर टहलने लगता.
ट्रेन अपनी रफ्तार से चलती जा रही थी, वक्त गुजरता जा रहा था.
सभी युवा जोड़ों को देखकर मन में ख्याल आने लगा कि काश कोई मेरे साथ भी होता. लेकिन एक तो बेरोजगारी और दूसरे लड़कों की तरह हैंडसम ना होना, मेरे अकेलेपन के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार थी.
हालांकि आप सभी दोस्त जानते हैं कि आपका सरस दिल से बहुत ही अच्छा इंसान है तथा जिस इंसान के साथ में दोस्ती करता है या प्यार करता है, उसे अपनी पूरी शिद्दत के साथ उस वक्त तक निभाता है, जब तक कि सामने वाला मुझे छोड़कर ना चला जाए.
इस सफर में भगवान को शायद कुछ और ही मंजूर था.
वह नहीं चाहते थे कि मैं यह सफर तन्हाई और अकेलेपन के साथ बिताऊं, इसलिए उन्होंने मेरे लिए एक साथी भेज ही दिया.
ट्रेन रतलाम रेलवे स्टेशन पर रुकी. वहां से एक ज्यादा खूबसूरत तो नहीं, लेकिन बहुत ही अच्छे फिगर की मालकिन एक बंजारन लड़की अपने कबीले के साथ ट्रेन में चढ़ गई.
उन लोगों को शायद जानकारी नहीं थी इसलिए वो सब रिजर्वेशन डब्बे को खाली देख कर उसमें चढ़ गए थे.
मेरी सीट के नीचे वाली तथा आसपास की सीटों पर वो सब लोग बैठ गए.
पहले तो वह लड़की मेरे नीचे वाली सीट पर बैठी हुई थी, बाद में उठकर लोअर साइड बर्थ पर आ गई.
उसे मैं बड़ी देर से गौर कर रहा था.
वह लड़की भी मुझे देखे जा रही थी … लेकिन मेरी हिम्मत उससे बात करने की नहीं हो रही थी.
थोड़ी देर थोड़ी देर बाद वह लड़की ऊपर वाली साइट बर्थ पर आ गई तथा उस पर सो गई.
उस लड़की का फिगर शायद 34-32-34 का रहा होगा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.