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Incest भैया से ट्रेन में चुदाई
#12
मेरी ये इच्छा भी जल्द ही पूरी हो गयी। भैया मेरी टांगों में हाथ डालकर अपनी तरफ खींचने लगे थे। मैने उनकी इच्छा को समझ कर अपना सिर उनकी जांघों से उतारा और कम्बल के अंदर ही अंदर घूम गयी। अब मेरी टांगें भैया की तरफ थीं और मेरा सिर बर्थ के दूसरे तरफ था। भैया ने अब अपनी टांगों को मेरे बराबर में फैलाया फिर मेरे कूल्हों को उठा कर अपनी टांगों पर चढ़ा लिया और धीरे धीरे कर के पहले मेरी पैंट खींच कर उतार दी और उसके बाद मेरी पैंटी को भी खींच कर उतार दिया अब मैं कम्बल में पूरी तरह नीचे से नंगी थी। अब शायद मेरी बारी थी मैं ने भी भैया के पैंट और अंडर वियर को बहुत प्यार से उतार दिया। अब भैया ने थोड़ा आगे सरक कर मेरी टांगों को खींच कर अपनी कमर के इर्द गिर्द करके पीछे की ओर लिपटवा दिया।

इस समय मैं पूरी की पूरी उनकी टांगो पर बोझ बनी हुयी थी। मेरा सिर उनके पंजों पर रखा हुआ था। मैने ज़रा सा कम्बल हटा कर आसपास की सवारियों पर नज़र डाली सभी नींद में मस्त थे। किसी का भी ध्यान हमारी तरफ़ नहीं था। फिर मेरी नज़र भैया की तरफ पड़ी उनका चेहरा आवेश के कारण लाल भभूका हो रहा था वो मेरी ओर ही देख रहे थे न जाने क्यों उनकी नज़रों से मुझे बहुत शरम आयी और मैने वापस कम्बल के अंदर अपना मुंह छुपा लिया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: भैया से ट्रेन में चुदाई - by neerathemall - 21-03-2022, 05:25 PM



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