21-03-2022, 05:24 PM
इस बार उन्होने ने मेरी पैंट की ज़िप खुद खोली और मेरी बुर पर हाथ फिराया। बुर पर हाथ लगते ही मैं बेचैन हो गई। वो मेरी फूली हुई बुर को मुट्ठी में लेकर भींच रहे थे। मैने बेबसी से अपना सिर थोड़ा सा ऊपर उठा कर भैया का सुपाड़ा चूमा और उसे मुंह में लेने की कोशिश की परंतु उसकी मोटाई के कारण मैने उसे मुंह में लेना उचित न समझा और उसे जीभ निकालकर चाटने लगी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.