21-03-2022, 04:58 PM
क दिन उसके घर कोई नहीं था. मैं हेडफोन लौटाने उसके घर गया था, उस वक्त दोस्त के घर में कोई नहीं था, दरवाजा खुला था. मैंने अपने दोस्त को आवाज दी, जब कोई जवाब नहीं आया, तो मैं उसे ढूंढते उसके घर घुस गया. मैं लगातार आवाज देकर दोस्त को बुलाता रहा. जब किसी ने रिप्लाय नहीं दिया, तो मैं वापिस लौटने को मुड़ा.
तभी बाथरूम का दरवाजा खुला और उसमें से छाया बाहर आयी. उसके अंग पर एक कपड़ा भी नहीं था. वो अपना सिर सुखा रही थी. उसका ध्यान नहीं था. मैं उसके नंगे शरीर को घूर रहा था. मेरा लंड अपनी रियल साइज में आ चुका था. नाईट पैन्ट में से लंड का पहाड़ साफ दिखाई दे रहा था.
उसकी नजर मुझ पर पड़ी, उसको ध्यान ही नहीं था कि वो बिना कपड़े की बाहर आयी थी, उसने मुझसे पूछा- क्या काम है?
मैंने उसकी तनी हुई चूचियों को देखते हुए कहा- कुछ नहीं, ये शंकर का हेडफोन देने आया था.
तो वो बोली- ला दे मुझे.
मैंने दे दिया, उसके हाथों का स्पर्श बहुत मुलायम था. मैं उसे लगातार घूरे जा रहा था. फिर उसने मेरी नजर पकड़ी, तो खुद को बिना कपड़े की पाकर हड़बड़ा गयी और पीछे मुड़ गयी. मुझे पीछे से उसकी गांड दिख रही थी. मैं पलटा और अपने घर आ गया.
तभी बाथरूम का दरवाजा खुला और उसमें से छाया बाहर आयी. उसके अंग पर एक कपड़ा भी नहीं था. वो अपना सिर सुखा रही थी. उसका ध्यान नहीं था. मैं उसके नंगे शरीर को घूर रहा था. मेरा लंड अपनी रियल साइज में आ चुका था. नाईट पैन्ट में से लंड का पहाड़ साफ दिखाई दे रहा था.
उसकी नजर मुझ पर पड़ी, उसको ध्यान ही नहीं था कि वो बिना कपड़े की बाहर आयी थी, उसने मुझसे पूछा- क्या काम है?
मैंने उसकी तनी हुई चूचियों को देखते हुए कहा- कुछ नहीं, ये शंकर का हेडफोन देने आया था.
तो वो बोली- ला दे मुझे.
मैंने दे दिया, उसके हाथों का स्पर्श बहुत मुलायम था. मैं उसे लगातार घूरे जा रहा था. फिर उसने मेरी नजर पकड़ी, तो खुद को बिना कपड़े की पाकर हड़बड़ा गयी और पीछे मुड़ गयी. मुझे पीछे से उसकी गांड दिख रही थी. मैं पलटा और अपने घर आ गया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.