21-03-2022, 04:58 PM
नवम्बर का महीना था. मौसम में हल्की हल्की सर्दी होना शुरू हो गई थी. मुझे भी जवानी का सुरूर चढ़ा हुआ था, सेक्स का भूखा था. आपको तो पता ही है कि इस उम्र में सेक्स की कितनी प्यास लगती है.
इस कहानी की नायिका है छाया, यह नाम बदला हुआ है. छाया मेरे दोस्त की शादीशुदा बहन थी. मैं अपने इस दोस्त के घर हमेशा आता जाता रहता था. वो मेरे घर के सामने ही रहता था. उसकी बहन की शादी हो चुकी थी, मगर वो अपने पति के साथ यहीं रहती थी.
इस कहानी की नायिका है छाया, यह नाम बदला हुआ है. छाया मेरे दोस्त की शादीशुदा बहन थी. मैं अपने इस दोस्त के घर हमेशा आता जाता रहता था. वो मेरे घर के सामने ही रहता था. उसकी बहन की शादी हो चुकी थी, मगर वो अपने पति के साथ यहीं रहती थी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.