21-03-2022, 04:46 PM
जब चाचा चाची को छोड़ने गए, उस दिन दीदी और मैं बिल्कुल अकेले थे, उस दिन मैं कॉलेज से आया तो दीदी बाजार जाने के लिए तैयार होकर बैठी थीं. मैं उनको लेकर बाजार गया. उन्होंने कुछ सब्जी फल आदि लिए और हम दोनों वापस आ गए.
शाम के 8 बजे थे तो दीदी ने खाना लगाया और खाना खाकर हम दोनों टीवी देखने लगे. टीवी देखते हुए दीदी को कब नींद आ गई, पता ही न चला.
मेरी नजर गई तो वो सोफे पर लेटी थीं. मैंने आवाज लगाई, पर कोई जवाब नहीं मिला. मेरी नजर उन पर से हट ही नहीं रही थी. उन्होंने ग्रीन सलवार सूट पहना हुआ था. थोड़ी देर बाद मैंने उनको आवाज देकर कहा- दीदी, अपने बिस्तर पर सो जाओ.
लेकिन वो सोफे से उठकर मेरे बेड पर सो गईं.
थोड़ी देर बाद मैं अन्दर वाले बेड, जहाँ पर चाचा चाची सोते हैं.. वहाँ जाके सो गया.
मुझे सोये हुए कुछ देर हुई थी कि किसी के गिरने की आवाज आई.. जिससे मेरी नींद खुल गई. मैंने जाकर देखा तो दीदी बाथरूम में गिर गई थीं. मैं जब तक गया तब तक वो लड़खड़ाते हुए बाथरूम से निकल रही थीं.
शाम के 8 बजे थे तो दीदी ने खाना लगाया और खाना खाकर हम दोनों टीवी देखने लगे. टीवी देखते हुए दीदी को कब नींद आ गई, पता ही न चला.
मेरी नजर गई तो वो सोफे पर लेटी थीं. मैंने आवाज लगाई, पर कोई जवाब नहीं मिला. मेरी नजर उन पर से हट ही नहीं रही थी. उन्होंने ग्रीन सलवार सूट पहना हुआ था. थोड़ी देर बाद मैंने उनको आवाज देकर कहा- दीदी, अपने बिस्तर पर सो जाओ.
लेकिन वो सोफे से उठकर मेरे बेड पर सो गईं.
थोड़ी देर बाद मैं अन्दर वाले बेड, जहाँ पर चाचा चाची सोते हैं.. वहाँ जाके सो गया.
मुझे सोये हुए कुछ देर हुई थी कि किसी के गिरने की आवाज आई.. जिससे मेरी नींद खुल गई. मैंने जाकर देखा तो दीदी बाथरूम में गिर गई थीं. मैं जब तक गया तब तक वो लड़खड़ाते हुए बाथरूम से निकल रही थीं.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.