21-03-2022, 04:32 PM
तब मैंने उसकी जम्पर के ऊपर से हाथ रखते हुए कहा- क्या देख रही हो इतने गौर से?
वो घबरा गयी पर खामोश रही. मैं उसकी चूची पर थोड़ा सा जोर देकर फ़िर से बोली- आखिर देख क्या रही थी तुम? जो मेरे पास है वो तुम्हारे पास भी तो है.
तब उसने झिझकते हुए कहा- पर आपा आपकी तो हमसे बहुत बड़ी हैं?
मैंने कहा- बतायेगी भी क्या?
तब उसने मेरी चूची पर हाथ रख कर कहा- ये!
मुझे हंसी आ गयी उसके भोलेपन पे, मैंने कहा- नाम नहीं पता है इसका?
उसने शरमाते हुए कहा- दुधू है!
तब तो मुझे बहुत जोरदार हंसी आयी फ़िर मैंने उसकी चूची को कपड़े के ऊपर से ही जोर से दबा कर कहा- धत्त बेवकूफ़ लड़की, दुधू नहीं चूची कहते हैं इसे! इतनी बड़ी हो गयी है, अभी तक नाम नहीं पता, क्या देखती है तू टीवी वगैरह में?
तब उसने कहा- आपा यहां कहां टीवी देखने देते हैं अब्बु जान … उन्हें तो सिर्फ़ न्यूज़ ही पसंद है.
मेरा चूची मसलना उसे शायद अच्छा लग रहा था, वो कुछ बोल नहीं रही थी और मैं अपना काम कर रही थी.
वो घबरा गयी पर खामोश रही. मैं उसकी चूची पर थोड़ा सा जोर देकर फ़िर से बोली- आखिर देख क्या रही थी तुम? जो मेरे पास है वो तुम्हारे पास भी तो है.
तब उसने झिझकते हुए कहा- पर आपा आपकी तो हमसे बहुत बड़ी हैं?
मैंने कहा- बतायेगी भी क्या?
तब उसने मेरी चूची पर हाथ रख कर कहा- ये!
मुझे हंसी आ गयी उसके भोलेपन पे, मैंने कहा- नाम नहीं पता है इसका?
उसने शरमाते हुए कहा- दुधू है!
तब तो मुझे बहुत जोरदार हंसी आयी फ़िर मैंने उसकी चूची को कपड़े के ऊपर से ही जोर से दबा कर कहा- धत्त बेवकूफ़ लड़की, दुधू नहीं चूची कहते हैं इसे! इतनी बड़ी हो गयी है, अभी तक नाम नहीं पता, क्या देखती है तू टीवी वगैरह में?
तब उसने कहा- आपा यहां कहां टीवी देखने देते हैं अब्बु जान … उन्हें तो सिर्फ़ न्यूज़ ही पसंद है.
मेरा चूची मसलना उसे शायद अच्छा लग रहा था, वो कुछ बोल नहीं रही थी और मैं अपना काम कर रही थी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.