21-03-2022, 04:28 PM
और तब ही भाई मेरी निप्पल को दांत से दबाते हुए बहुत ही आराम से धक्के मारने लगे. अब मैं ऊऊओफ़्फ़ ऊऊओफ़्फ़ फ़्फ़फ़ कर रही थी और अब इस तरह दर्शा रही थी कि मुझे बहुत मस्ती मिल रही है.
“आअहाआ भाई … बहुत मज़ा आ रहा है. थोड़ा और जोर से धक्का मारो ना प्लीज़! तुम्हें अपनी बहन की कसम है … आज सारी ताकत झोंक देना मेरी चूत में! ज़रा भी तरस ना खाना! साली बहुत कुलबुलाती रहती है.”
फ़िर तो भाई ने धक्कों की झड़ी लगा दी, फ़चा-फ़च की आवाज़ निकल रही थी और मैं भी अपने चूतड़ को उछाल रही थी.
तब ही भाई का लंड झड़ने के करीब आया और भाई ने कहा- आरज़ू बहन, अब मैं झड़ने वाला हूँ. तुम्हारी क्या पोजिशन है?
मैंने कहा- क्या बात है, आज आप मुझसे पहले डिस्चार्ज हो रहे हैं? वरना तो मेरा पानी दो बार निकलता था तब कहीं आप झड़ते थे?
भाई ने कहा- बहुत दिन बाद आज चुदायी कर रहा हूँ ना, इसलिये ऐसा हो रहा है. क्या बतायें, वहां घर की बात ही और थी यहां तो साला मौका ही नहीं मिलता है.
“आअहाआ भाई … बहुत मज़ा आ रहा है. थोड़ा और जोर से धक्का मारो ना प्लीज़! तुम्हें अपनी बहन की कसम है … आज सारी ताकत झोंक देना मेरी चूत में! ज़रा भी तरस ना खाना! साली बहुत कुलबुलाती रहती है.”
फ़िर तो भाई ने धक्कों की झड़ी लगा दी, फ़चा-फ़च की आवाज़ निकल रही थी और मैं भी अपने चूतड़ को उछाल रही थी.
तब ही भाई का लंड झड़ने के करीब आया और भाई ने कहा- आरज़ू बहन, अब मैं झड़ने वाला हूँ. तुम्हारी क्या पोजिशन है?
मैंने कहा- क्या बात है, आज आप मुझसे पहले डिस्चार्ज हो रहे हैं? वरना तो मेरा पानी दो बार निकलता था तब कहीं आप झड़ते थे?
भाई ने कहा- बहुत दिन बाद आज चुदायी कर रहा हूँ ना, इसलिये ऐसा हो रहा है. क्या बतायें, वहां घर की बात ही और थी यहां तो साला मौका ही नहीं मिलता है.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
