21-03-2022, 04:19 PM
मैं आगरा अपनी मुमानी के घर गई थी करीब 5 साल बाद अपनी अम्मी और भाई के साथ…
वहाँ मुझे बहुत अच्छा लगा, इतने साल बाद जाने के बाद वहाँ सभी लोग बहुत प्यार से मिल रहे थे। हम लोगों ने खूब मौज मस्ती की पर हफ़्ते भर बाद ही मुझमें चुदाने के कीड़े रेंगने लगे क्योंकि कहाँ तो लगभग रोज़ ही चूत में लंड खाती थी, शायद ही कोई दिन ऐसा जाता हो जब मैं न चुदवाऊँ, पर यहाँ तो चुदाई क्या साला किसी से चूची मसलवाने को तरस गई।
वहाँ मुझे बहुत अच्छा लगा, इतने साल बाद जाने के बाद वहाँ सभी लोग बहुत प्यार से मिल रहे थे। हम लोगों ने खूब मौज मस्ती की पर हफ़्ते भर बाद ही मुझमें चुदाने के कीड़े रेंगने लगे क्योंकि कहाँ तो लगभग रोज़ ही चूत में लंड खाती थी, शायद ही कोई दिन ऐसा जाता हो जब मैं न चुदवाऊँ, पर यहाँ तो चुदाई क्या साला किसी से चूची मसलवाने को तरस गई।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.