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Adultery बरसात की वह रात
#18
तभी नीचे से आवाज आयी- आरू, मनु क्या कर रहे हो … नीचे आओ.
हम दोनों का जैसे सपना टूट गया हो हम एक दूसरे से न चाहते हुए भी अलग हुए और अपने को ठीक करते हुए नीचे आ गए. वहां मम्मी पापा हमारा इंतज़ार कर रहे थे.
हम सभी ने रात को खाना खाया और सोने चले गए.
रात भर किसी को नींद नहीं आयी, न मुझे … न आरू को. मम्मी पापा के डर से हम दोनों चुपचाप सो गए.
सुबह जब मैं उठा तो आरू ने बताया कि मनु भाई आज घर में कोई नहीं है. मम्मी पापा किसी काम से बाहर गए हैं. वो शाम तक लौटेंगे. तुम जल्दी से फ्रेश हो जाओ … फिर दोनों दिन भर मस्ती करेंगे. देखिए न आज बादल भी लगे हुए हैं … अगर बारिश हुई तो हम दोनों बारिश का पूरा मज़ा उठाएंगे.
अपनी बहन की बातें सुनकर मैं भी उत्तेजित हो गया और जल्दी ही फ़्रेश होने के बाद हम नाश्ता करने बैठ गए.
आज हमारा नाश्ता कुछ अलग होने वाला था. आज मेरी बहन आरू ने मुझे अलग नाश्ता कराया. वो ब्रेड को अपने हाथ से उठाने के बजाए उसे अपने मुँह में दबा कर मेरे मुँह में डाल रही थी. जिससे उसके होंठ मेरे होंठों में लग रहे थे और हम ब्रेड के साथ एक दूसरे के होंठों का रसपान भी कर रहे थे.
तब तक बारिश भी शुरू हो चुकी थी. ये देख कर मेरा और आरू की खुशी का ठिकाना न रहा … क्योंकि हम दोनों को बारिश वैसे भी बहुत पसन्द है और साथ में हम दोनों मूड में भी थे.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: बरसात की वह रात - by neerathemall - 21-03-2022, 03:46 PM



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