21-03-2022, 03:16 PM
निखिल भैया ने मेरी बाजू नीचे को खींच कर बैठाया और बैठते ही मेरा मूत निकल गया।
मैं मूत रही थी और निखिल भैया मेरी फुद्दी को घूर रहे थे कि कैसे लड़की की फुद्दी
में से मूत की धार बाहर निकलती है।
जब मैं मूत कर हटी तो निखिल भैया ने मुझे खड़ा किया और खुद ही मेरी हाफ पैंट ऊपर
सरका कर मुझे अपनी आगोश में लेकर बाहर ले आए।
बाहर सोफ़े पर बैठते ही उन्होंने एक एक गिलास और भर दिया और मुझे दिया। मगर मेरी
इच्छा अब बीअर पीने की नहीं बिस्तर पर लेटने की हो रही थी और शायद चुदने की भी।
मैं सोफ़े पर भी निढाल सी गिरी पड़ी थी।
निखिल भैया ने मुझे अपना सहारा दे कर उठाया. मगर मैंने महसूस किया के वो सिर्फ मुझे
सहारा नहीं दे रहे, बल्कि मुझे उठाते वक्त मेरा एक मम्मा बड़े अच्छे से अपने हाथ में
पकड़े थे, दिखा ऐसे रहे थे कि सहारा दे रहे हैं मगर पकड़ना मेरा मम्मा चाहते थे।
मैंने भी चुप्पी साध ली और जान बूझ कर थोड़ा और बेहोशी का, नशे का, बेख्याली का नाटक
करने लगी।
निखिल भैया मुझे अपनी गोद में उठा कर बेडरूम में ले गए और मुझे बेड पर लेटा दिया।
मैं अपनी आँखें बंद किए लेटी रही क्योंकि मैं भैया को पूरा मौका देना चाहती थी कि
अगर वो मेरे साथ कुछ भी करना चाहें, तो कर लें।
मुझे लेटा कर भैया खुद भी मेरे साथ ही लेट गए और मेरे घुटने पर अपना हाथ रखा। मैं न
हिली डुली तो उन्होंने अपना हाथ नीचे को सरकाना शुरू किया और मेरी जांघ तक ले आए।
पता नहीं नशे में या मज़े में मेरे मुंह से ‘ऊंह …’ निकल गई।
मैं मूत रही थी और निखिल भैया मेरी फुद्दी को घूर रहे थे कि कैसे लड़की की फुद्दी
में से मूत की धार बाहर निकलती है।
जब मैं मूत कर हटी तो निखिल भैया ने मुझे खड़ा किया और खुद ही मेरी हाफ पैंट ऊपर
सरका कर मुझे अपनी आगोश में लेकर बाहर ले आए।
बाहर सोफ़े पर बैठते ही उन्होंने एक एक गिलास और भर दिया और मुझे दिया। मगर मेरी
इच्छा अब बीअर पीने की नहीं बिस्तर पर लेटने की हो रही थी और शायद चुदने की भी।
मैं सोफ़े पर भी निढाल सी गिरी पड़ी थी।
निखिल भैया ने मुझे अपना सहारा दे कर उठाया. मगर मैंने महसूस किया के वो सिर्फ मुझे
सहारा नहीं दे रहे, बल्कि मुझे उठाते वक्त मेरा एक मम्मा बड़े अच्छे से अपने हाथ में
पकड़े थे, दिखा ऐसे रहे थे कि सहारा दे रहे हैं मगर पकड़ना मेरा मम्मा चाहते थे।
मैंने भी चुप्पी साध ली और जान बूझ कर थोड़ा और बेहोशी का, नशे का, बेख्याली का नाटक
करने लगी।
निखिल भैया मुझे अपनी गोद में उठा कर बेडरूम में ले गए और मुझे बेड पर लेटा दिया।
मैं अपनी आँखें बंद किए लेटी रही क्योंकि मैं भैया को पूरा मौका देना चाहती थी कि
अगर वो मेरे साथ कुछ भी करना चाहें, तो कर लें।
मुझे लेटा कर भैया खुद भी मेरे साथ ही लेट गए और मेरे घुटने पर अपना हाथ रखा। मैं न
हिली डुली तो उन्होंने अपना हाथ नीचे को सरकाना शुरू किया और मेरी जांघ तक ले आए।
पता नहीं नशे में या मज़े में मेरे मुंह से ‘ऊंह …’ निकल गई।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.